2016-07-05 16:36:00

नशीली पदार्थों के सेवन के विरोध में मियाओ धर्मप्रांत का जागरुकता अभियान


ईटानगर, मंगलवार, 5 जुलाई 2016(एशिया समाचार):  अरुणाचल प्रदेश के मियाओ धर्मप्रांत ने युवाओं के बीच मादक पदार्थों के सेवन की बढ़ती हुई समस्या से लड़ने के लिए जागरुकता अभियान का फैसला लिया है।

इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए, स्थानीय कलीसिया के अधिकारियों ने योजना बनाई है कि धर्मप्रांत के छात्र ही अपने साथी छात्रों के साथ नशीली दवाओं के प्रयोग से उनके जीवन और देश के भविष्य पर होने वाले गंभीर प्रभावों के बारे में चर्चा करेंगे।

इस जागरुकता अभियान के तहत धर्मप्रांतीय युवा संघ और अरुणाचल प्रदेश की महिला कल्याण संस्था मिलकर 9 जुलाई तक राज्य के हर स्कूल का दौरा करेंगे।

 पिछले सप्ताह चांगलांग जिले के नेओटान स्थित  न्यूमैन स्कूल के छात्रों के लिए एक बैठक का आयोजन किया था। जिसमें छात्रों ने नशीली दवाओं के दुरुपयोग और उससे होने वाले दुषपरिणाम से छात्रों को अवगत कराया।

न्यूमैन स्कूल के प्रिंसिपल फादर फेलिक्स एंथोनी ने कहा, "अरुणाचल प्रदेश में हर दस युवाओं में एक या तो नशीली दवाओं का स्वाद चखा लिया है या उसका आदी बन गया है।"

उन्होंने कहा, "हालांकि कितने छात्र नशा के आदी हो गये हैं इसका कोई सही आधिकारिक आंकड़ा नहीं है पर अधिकांश युवक  अफीम, ब्राउन शुगर (हेरोइन) वगैरह मादक पदार्थों का सेवन करते हैं। खतरे की बात तो यह है कि वे 16 वर्ष की उम्र में ही ड्रग्स के आदी हो जाते हैं और उनके माता पिता का उन पर कोई नियंत्रण नहीं है।"

धर्मप्रांतीय युवा संघ के अध्यक्ष ने कहा, "नशा सेवन करने वाले छात्रों की बढ़ती संख्या से वे बहुत परेशान है। नशा के आदी छात्र न केवल खुद को बल्कि अपने परिवारों और बड़े पैमाने पर समाज को नष्ट कर रहे हैं। "

अरुणाचल प्रदेश की महिला कल्याण समिति की अध्यक्ष मोसांग ने छात्रों से कहा, "जब मैं एक छात्र थी, तो हमारा मार्गदर्शन करने वाला कोई भी नहीं था। आप एक बेहतर कल के लिए बड़ों की बात सुनिये।"

देश के उत्तर-पूर्वी सीमावर्ती क्षेत्रों में नशीली दवाओं की अवैध गतिविधियों पर नजर रखने वाली  नारकोटिक्स प्रवर्तन और खुफिया एजेंसी ने सन् 2014 में चेतावनी दी थी कि नशीली दवाओं के सेवन से अरुणाचल प्रदेश के आदिवासियों की आबादी का "अस्तित्व" खतरे में है।








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