2016-07-28 12:37:00

युद्ध जारी है किन्तु यह धर्मों का युद्ध नहीं है, सन्त पापा फ्राँसिस


क्रेकाव, पोलैण्ड, 28 जुलाई सन् 2016 (सेदोक): "...जब मैं युद्ध की बात करता हूँ तब मैं गम्भीरतापूर्वक कहता हूँ कि धर्मों का युद्ध नहीं है। जी नहीं। यह धर्मों का युद्ध नहीं है अपितु यह स्वार्थ का, धन का, प्राकृतिक संसाधनों को हड़पने का तथा लोगों पर हावी होने का युद्ध है। यही युद्ध जारी। हम धर्मों के बीच युद्ध की बात नहीं कर रहे, जी नहीं। सभी धर्म शांति की कामना करते हैं, वे और लोग हैं जो युद्ध चाहते हैं।"

श्रोताओ, ये थे रोम से पोलैण्ड की हवाई यात्रा के दौरान सन्त पापा फ्राँसिस द्वारा उच्चारित शब्द।

सार्वभौमिक काथलिक कलीसिया के परमधर्मगुरु सन्त पापा फ्राँसिस बुधवार 27 जुलाई को 31 वें विश्व युवा दिवस के समारोहों की अध्यक्षता हेतु पोलैण्ड के क्रेकाव शहर पधारे थे। 27 जुलाई से 31 जुलाई तक जारी सन्त पापा फ्राँसिस की पोलैण्ड प्रेरितिक यात्रा, इटली से बाहर उनकी 15 वीं विदेश यात्रा है।

विश्व में दिन ब दिन की हिंसक घटनाओं के मद्देनज़र पत्रकारों द्वारा पूछे गये सवालों के जवाब में सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा कि सब लोग असुरक्षा की बात करते हैं किन्तु असली शब्द है, युद्ध। "... यह युद्ध है। विश्व में 1914 का युद्ध था, फिर था 1939 का और फिर था बड़ा युद्ध सन् 1945 का। अब ऐसा युद्ध जारी है जो, सम्भवतः, सुघटित नहीं है किन्तु सुनियोजित तो है ही।" बुधवार सन्ध्या की प्रेस ब्रीफिंग में वाटिकन के प्रवक्ता फादर फेदरीको लोमबारदी ने पत्रकारों से कहा कि इन शब्दों द्वारा सन्त पापा फ्राँसिस ने इस तथ्य को स्पष्टतः रेखांकित करना चाहा है कि धर्मों के बीच कोई झगड़ा नहीं है।

आम तौर पर विश्व युवा दिवस हर्षोल्लास से परिपूर्ण आनन्दमय समारोह हुआ करते हैं किन्तु फ्राँस के नॉरमान्डिया प्रान्त स्थित सेन्ट एतियेन के एक काथलिक गिरजाघर में आतंकवादियों द्वारा एक काथलिक पुरोहित की हत्या ने इस समारोह पर अपनी काली परछाई छोड़ दी। दो इस्लामी उग्रवादियों द्वारा 85 वर्षीय काथलिक पुरोहित जैक हामेल को उनके घुटनों पर गिरने को मजबूर किये जाने तथा गर्दन काटकर उनकी निर्मम हत्या ने इस विश्व युवा दिवस समारोह को दहला दिया है।

फ्राँस में आईएस इस्लामी लड़ाकाओं से प्रभावित आतंकवादियों द्वारा फादर जैक हामेल की हत्या के सन्दर्भ में सन्त पापा ने कहा, "ये पवित्र पुरोहित उस क्षण शहीद हुए जब वे सम्पूर्ण कलीसिया के लिये प्रार्थना अर्पित कर रहे थे, ये केवल एक उदाहरण हैं, इनके अतिरिक्त कितने निर्दोष लोग,  बच्चे मारे जा रहे हैं। नाईजिरिया का उदाहरण ले लें किन्तु वह अफ्रीका है...वहाँ युद्ध जारी है। हम इस सत्य को प्रकट करने से नहीं डरते कि विश्व में युद्ध जारी है क्योंकि उसने शांति को खो दिया है। तथापि, सन्त पापा ने कहा, यौवन हमें सदैव आशा की किरण दिखाता है। हमारी आशा है कि इस क्षण हमारे युवा हममें आशा का संचार करेंगे।" 

इसी बीच, फ्राँस के बोर्दो से विश्व युवा दिवस के लिये क्रेकाव पहुँचे 20 वर्षीय युवा तीर्थयात्री "जूलाओमे" ने पत्रकारों से कहा, "बड़े अविश्वास के साथ हमने यह दुखद ख़बर सुनी, हमें आश्वस्त करने की कोशिश करते हमारे माता पिता ने हमें फोन पर यह ख़बर सुनाई।" असमन्जस में पड़े   "जूलाओमे" ने कहा, "सन्त पापा जॉन पौल द्वितीय ने कहा है कि हमें सबके प्रति सहिष्णु रहना चाहिये तथा कभी भी हिंसा का सहारा नहीं लेना चाहिये। मेरा हृदय मुझसे कहता है कि यही सच है किन्तु जो कुछ सेन्ट एतियेन के गिरजाघर में हुआ उसके बाद से मेरा मस्तिष्क मुझे और कुछ कह रहा है।"

ग़ौरतलब है कि सन्त पापा जॉन पौल द्वितीय ने ही सन् 1984 ई. में विश्व युवा दिवसों का सूत्रपात किया था। तब से अब तक विश्व के सभी महाद्वीपों के विभिन्न महानगरों में धर्मप्रान्तीय स्तरों पर 30 तथा अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर 12 विश्व युवा दिवसों का आयोजन किया जा चुका है।








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