2016-06-29 16:52:00

बंद द्वार को खोलने का उत्तम रास्ता है प्रार्थना


वाटिकन सिटी, बुधवार, 29 जून 2016 (वीआर सेदोक): संत पापा फ्राँसिस ने बुधवार 29 जून को कलीसिया के स्तम्भ प्रेरित संत पेत्रुस एवं संत पौलुस के महापर्व के उपलक्ष्य में वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर में समारोही ख्रीस्तयाग अर्पित किया तथा प्रवचन में ‘बंद करने’ और ‘खोलने’ के विपरीतार्थक शब्दों पर चिंतन किया।

उन्होंने प्रवचन में कहा, ″आज की धर्मविधिक पाठ खोलने और बंद करने जैसे विपरीतार्थक शब्दों को प्रस्तुत करता है। इस तस्वीर के साथ हम कुँजी के प्रतीक का स्मरण करते हैं जिसकी प्रतिज्ञा येसु ने सिमोन पेत्रुस से की थी ताकि वे स्वर्ग राज्य के द्वार को खोल सकें तथा लोगों के लिए उसे बंद न करें जैसा कि कुछ फरीसी एवं संहिता के विद्वान किया करते थे।″

संत पापा ने प्रेरित चरित से लिए गये पाठ पर चिंतन करते हुए कहा कि यह बंद करने के तीन उदाहरणों को प्रस्तुत करता है, पेत्रुस का बंदीगृह में डाला जाना, ख्रीस्तीय समुदाय का बंद दरवाजे के अंदर प्रार्थना करना तथा योहन की माता मरियम के बंद दरवाजे को पेत्रुस द्वारा दस्तक।   

संत पापा ने कहा कि बंद रहने के इस तीनों उदाहरणों में ‘प्रार्थना’ बाहर निकलने का प्रमुख माध्यम प्रतीत होता है। जब पेत्रुस प्रभु के मिशन के खातिर बंदीगृह में बंद था विश्वासी समुदाय ने लगातार उनके लिए प्रार्थना की। प्रभु ने उनकी प्रार्थना सुनी और अपने दूत को उनके पास भेजा जिसने पेत्रुस को जेल से मुक्त कर दिया। संत पापा ने कहा कि प्रार्थना ईश्वर के प्रति विनम्र आस्था है। उनकी पवित्र इच्छा है कि हमें बंद में से बाहर निकालें, व्यक्तिगत अथवा सामूहिक।

संत पौलुस के बारे बतलाते हुए संत पापा ने कहा कि उन्होंने भी तिमोथी को लिखे अपने पत्र में स्वतंत्र किये जाने के अनुभव को बतलाया है। वे बतलाते हैं कि प्रभु उनके बगल में खड़े हो गये तथा राष्ट्रों में सुसमाचार के कार्य को आगे बढ़ाने हेतु शक्ति प्रदान की। (2 तिम.4:17) संत पौलुस एक बृहद ‘खुलने’ की बात करते हैं जिसका क्षितिज असीम है। यह क्षितिज अनन्त जीवन का है जो उन्हें पृथ्वी पर उनके जीवन समाप्त होने का इंतजार करता है।

हम प्रेरितों के जीवन को सुसमाचार की सेवा हेतु बाहर जाने के रूप में देखते हैं। संत पौलुस का जीवन ख्रीस्त को उन लोगों के बीच लाने हेतु निर्धारित था जो उनको बिलकुल नहीं जानते थे।

संत पापा ने संत पेत्रुस की ओर पुनः ध्यान आकृष्ट करते हुए कहा कि सुसमाचार में उनके विश्वास की अभिव्यक्ति तथा येसु द्वारा मिशन सौंपा जाना पेत्रुस के जीवन को प्रस्तुत करता है जो पहले गलीलिया का एक साधारण मछवारा था किन्तु ईश्वर की कृपा से पूरी तरह खुल गया। पेत्रुस एक यात्रा पर निकला जो चुनौतियों से भरा था जिसने उन्हें अपने आप से बाहर निकलने में मदद किया तथा उसने सभी मानवीय सहायताओं का परित्याग किया। उनके मुक्त होने की इस प्रक्रिया में येसु की प्रार्थना अत्यन्त महत्वपूर्ण है, सिमोन, मैंने तुम्हारे लिए प्रार्थना की है ताकि तुम्हारा विश्वास कमजोर न हो। पेत्रुस के तीन बार अस्वीकार करने के बाद येसु का उनपर नजर डालना, पेत्रुस के हृदय को बेध देता है और उनकी आँखों में पश्चाताप के आँसू निकल आते हैं। इस दृष्टि द्वारा पेत्रुस मुक्त होकर अपने आप में बंद रहने के प्रलोभन से बाहर निकला तथा बिना भय क्रूस के रास्ते पर येसु का अनुसरण किया।

संत पापा ने बंद से खोले जाने की तीसरी घटना का जिक्र करते हुए कहा कि जब पेत्रुस अपने को बंदीगृह से मुक्त पाया तो वह योहन की माता मरियम के बंद द्वार पर दस्तक दी जहाँ से रोदा नामक एक सेविका निकली। उसने पेत्रुस की आवाज पहचान तो लिया किन्तु उसपर विश्वास नहीं कर पायी तथा आनन्द के मारे द्वार खोलने के बदले, अपनी स्वामिनी को बताने दौड़ी। संत पापा ने गौर किया कि भय न केवल ख्रीस्तीय समुदाय को द्वार के अंदर बंद कर देता है किन्तु हमें ईश्वर से भी दूर कर देता है। उन्होंने कहा कि कलीसिया को भी हमेशा इसी का प्रलोभन होता है खतरे को देखकर अपने आप में बंद होने का प्रलोभन किन्तु ईश्वर छोटे ही स्थान से अपना कार्य पूरा करते हैं। संत लूकस बतलाते हैं कि ख्रीस्तीय समुदाय एक साथ मिलकर प्रार्थना कर रहा था। प्रार्थना कृपा के रास्ते को खोल देता है वह भय को साहस, उदासी को आनन्द में और विभाजन को एकता में भी बदल देता है। जिसका उदाहरण ख्रीस्तीय एकतावर्धक वार्ता के प्राधिधर्माध्यक्ष बार्थोलोमियो के प्रतिनिधियों का है जो इस समारोह में शरीक होने रोम आये हैं। उन्होंने कहा कि आज कलीसिया की एकता का त्यौहार है जिसको मनाने हेतु विभिन्न हिस्सों से महाधर्माध्यक्ष पालियुम की आशीष हेतु आये हुए हैं। संत पापा ने कलीसिया के दोनों स्तम्भ संत पेत्रुस और संत पौलुस की मध्यस्थता द्वारा प्रार्थना की कि हम आनन्द के साथ ईश्वर के मुक्ति का अनुभव करने हेतु यात्रा में आगे बढ़ सकें तथा दुनिया को इसका साक्ष्य दे सकें।








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