2016-07-02 16:43:00

भारतीय अदालत का कहना है समलैंगिकों और नपुँसकों में कोई समानता नहीं


नई दिल्ली, शनिवार, 2 जुलाई 2016 (ऊकान) : भारतीय काथलिक कलीसिया के नेता सुप्रीम कोर्ट के इस स्पष्टीकरण से सहमत हैं कि, समलैंगिकों और उभयलिंगियों से नपुँसक लोग अलग हैं।

संघीय सरकार द्वारा 2014 में बनाये गये नपुँसक लोगों को एक सम्मानजनक जीवन देने के लिए “तीसरे लिंग” के रुप में भ्रम का स्पस्टीकरण करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 30 जून को कहा कि नपुँसकों को समलैंगिकों और उभयलिंगियों का दर्जा में नहीं रखा जा सकता है। 

अदालत ने नपुँसकों के हित में किये गये फैसले को बिना देरी लागू करने हेतु सरकार को निर्देश दिया है जिससे सामाजिक रूप से पिछड़े वर्ग के रूप में इन लोगों का इलाज और उन्हें सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में दाखिला मिल सके।

दिल्ली महाधर्मप्रांत के प्रवक्ता फादर सावरीमुत्तु ने ऊका समाचार से कहा, "यह बुनियादी और सामान्य ज्ञान की बात है समलैंगिक कैसे नपुसकों की श्रेणी में आ सकते हैं ?" उन्होंने कहा कि नपुँसक शब्द लिंग से संबंधित है जबकि समलैंगिकता यौन अभिविन्यास से संबंधित हैं।

भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के अधिकारी फादर जेड. देवसहायराज ने कहा, यौन अभिविन्यास से जैविक अभिविन्यास पूर्णरुपेण अलग है।








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