2016-07-28 16:17:00

दूसरों की पहचान के प्रति सम्मान एवं जागरूकता द्वारा हम आपसी सम्मान में बढ़ें, संत पापा


क्राकॉव, बृहस्पतिवार, 28 जुलाई 2016 (वीआर सेदोक): पोलैंड की प्रेरितिक यात्रा के प्रथम दिन 27 जुलाई को, संत पापा फ्राँसिस ने क्राकॉव के वावेल में, पोलैंड के राष्ट्रपति अंद्रेज दूदा, राजनायिकों, विश्वविद्यालय के प्राचार्यों एवं अन्य सरकारी अधिकारियों से मुलाकात की।

संत पापा ने कहा कि मध्यपूर्वी यूरोप में यह उनकी पहली यात्रा है जिसको उन्होंने पोलैंड से आरम्भ किया है जो विश्व युवा दिवस के संस्थापक एवं प्रोत्साहक संत पापा जॉन पौल द्वितीय की जन्म भूमि है।

संत पापा ने पोलैंड के नागरिकों की विशेषता पर प्रकाश डालते हुए कहा, ″स्मृति पोलैंड के लोगों की विशिष्टता है। मैं संत पापा जॉन पौल द्वितीय के इतिहास के प्रति ज्वलंत भावना से हमेशा प्रेरित होता हूँ। जब कभी वे लोगों से बातें करते थे वे अपने इतिहास से शुरू करते थे जिससे कि वे अपने मानवता और आध्यात्मिकता के धन को प्रकट कर सकें।″ संत पापा ने कहा कि अपनी पहचान की चेतना, दूसरों से श्रेष्ठ होने के हर अभिमान से मुक्त, मानवीय, सामाजिक, राजनैतिक, आर्थिक तथा धार्मिक धरोहर की पृष्ठभूमि पर, एक राष्ट्रीय समुदाय की स्थापना अपरिहार्य है, इस प्रकार सामाजिक एवं सांस्कृतिक जीवन से प्रेरित होने का अर्थ परम्परा के प्रति निरंतर विश्वस्त रहना है किन्तु इसके साथ ही नवीनीकरण एवं भविष्य के प्रति खुला होना भी आवश्यक है। इसी भावना से आपने पोलैंड में ख्रीस्तीय धर्म के प्रादुर्भाव की 1050वीं वर्षगाँठ मनायी है जो देश की एकता का एक महान अवसर था। जिसने विचारों की विविधता के बावजूद सद्भावना को सुदृढ़ किया हैं इस तरह यह पोलैंड की समस्त जनता की सार्वजनिक भलाई के लिए एक पक्का रास्ता है।

संत पापा ने कहा कि उसी तरह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फलप्रद सहयोग एवं अपने तथा दूसरों की पहचान के प्रति सम्मान एवं जागरूकता द्वारा हम आपसी सम्मान में बढ़ सकते हैं। वार्ता की शुरूआत तब तक नहीं हो सकती है जब तक कि खुद का परिचय देते हुए इसे शुरू न किया जाए।

प्रत्येक व्यक्ति एवं समाज के दैनिक जीवन में दो तरह की यादें होती हैं, अच्छी और बुरी, सकारात्मक और नकारात्मक। अच्छी यादें हमारे मन में वैसी ही भावना उत्पन्न करती हैं जैसा कि मरियम भजन, ईश्वर तथा उनके मुक्ति कार्यों का बखान करने हेतु प्रेरित करती है जबकि नकारात्मक यादें हमारे मन और दिल को बुराई से जोड़े रखती हैं, खासकर, दूसरों द्वारा हमारे लिए की गयी बुराई।

