2016-06-22 15:19:00

मौत की सजा के खिलाफ छठी विश्व कांग्रेस, संत पापा फ्रांसिस का वीडियो संदेश


वाटिकन सिटी, बुधवार 22 जून 2016 (सेदोक) : 21 से 23 जून तक नॉर्वे के ओस्लो में मौत की सजा के खिलाफ छठे विश्व कांग्रेस का आयोजन नॉर्वे के विदेश मंत्रालय द्वारा किया गया है जिसमें दुनिया भर से लगभग 140 संगठन भाग ले रहे हैं। कांग्रेस का उद्देश्य "अनिवार्य रुप से मौत की सजा को खत्म करना और जिन देशों में यह कानून लागू है उनका विरोध करना है।"  इस अवसर पर संत पापा फ्राँसिस ने प्रतिभागियों के लिए उक्त वीडियो संदेश भेजा है

“मैं मौत की सजा के खिलाफ विश्व कांग्रेस के आयोजकों को विशेष रूप से मेजबान देश नॉर्वे को, सभी सरकारी  प्रतिनिधियों, अंतरराष्ट्रीय संगठनों और सभी प्रतिभागियों को बधाई देता हूँ। मेरी व्यक्तिगत प्रशंसा उन पुरुषों और महिलाओं के लिए है जिन्होंने विश्व को मौत की सजा से मुक्त करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दिखाई है। । मौत की सजा के विरोध में जनता की राय में बृद्धि आशा का एक संकेत है। दरअसल आजकल मौत की सजा अस्वीकार्य है यद्यपि व्यक्ति का अपराध कितना ही गंभीर क्यों न हो। यह मानव जीवन की पवित्रता और व्यक्ति की गरिमा के विरुद्ध अपराध है। यह मनुष्यों और समाज के प्रति ईश्वर की योजना तथा उसके करुणामय न्याय के विपरीत है। यह पीड़ितों को न्याय प्रदान नहीं करता अपितु उनके प्रतिशोध को बढ़ाता है।”

ईश्वर की आज्ञा “तुम हत्या नहीं करोगे”, यह निर्दोष और दोषी दोनो पर लागू होता है। दया के असाधरण जयंती वर्ष, विश्व में जीवन के प्रति सम्मान और प्रत्येक व्यक्ति की गरिमा को बढ़ावा देने का एक शुभ अवसर है। यह नहीं भूलना चाहिए कि अपराधी को भी ईश्वर द्वारा दिए गये जीवन को जीने का अधिकार है।

आज मैं मौत की सजा उन्मूलन के साथ-साथ जेल की स्थिति में सुधार लाने के लिए प्रोत्साहित करना चाहता हूँ जिससे कि जेल के अंदर भी कैदियों को मानवीय गरिमा का सम्मान मिले। सजा देने का मूल उद्देश्य अपराधी का पुनर्वास होना चाहिए। अपराधी को सजा इस प्रकार मिलनी चाहिए कि वह समाज में फिर से जुड़ सके।  आशा के बिना कोई सजा (फिटिंग) उचित नहीं है। आशा के बिना सजा, सजा नहीं परंतु यातना है।

संत पापा ने अपने संदेश में सभा के प्रतिभागियों को इस पहल को आगे बढाने हेतु प्रोत्साहन दिया।   








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