2016-07-05 11:43:00

प्रेरक मोतीः सन्त अन्तोनी मरिया जखारिया (1502-1539) (5 जुलाई)


वाटिकन सिटी, 05 जुलाई सन् 2016:

इटली के सन्त अन्तोनी मरिया जखारिया का जन्म क्रेमोना नगर में सन् 1502 ई. में हुआ था। जब वे दो वर्ष के थे तब ही उनके पिता का देहान्त हो गया था जिसके बाद माता ने अकेले ही उनका लालन पालन किया तथा उनमें नैतिक एवं मानवीय मूल्यों को आरोपित किया। सन् 1520 ई. में उन्होंने पाविया के विश्वविद्यालय से दर्शन शास्त्र में, तथा सन् 1524 में, पादोआ से चिकित्सा शास्त्र में स्नातक की डिगरीयाँ प्राप्त की। इसके बाद, तीन वर्षों तक, अन्तोनी, क्रेमोना में चिकित्सक रहे।

सन् 1527 ई. में उन्होंने पुरोहिताभिषेक के लिये अध्ययन किया और एक वर्ष बाद सन् 1528 ई. में ही वे पुरोहित अभिषिक्त हो गये। पुरोहिताभिषेक के बाद वे अस्पताल प्रेरिताई में लगे रहे और साथ ही कईयों के मार्गदर्शक बने जिनमें ग्वासताल्ला की प्रान्ताध्यक्षा लूडोवीका तोरेल्ली भी शामिल थीं। सन् 1530 ई. में लूडोवीका के कहने पर ही डॉ. अन्तोनी उनके साथ मिलान चले गये। मिलान में उन्होंने तीन धर्मसमाजों की आधार शिला रखी। ये थेः बेर्नाबाईट्स नामक सन्त पौल को समर्पित पुरोहितों का धर्मसमाज, सेन्ट पौल आन्जेलिक सिस्टर्स नामक धर्मबहनों का धर्मसंघ तथा विवाहित दम्पत्तियों के लिये सन्त पौल लोकधर्मी समुदाय। सन्त पौल की शिक्षाओं का प्रचार प्रसार तथा यूखारिस्त एवं क्रूसित प्रभु ख्रीस्त की भक्ति को प्रोत्साहन देना इन धर्मसमाजों का मिशन था।

अपने इस मिशन में फादर अन्तोनी मरिया जखारिया को विरोधों एवं अपकीर्ति का भी सामना करना पड़ा। विवादों के कारण सन् 1536 में उन्हें धर्मसमाज प्रमुख के पद से भी हटना पड़ा किन्तु प्रभु ख्रीस्त में अपने अटल विश्वास के कारण वे टूटे नहीं तथा क्रेमोना छोड़कर विचेन्सा चले गये। विचेन्सा में उन्होंने पवित्र संस्कार की चालीस घण्टे वाली आराधना को प्रोत्साहित किया जो आज भी अत्यधिक लोकप्रिय है। प्रभु येसु के क्रूसमरण की याद में उन्होंने शुक्रवारों को दोपहर तीन बजे गिरजाघरों के घण्टों को बजाये जाने की परम्परा स्थापित की। त्याग-तपस्या तथा उपवास एवं परहेज़ों का फादर अन्तोनी कठोरता से पालन करते थे जिससे उनका स्वास्थ्य बिगड़ता गया था। सन् 1539 ई. में, तेज़ बुखार आने के बाद 05 जुलाई को उनका निधन हो गया था। उनके मरने के 27 वर्षों बाद उनका शव अविकृत पाया गया था। सन्त अन्तोना मरिया जखारिया के पवित्र अवशेष मिलान शहर स्थित सन्त बरनाबस के गिरजाघर में सुरक्षित हैं। सन् 1890 ई. में उन्हें धन्य तथा 1897 ई. में, सन्त घोषित किया गया था। उनका पर्व 05 जुलाई को मनाया जाता है। 

चिन्तनः पवित्र यूखारिस्त की भक्ति एवं क्रूसित प्रभु ख्रीस्त पर चिन्तन से हम अन्यों की सेवा हेतु आन्तरिक ऊर्जा प्राप्त करें।








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