2016-07-31 12:03:00

आतंकवाद की निन्दा, युवाओं से "विश्व की आशा" बनने की अपील


क्रेकाव, पोलैण्ड, शनिवार, 31 जुलाई 2016 (सेदोक): सन्त पापा फ्राँसिस ने शनिवार को "आतंकवाद  विनाशक लहर" की कड़ी निन्दा की जिससे आज विश्व त्रस्त है तथा युवाओं का आह्वान किया कि वे अन्यों के दुखों के प्रति उदासीन नहीं रहें बल्कि "विश्व की आशा" बनें।

27 जुलाई को आरम्भ सन्त पापा फ्राँसिस की पाँच दिवसीय पोलैण्ड यात्रा रविवार 31 जुलाई को समाप्त हो रही है। इस प्रेरितिक यात्रा का प्रमुख उद्देश्य 31 वें विश्व युवा दिवस के समारोहों का नेतृत्व करना था। पोलैण्ड की यात्रा सन्त पापा फ्राँसिस की 15 वीं विदेश यात्रा है। पूर्वी यूरोप में उनकी यह पहली यात्रा है जिसके दौरान काथलिक कलीसिया के परमधर्मगुरु सन्त पापा फ्राँसिस ने क्रेकाव शहर के अतिरिक्त, पोलैण्ड के चेस्टोकोवा में जसना गोरा मरियम तीर्थ तथा ऑसविएखिम नगर में आऊशविट्स-बिरकेनाओं नाज़ी नज़रबन्दी शिविरों की भेंट कर युद्ध, आतंकवाद एवं उदासीनता से त्रस्त विश्व में एकात्मता, भ्रातृत्व एवं प्रेम से घृणा और हिंसा को पराजित करने का सन्देश दिया है।

सन्त पापा जॉन पौल द्वितीय द्वारा आरम्भ विश्व युवा दिवसों के अवसरों पर कुछेक युवा प्रतिनिधियों के साथ भोजन करने की नेक परम्परा को बरकरार रखते हुए सन्त पापा फ्राँसिस ने विश्व के पाँचों महाद्वीप से आये 12 युवा व्यक्तियों के साथ मध्यान्ह भोजन किया। इस प्रीति भोज में शामिल हुई कोलोम्बिया की पाओला मोरा ने बताया कि उन्हें ऐसा महसूस हुआ जैसे "हम अपने पिता के संग भोजन कर रहे थे।"

वाटिकन के प्रवक्ता फादर फेदरीको लोमबारदी ने यह भी बताया कि शनिवार के दिन ही सन्त पापा ने उस बालिका से मुलाकात की जिसने अपने दोनों पाँव खो दिये हैं तथा जो अब सन्त पापा द्वारा दिये गये अनुदान के फलस्वरूप कृत्रिम अंगों से चल सकती है।

शनिवार को निर्धारित कार्यक्रम से हटकर सन्त पापा फ्राँसिस ने क्रेकाव के सन्त फ्राँसिस असीसी महागिरजाघर जाकर वहाँ शांति हेतु प्रार्थना की।  .... "सर्वशक्तिमान् एवं करुणामय ईश्वर, ब्रहमाण्ड एवं इतिहास के ईश्वर।  तेरे द्वारा सृजित सबकुछ उत्तम है और मानव भूलों के लिये तेरी दया असीम है। आज हम तेरे सम्मुख आकर विश्व एवं उसके निवासियों को शांति प्रदान करने का तुझसे आर्त निवेदन करते हैं। आतंकवाद की विनाशक लहर से विश्व एवं उसके लोगों को बचाकर उनके हृदयों में मैत्री, आपसी विश्वास एवं क्षमा करने के वरदान की हम याचना करते हैं।"








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