2016-07-05 11:29:00

अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलन में परमधर्मपीठ ने उठाया फिलीस्तीन का प्रश्न


जिनिवा, मंगलवार, 5 जुलाई 2016 (सेदोक): जिनिवा में इसराएली फिलीस्तीनी शांति के समर्थन में आयोजित अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलन में परमधर्मपीठ ने फिलीस्तीन के प्रश्न को एक बार फिर उठाया।

विगत सप्ताह जिनिवा में सदस्य राष्ट्रों को सम्बोधित करते हुए संयुक्त राष्ट्र संघ में परमधर्मपीठ के स्थायी पर्यवेक्षक महाधर्माध्यक्ष ईवान यूरकोविट्स ने कहा कि इसराएल एवं फिलीस्तीन के बीच शांति सम्भव है किन्तु आज तक इसके लिये जो रास्ते खोजे गये हैं वे सन्तोषजनक नहीं रहे हैं।

महाधर्माध्यक्ष महोदय ने कहा, "दशकों की वार्ताएं फिलीस्तीन राज्य के निर्माण में सफल नहीं हुई हैं तथा नौ वर्षों पूर्व हस्ताक्षरित प्रस्ताव 181 को कार्यरूप नहीं दिया जा सका है। ठोस वार्ताओं की कमी, बढ़ती हिंसा तथा ऑस्लो समझौते की वैधता पर गंभीर संदेह यह दर्शाते हैं कि इस प्रश्न को हल नहीं किया गया है और यह तथा अधिक जटिल हो चला है।"     

महाधर्माध्यक्ष ने कहा, "परमधर्मपीठ आरम्भ ही से दो राज्य वाले समाधान का प्रस्ताव करती रही है। सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने, सन् 2009 में, पवित्र भूमि की यात्रा के अवसर पर कहा था, "विश्वव्यापी स्तर पर यह मान्य हो कि इसराएल को राज्य के रूप में अपने अस्तित्व तथा अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर मान्य सीमाओं के अन्तर्गत रहकर शांति एवं सुरक्षा में जीवन यापन का अधिकार है। इसी प्रकार यह भी मान्य हो कि फिलीस्तीनी लोगों को संप्रभु स्वतंत्र मातृभूमि     का अधिकार है जहाँ वे गरिमा के साथ जीवन यापन कर सकें तथा स्वतंत्रतापूर्वक आवागमन कर सकें। दो राज्य वाले समाधान को वास्तविकता में परिणत होने दें इसे स्वप्न मात्र नहीं रहने दिया जाये।"

महाधर्माध्यक्ष ने स्मरण दिलाया कि सन् 2014 में बेथलेहेम में सन्त पापा फ्राँसिस ने भी इसी बात की पुनरावृत्ति की थी। उन्होंने कहा था, "समय आ गया है कि हर व्यक्ति उदार बनने का साहस खोजे, जनकल्याण की सेवा में रचनात्मक बने, दो राज्यों वाले समाधान को मान्यता देने की शक्ति प्राप्त करे तथा अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर मान्य सीमाओं के अन्तर्गत शांति एवं सुरक्षा में जीवन यापन करे।"

महाधर्माध्यक्ष ने कहा कि यदि इसराएल और फिलीस्तीन शांति में जीवन यापन करना चाहते हैं तो उन्हें अपने अहंकार त्याग करना पड़ेगा तथा समझौते के आगे झुकने के लिये साहस और दृढ़ संकल्प जुटाना होगा।








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