2016-08-25 17:21:00

धर्माध्यक्षों ने की खेल अधिकारियों की असंवेदनशील व्यवहार की कड़ी निंदा


नई दिल्ली, बृहस्पतिवार, 25 अगस्त 2016 (वीआर सेदोक): भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन ने एक भारतीय मैराथन धावक को रियो ऑलम्पिक से बाहर किये जाने पर अधिकारियों की असंवेदनशील व्यवहार की कड़ी निंदा की है।

ऊका समाचार के अनुसार भारतीय एथलीट ओ.पी. जैशा ने 42 किलोमीटर की दौड़ बिना किसी सहायता के पूरी की जिन्हें अधिकारियों द्वारा पानी, ऊर्जा पेय और जलपान आदि दौड़ के समय अंतराल में दिये जाने की आवश्यकता थी।

रियो में ऑलम्पिक के दौरान 33 वर्षीय जैशा को दौड़ में 89 स्थान प्राप्त हुआ। वह 2 घंटों की दौड़ में लक्ष्य तक पहुँच पहुँचते बेहोश हो गयी। उसे स्वयंसेवकों ने उठाकर अस्पताल ले गया जहाँ वह तीन घंटे के बाद होश में आयी।

भारत के एथलेटिक्स फेडेरेशन ने यह कहते हुए जैशा के आरोपों का खंडन किया है कि धावक ने दौड़ के समय किसी प्रकार के पेय अथवा जलपान को लेने से इन्कार कर दिया था।  

काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के महासचिव धर्माध्यक्ष थेवोदोर मसकरेनहास ने ऊका समाचार से कहा, ″यह भारतीय अधिकारियों का सरासर असंवेदनशील व्यवहार है जिन्होंने एक महिला एथलीट की मदद नहीं की जिसको मदद करने के लिए विदेश की धरती पर कोई नहीं था।″

उन्होंने कहा कि एथलिटों के प्रति इस तरह की भावना के कारण देश में खेल को प्रोत्साहन नहीं मिलता है।

भारत को ऑलम्पिक में दो पदक प्राप्त हुए हैं एक रजत और एक कांस्य जो पूरे देश में खेल की स्थिति पर सवाल पैदा कर रहा है।

धर्माध्यक्ष ने कहा कि हमने सभी ऑलम्पिक एवं विश्व स्तरीय खेलों में अधिकारियों के लिए बहुत अधिक पैसों का व्यय किया है जबकि एथलिटों के लिए बहुत कम, जो इन अंतरराष्टीय अवसरों पर अधिक अच्छा प्रदर्शन कर सकते थे।

उन्होंने खेद व्यक्त की कि क्रिकेट के अलावा किसी अन्य खेल को अधिक प्रोत्साहन नहीं दिया जाता है। उन्होंने कहा कि खेल में तभी विकास किया जा सकता है जब इसे स्कूल के पाठ्यक्रम में महत्वपूर्ण स्थान दिया जाए।








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