2016-07-29 17:10:00

बाल-चिकित्सा अस्पताल का दौरा, ख्रीस्तीय प्रेम से प्रेरित होकर सेवा करें


क्राकॉव, शुक्रवार, 29 जुलाई 2016 (वीआर सेदोक): पोलैंड की प्रेरितिक यात्रा के तीसरे दिन संत पापा फ्राँसिस ने प्रोकोचिम स्थित बाल-चिकित्सा अस्पताल का दौरा किया जो देश का एक बड़ा अस्पताल हैं और जहाँ प्रत्येक वर्ष लगभग 30 हज़ार बीमार बच्चों को चिकित्सा प्रदान की जाती है।

अस्पताल में संत पापा ने 50 रोगी बच्चों और उनके माता-पिता से मुलाकात की तथा उन्हें सम्बोधित कर कहा, ″क्राकॉव की यात्रा में, इस अस्पताल के बीमार छोटे बच्चों से मुलाकात को मैं  नहीं छोड़ सकता था।″

संत पापा ने बीमार बच्चों के प्रति स्नेह प्रदर्शित करते हुए कहा, मैं आप प्रत्येक के करीब आकर, आपके बगल में खड़ा होना एवं आपका आलिंगन करना चाहता हूँ। मैं आप प्रत्येक को सुनना चाहता हूँ शायद कुछ ही समय के लिए तथा आपके सवालों का उत्तर देने में असमर्थ होते हुए भी किन्तु प्रार्थना के साथ।

सुसमाचार बहुधा येसु को रोगियों से मिलते, उनका आलिंगन करते तथा उन्हें खोजते हुए दिखलाता है। येसु हमेशा उनका ख्याल रखते थे। वे उन्हें उसी तरह निहारते थे जिस तरह एक माँ अपने बच्चे को निहारती है। वे उनके प्रति दया से द्रवित हो जाते थे।″

उन्होंने कहा, ″मैं कितना चाहता हूँ कि हम ख्रीस्तीय भी येसु के समान बीमारों के करीब रहें, मौन एवं स्नेह किन्तु प्रार्थना के साथ।

दुर्भाग्य से, हमारे समाज में नष्ट करने की प्रवृति प्रबल हो गयी है जो स्वीकार करने की संस्कृति के विपरीत है। दुःखद बात यह है कि नष्ट करने वाली संस्कृति के शिकार असहाय एवं अत्यन्त कमजोर लोग हैं जो निश्चय ही क्रूरता है। यह कितना अच्छा है कि इस अस्पताल में छोटे एवं जरूरतमंद लोगों का स्वागत और उनकी देखभाल की जाती है। प्रेम के इस महान चिन्ह के लिए धन्यवाद। संत पापा ने कहा कि सबसे वंचित लोगों को सामाजिक एवं राजनैतिक विषय का केंद्र बनाना सच्ची नागरिकता, मानवता एवं ख्रीस्तीयता का चिन्ह है।

उन्होंने कहा कि कई बार परिवार इस सुविधा को प्रदान करने में अकेलापन महसूस करता है। ऐसी परिस्थिति में क्या किया जा सकता है? उन्होंने कहा कि हमें स्वागत करने की संस्कृति को बढ़ावा देना तथा ख्रीस्तीय प्रेम से प्रेरित होकर लोगों की सेवा करना चाहिए। प्रेम एवं कोमलता से लोगों को सेवा दें जिन्हें हमारी सेवा की आवश्यकता है ताकि हम एक साथ इंसानियत में बढ़ सकें। यह हमारे सामने अनन्त जीवन के द्वार को खोल देता है। दया के कार्यों में संलग्न लोगों को मृत्यु का कोई भय नहीं।

संत पापा ने अस्पताल में सेवारत सभी कर्मचारियों को धन्यवाद दिया तथा उनके लिए आंतरिक शांति एवं स्नेही हृदय की कामना की। 








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