2016-08-02 10:55:00

आर्जेन्टीना के संरक्षक सन्त के पर्व पर सन्त पापा ने भेजा सन्देश


वाटिकन सिटी, मंगलवार, 2 अगस्त 2016 (सेदोक): आर्जेन्टीना के संरक्षक सन्त काजेतान के पर्व के उपलक्ष्य में सन्त पापा फ्राँसिस ने राष्ट्र के काथलिक धर्माध्यक्षों के नाम प्रेषित सन्देश में हार्दिक शुभकामनाएँ अर्पित की हैं।

आर्जेन्टीना में राष्ट्र और, विशेष रूप से, श्रमिकों के संरक्षक सन्त काजेतान का पर्व, सात अगस्त को, मनाया जाता है जिसे मनाने के लिये प्रति वर्ष सम्पूर्ण देश से लाखों तीर्थयात्री बोईनुस आयरस में एकत्र होते हैं। 

आर्जेन्टीना के काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के अध्यक्ष सान्ता फे के महाधर्माध्यक्ष होसे मरिया आरान्सेदो के नाम प्रेषित सन्देश में सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा, "मेरी मंगलकामना है कि सन्त काजेतान के पर्व पर समस्त धर्माध्यक्ष रोटी एवं नौकरी की तलाश करनेवाले अपने भाइयों एवं बहनों के संग रहने के रास्ते खोज सकेंगे।"

बोईनुस आयरस में महाधर्माध्यक्ष रह चुके सन्त पापा ने आर्जेन्टीना में अपने दिनों की याद करते हुए कहा, "लीनियर्स के तीर्थ से वेलास स्टेडियम तक शोभायात्रा में शामिल होते समय मुझे याद है कि किस प्रकार साधारण श्रद्धालु आँखों में आसूँ भरे अपनी आस्था को प्रकट करते थे। उन्होंने कहा, "बहुत बार नौकरी एवं प्रतिष्ठापूर्ण जीवन की तलाश करते लोगों को मैं प्रार्थना करते देखता था और उनसे केवल हाथ मिला पाता था तथा शब्दों द्वारा ही आश्वासन दे पाता था।"

सन्त पापा ने लिखा, "हम सन्त काजेतान से सबके लिये रोटी और नौकरी पाने हेतु प्रार्थना करें। रोटी पाना कुछ आसान है क्योंकि बहुत से स्थानों में एकात्मतावश लोग रोटी दे दिया करते हैं किन्तु दुर्भाग्यवश विश्व में कई ऐसे क्षेत्र हैं जहाँ लोगों को रोटी भी नसीब नहीं हैं। इन सभी लोगों के लिये हम सन्त काजेतान की मध्यस्थता से विनती करें।"

दूसरी ओर सन्त पापा ने कहा वर्तमान विश्व में नौकरी पा लेना एक गम्भीर चुनौती है, यह आसान काम नहीं है। उन्होंने कहा, "समस्या का एक अंग है रोटी और दूसरा है नौकरी। एक है घर में खाने के लिये रोटी का होना तथा तो दूसरा है अपने श्रम के फलस्वरूप रोटी को घर पर ला पाना। अस्तु, जब हम नौकरी का आग्रह करते हैं तब हम मान-मर्यादा का आग्रह करते हैं। जब हम नौकरी का आग्रह करते हैं तब हम घर पर रोटी लाने के लिये श्रम की मांग करते हैं, प्रतिष्ठा की मांग करते हैं।" उन्होंने कहा कि नौकरी ही मानवाधिकारों का आधार है।

इस बात की ओर भी सन्त पापा फ्राँसिस ने ध्यान आकर्षित कराया कि हालांकि यह सब जानते हैं कि नौकरी पाना आसान नहीं है तथापि, लोग बेरोज़गारों की तौहीन करते हैं क्योंकि वे अन्यों की कमाई पर जीवन जीते हैं। इस सन्दर्भ में, सन्त पापा ने राष्ट्र के धर्माध्यक्षों से अनुरोध किया कि वे उन सब लोगों के निकट रहें जो नौकरी न पाने अथवा न कर पाने की व्यथा झेल रहे हैं। उन्होंने कहा कि इन लोगों के प्रति हमारी प्रार्थना, हमारा स्नेह एवं हमारा समीप्य ही इन्हें प्रतिष्ठापूर्ण जीवन दिला सकता है।








All the contents on this site are copyrighted ©.