2016-08-11 16:29:00

गौ रक्षकों के खिलाफ मोदी से न केवल भाषण किन्तु कर्रवाई की मांग


नई दिल्ली, बृहस्पतिवार, 11 अगस्त 2016 (ऊकान): ख्रीस्तीय समुदाय ने भारत के प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी की गौ रक्षा दल के विरूद्ध दी गयी टिप्पणी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि यह राजनीति से प्रेरित होकर की गयी है तथा यह बहुत कम है एवं बहुत देरी से की गयी है।

विगत कुछ महीनों से समाचार पत्रों में हिन्दू चरमपंथियों द्वारा दलित, ख्रीस्तीयों एवं मुसलमानों पर कई क्रूर आक्रमणों की घटनाएँ सामने आ रही थी। हिंसा को गौ हत्या एवं गायों के साथ दुर्व्यवहार के आरोपों के प्रत्युत्तर में अंजाम दिया जा रहा है।

समाचार पत्रों में इस तरह की कई घटनाओं के प्रकाशित होने के बावजूद सरकार मूकदर्शक बनी हुई थी तथा हिंसा को अंजाम देने वालों पर कोई कार्रवाई करने से इन्कार कर रही थी। 

भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के महासचिव धर्माध्यक्ष थेओदोर मसकरेहास ने कहा, ″हम खुश हैं कि प्रधान मंत्री ने अंततः कुछ बोला है तथा बहुत दृढ़ता के साथ बोला है किन्तु दलित एवं अल्पसंख्य दल और अधिक खुश होंगे जब सचमुच काररवाई की जायेगी।″ 

उनका कहना है कि अल्पसंख्यकों पर गाय की रक्षा हेतु हिंसक आक्रमण करने वालों को कड़ी से कड़ी सज़ा मिलनी चाहिए। उन्होंने यह भी उम्मीद जतायी है कि सरकार हिंसा का समर्थन करने वालों का भी विरोध करे।

दिल्ली और फिर दक्षिणी राज्य हैदराबाद में बोलते हुए मोदी ने कहा था "कुछ लोग गौरक्षक के नाम पर दुकान खोलकर बैठ गए हैं. मुझे इस पर बहुत ग़ुस्सा आता है।" मोदी ने आगे कहा कि रात में गोरख धंधे में लगे कुछ असामाजिक तत्व दिन में गौ रक्षक बन जाते हैं और इनमें से 80 फ़ीसदी फ़र्ज़ी है।

भारत में भारत में चर्चों की राष्ट्रीय परिषद की सदस्य सामूएल जाया कुमार का मानना है कि मोदी ने राजनीति से प्रेरित होकर ऐसा कहा है क्योंकि उत्तर प्रदेश में चुनाव अगले साल होने वाला है।

दलित ख्रीस्तीय नेता मेरी जोन ने कहा कि गोरक्षकों के हिंसक कार्यों के खिलाफ मोदी के शब्द बहुत कम और बहुत देरी से आये हैं पर यदि वे अपनी बातों के प्रति गंभीर हैं तो उन्हें अभी ही कार्रवाई करनी चाहिए। भारत की 1.2 अरब आबादी में से 20 प्रतिशत लोग दलित समुदाय से आते हैं। 








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