2016-08-10 15:53:00

रांची: माता मेरी बेर्नादेत प्रसाद किसपोट्टा पहली आदिवासी ईश सेविका


रांची, बुधवार, 10 अगस्त 2016 (एशिया समाचार) : छोटानागपुर की काथलिक कलीसिया ने अपने इतिहास में पहली बार एक आदवासी महिला, संत अन्ना की पुत्रियों के धर्म समाज की संस्थपिका माता मेरी बेर्नादेत प्रसाद किसपोट्टा को ईश सेविका घोषित किया।

जुलाई में वाटिकन द्वारा कोई आपत्ति नहीं की घोषणा के बाद, रविवार 7 अगस्त को रांची के महाधर्माध्यक्ष कार्डिनल तेलेस्फोर टोप्पो ने संत मरिया महागिरजाघर में धन्यवाद ख्रीस्तयाग के दौरान धर्मबहन को संत बनाने की प्रक्रिया शुरु करने की पुष्टि की।

कार्डिनल ने कहा, "एक आदिवासी महिला का ईश सेविका घोषित होना एक दुर्लभ सम्मान की बात है। वे भारत की पहली आदिवासी धर्मबहन हैं जिसका संत प्रकरण की प्रक्रिया शुरू होने जा रही है। यह ईश्वर की कृपा है।"

माता मेरी बेर्नादेत प्रसाद किसपोट्टा का जन्म 2जून 1878 को हुआ। सिसिलिया, वेरोनिका और मेरी तीन अन्य धर्मबहनों के साथ उन्होंने 26 जुलाई 1897 को संत अन्ना की पुत्रियों के धर्म समाज की स्थापना की।

एक धर्मबहन के रूप में उन्होंने जीवनभर शिक्षा के क्षेत्र में काम किया और सड़कों के बिना दूरदराज के इलाकों में लम्बी यात्रा कर ग्रामीणों को पढ़ाया।

20 वीं सदी के शुरु में छोटानागपुर के बड़े हिस्से में हैजा फैल गया था इसी  महामारी में धर्मबहन मेरी और वेरोनिका की मृत्यु हो गई। ऐसी त्रासदियों और खतरों के बावजूद माता मेरी बेर्नादेत और धर्मबहनें अपने प्रेरितिक कामों में लगी रहीं। धर्मसमाज में धर्मबहनों की संख्या बढ़ती गई और वे भारत के अन्य प्रदेशों में फैलती गईं।

माता मेरी बेर्नादेत की मृत्यु 16 अप्रेल 1961 को संत अन्ना कोनवेंट रांची में हुई।

कार्डिनल ने कहा, "माता मेरी बेर्नादेत का येसु में अडिग विश्वास था। उसने और धर्मसमाज की धर्मबहनों ने पूरे प्रदेश में विश्वास और शिक्षा के प्रसार हेतु सभी बाधाओं का सामना किया। वे काथलिक कलीसिया की नायिकाएँ हैं।"

धर्मबहन लिण्डा मेरी वान, संत अन्ना की पुत्रियों के धर्मसमाज की सुपीरियर जेनरल ने बताया कि उन्होंने पिछले साल नवम्बर में कार्डिनल टोप्पो के पास उनकी संस्थापिका माता मेरी बेर्नादेत को संत घोषित करने की प्रक्रिया शुरू करने के लिए एक औपचारिक याचिका भेजा।

रांची महाधर्मप्रांत के सहायक धर्माध्यक्ष थेओदोर मसकरेनहास और भारतीय धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के महासचिव ने कहा कि झारखंड और अंडमान के 9 धर्माध्यक्षों, दो सहायक धर्माध्यक्षों, एक ससम्मान सेवानिवृत धर्माध्यक्ष और कार्डिनल पी टोप्पो ने मिलकर प्रथम जाँच हेतु धर्मप्रांतीय आयोग का गठन किया। 

"सभी उपलब्ध दस्तावेजों, तस्वीरों और माता मेरी बेर्नादेत द्वारा लिखित एक संस्मरण की जांच की गई। सर्वसम्मति से यह निष्कर्ष निकाला गया था कि माता ने एक पवित्र जीवन व्यतीत किया था अतः उन्हें संत बनाने के लिए परमधर्मपीठीय संत प्रकरण परिषद, रोम में सिफारिश भेजा जाना चाहिए।

वर्तमान में संत अन्ना की पुत्रियों के धर्मसमाज में 1040 धर्मबहनें हैं जो भारत, इटली और जर्मनी में कार्यरत हैं।








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