संत पापा ने देश में हाल के दिनों घटी अच्छी घटनाओं की याद दिलाते हुए कहा, ″मैं ईश्वर को धन्यवाद देता हूँ कि आपके मन में अच्छी यादें हैं, उदाहरणार्थ पोलिश एवं जर्मन धर्माध्यक्षों के बीच क्षमाशीलता की 50वीं वर्षगाँठ। दूसरी महत्वपूर्ण घटना है, पोलैंड की काथलिक कलीसिया एवं मास्को की ऑर्थोडॉक्स कलीसिया के बीच संयुक्त घोषणा जिसने मेल-मिलाप की प्रक्रिया एवं भाईचारा का उद्घाटन किया, न केवल इन दोनों कलीसियाओं के बीच किन्तु अन्य लोगों के बीच भी। इस प्रकार, पोलैंड ने अच्छी यादों को विकसित करने और बुरी यादों को पीछे छोड़ने का आदर्श प्रस्तुत किया है। संत पापा ने कहा कि इसके लिए ईश्वर पर पूर्ण आशा एवं भरोसा की आवश्यकता है जो बंद दरवाजों को खोलते, समस्याओं को अवसर में बदल देते और उस परिस्थिति को आशामय बना देते हैं जो आशाहीन प्रतीत होता है। इसका सच्चा उदाहरण पोलैंड के इतिहास में देखने को मिलता है। 

संत पापा ने लोगों को भय से मुक्त होने एवं बेहतर चीजों का चयन करने का उपाय बतलाते हुए कहा कि इसके लिए महान प्रज्ञा एवं सहानुभूति की आवश्यकता है। इसके लिए पोलैंड से विस्थापन के कारणों का पता लगाना है तथा विस्थापित लोगों को पुनः वापस आने हेतु प्रेरित करना है। उन लोगों का स्वागत करने के लिए तत्पर रहना है जो युद्ध एवं भूख से बचकर आते हैं तथा उन लोगों के साथ एकात्मता की भावना रखना जो मौलिक अधिकारों से वंचित हैं एवं अपने विश्वास की अभिव्यक्ति नहीं कर पाते हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संघर्ष और युद्ध जो कई लोगों को अपने घर एवं अपनी भूमि छोड़ देने हेतु मजबूर करता है, उसके समाधान हेतु नये प्रकार के आदान-प्रदान एवं सहयोग की आवश्यकता है अर्थात् दुःख को दूर करने का हर सम्भव प्रयास करना किन्तु मानवीय एवं ख्रीस्तीय मूल्यों का साक्ष्य प्रस्तुत करते हुए न्याय एवं शांति की स्थापना हेतु विवेक और निरंतरता के साथ अथक परिश्रम करना। 

संत पापा ने पोलैंड के सभी नागरिकों को निमंत्रण दिया कि वे भविष्य को आशा के साथ देखें जो समाज में सभी लोगों के प्रति सम्मानपूर्ण वातावरण उत्पन्न करेगा। युवा न केवल समस्याओं का सामना करें किन्तु सृष्टि की सुन्दरता का आनन्द लें। हम सभी जीवन का सम्मान एवं उसकी रक्षा करने के लिए बुलाये गये हैं। यह देश, कलीसिया एवं समाज का उत्तरदायित्व है कि गम्भीर समस्याओं में पड़े लोगों की सहायता करे ताकि एक बच्चा बोझ नहीं वरन वरदान के रुप में देखा जा सके और कमजोर एवं गरीब व्यक्ति परित्यक्त महसूस न करें।

संत पापा ने पोलैंड में काथलिक कलीसिया के योगदान की ओर ध्यान आकृष्ट करते हुए कहा कि पोलैंड अपने पूरे इतिहास में कलीसिया के योगदान को गिन सकता है। उन्होंने कहा कि कलीसिया ने देश को अपने मौलिक ख्रीस्तीय सिद्धांतों द्वारा आशा एवं भरोसा के साथ अपनी परम्परा के प्रति विश्वस्त रहने का बल प्रदान किया, यहाँ तक कि कठिनाईयों के क्षण में भी। 








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