2016-07-30 12:20:00

आऊशविट्स के बाद भी क्रूरता का अन्त नहीं हुआ, सन्त पापा फ्राँसिस


ऑसविएखिम, पोलैण्ड, शनिवार, 30 जुलाई 2016 (सेदोक): अपने अथाह दुःख को प्रकट करने के लिये मौन का चयन करते हुए, शुक्रवार को, सन्त पापा फ्रांसिस ने पोलैण्ड के ऑसविएखिम शहर में आऊशविट्स-बिरकेनाओ नाज़ी नज़रबन्दी शिविरों की भेंट की तथा यहाँ नाज़ियों की क्रूरता से बच निकले और साथ ही उत्पीड़ित यहूदियों को शरण प्रदान करनेवाले कुछेक वयोवृद्धों से मुलाकात की। नज़रबन्दी शिविर के अतिथि ग्रन्थ में उन्होंने लिखाः "प्रभु! इतनी अधिक क्रूरता के लिये क्षमा प्रदान करना।" 

एलीज़ाबेथा सोबिन्सका नामक वृद्ध महिला दस वर्ष की थीं जब उन्हें, सन् 1944 ई. में, वॉरसो से आऊशविट्स लाया गया था। पोलैण्ड के टीवीएन 24 टेलीविज़न पर उन्होंने कहा, "सन्त पापा फ्राँसिस के मौन ने संस्करणों को अभिव्यक्ति दे दी है। शब्दों की ज़रूरत ही नहीं पड़ी, प्रार्थना पर्याप्त रही।"  उन्होंने कहा, "सन्त पापा फ्राँसिस यहाँ विनम्रतापूर्वक यहाँ आये, वे उन लोगों की परछाई ढूँढ़ने आये जिनसे उनकी सबसे क़ीमती चीज़ छीन ली गई थी और वह थी जीवन।" 

आऊशविट्स के बाद सन्त पापा बिरकेनाओ नज़रबन्दी शिविर गये जहाँ गैस चैम्बरों में हज़ारों को मौत के घाट उतार दिया गया था। एडोल्फ हिटलर के सशस्त्र बलों द्वारा लगभग दस लाख लोगों को मार डाले जाने के ख़ौफनाक स्थल आऊशविट्स-बिरकेनाओ नाज़ी नज़रबन्दी शिविरों की भेंट सन्त पापा फ्राँसिस की पाँच दिवसीय पोलैण्ड यात्रा के तीसरे दिन सम्पन्न हुई जिसके दौरान क्रेकाव में विश्वास के विश्व्यापी समारोह 31वें विश्व युवा दिवस की अध्यक्षता करना शामिल है। 

नाज़ियों की क्रूरता से बच निकले कुछेक वयोवृद्धों से बातचीत के अलावा आऊशविट्स-बिरकेनाओ में सन्त पापा ने कहीं किसी बात नहीं की। इन मृत्यु शिविरों में उन्होंने लगभग दो घण्टे मौन प्रार्थना एवं मनन्-चिन्तन में व्यतीत किये। इस सन्दर्भ में पत्रकारों से वाटिकन के प्रवक्ता फादर फेदरीको लोमबारदी ने कहा, "सन्त पापा मौन का, दया के मौन का, प्रार्थना के मौन का समय चाहते थे।"  

आऊशविट्स-बिरकेनाओ की भावप्रवण भेंट के उपरान्त क्रेकाव के महाधर्माध्यक्षीय निवास बाहर एकत्र तीर्थयात्रियों को दर्शन देते समय सन्त पापा फ्राँसिस ने एक बार फिर 70 वर्षों पूर्व की बर्बरता को याद करते हुए कहा, "कितना दुःख, कितनी पीड़ा! क्या यह सम्भव है कि ईश प्रतिरूप में सृजित हम मनुष्य यह सब करने में सक्षम हैं?" फिर उन्होंने कहा, "मैं कटु होना नहीं चाहता हूँ, किन्तु सत्य बोलने पर मजबूर हूँ। क्रूरता आऊशविट्स-बिरकेनाओ में समाप्त नहीं हुई। आज भी ... लोगों को उत्पीड़ित किया जा रहा है। बात उगलवाने के लिये अनेक क़ैदियों को यातनाएँ दी जा रही हैं। आज भी विश्व के उन अनेक भागों में जहाँ युद्ध जारी है यही सब हो रहा है।"

सन्त पापा फ्राँसिस की पोलैण्ड प्रेरितिक यात्रा शुक्रवार के दिन दुःख और पीड़ा विषय पर केन्द्रित रही। इसी दिन सन्ध्या क्रेकाव के विशाल घास के मैदान पर लगभग आठ लाख काथलिक युवा सन्त पापा के नेतृत्व में पवित्र क्रूस के मार्ग पर चिन्तन के लिये एकत्र हुए। पवित्र क्रूस मार्ग प्रभु येसु ख्रीस्त के दुखभोग और क्रूसमरण के 14 मुकामों पर चिन्तन और प्रार्थना का सुअवसर हुआ करता है जिसका पाठ विश्व के काथलिक धर्मानुयायी चालीसाकाल एवं पुण्य शुक्रवार के दिन करते हैं।

इस अवसर पर विश्व के विभिन्न राष्ट्रों से पौलैण्ड में एकत्र युवा काथलिकों का सन्त पापा ने आह्वान किया कि वे शरणार्थियों एवं अन्य तरह से प्रताड़ित लोगों के प्रति दया दिखायें। उन्होंने प्रश्न किया, "उस समय ईश्वर कहाँ रहते हैं जब निर्दोष लोग हिंसा, आतंकवाद एवं युद्ध के कारण मरते हैं?" ये, उन्होंने कहा, "ऐसे प्रश्न हैं जिनके मानवीय तौर पर कोई उत्तर नहीं हैं।"








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