2016-07-30 17:00:00

दुनिया में क्रूरता और पीड़ा है लेकिन येसु पास हैं, संत पापा फ्राँसिस


क्राकोव, शनिवार, 30 जुलाई 2016 (वीआर सेदोक) : संत पापा फ्राँसिस ने 30 जुलाई, शुक्रवार शाम को क्राकोव स्थित महाधर्माध्यक्षीय निवास की बालकनी से वहाँ उपस्थित युवाओं को संबोधित करते हुए कहा, “ शुक्रवार एक दुःखद दिन है। इस दिन येसु हम सबके लिए दुःख सहे और क्रूस मर गये थे। हम सब ने येसु के क्रूस रास्ते की धर्मविधि में भाग लिया और मिलकर प्रार्थना की।”

संत पापा ने कहा कि दुनियाँ में बहुत से लोग दुःख सह रहे हैं जो बीमार, बेघर, भूखे, जीवन से निराश और हताश हैं। दोपहर को वे बाल-चिकित्सालय में बीमार बच्चों से मिले। उन्होंने स्वयं से पूछा, "क्यों बच्चों को इतना दुःख सहना पड़ता है?" यह एक रहस्य है। इस प्रश्न का ज़वाब नहीं है।

आऊवस्विच-बीरकेनाउ नाज़ी शिविरों की याद करते हुए उन्होंने कहा,“ आज भी कितनी क्रूरता और पीड़ा है। हम सब ईश्वर के प्रतिरुप में बनाये गये हैं फिर भी हम कैसे दूसरों पर जुल्म कर सकते हैं? ”

क्रूरता का अंत आऊवस्विच-बीरकेनाउ में नहीं हुआ। आज भी लोगों पर अत्याचार किया जा रहा है। कैदियों को मुँह खुलवाने के लिए यातनाएं दी जाती हैं।

संत पापा ने कहा कि आज के इस दुःखद परिस्थिति में येसु हमें अपने कंधों पर उठाते हैं। वे हमें प्रार्थना करने को कहते हैं। दुनियाँ में जो लोग दुःख सहते हैं येसु उनमें उपस्थित हैं। संत पापा ने भूखे-प्यासे, बीमार बच्चों, अपराध के बोझ से दबे हुए लोगों, अत्याचार सहते हुए मासूम लोगों और कैदियों के लिए विशेष प्रार्थना की अपील करते हुए कहा कि आज भी बहुत से देशों के कारागारों में कैदियों के साथ जानवरों-सा व्यवहार किया जाता है। उन्हें अनेक तरह की यंत्रनाएँ दी जाती हैं।

संत पापा ने कहा, " यहाँ हर कोई पापी है और अपने पापों के बोझ तले दबा हुआ है पर ईश्वर हमसे प्रेम करते हैं। हमसे बहुत प्रेम करते हैं। बच्चा जब रोता है तो अपनी माँ को ढ़ूँढता है। पापी होते हुए भी हम ईश्वर के बच्चे हैं। आइए हम माता मरिया के पास आये और सब मिलकर अपनी-अपनी भाषा में उनसे प्रार्थना करें।"








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