2016-06-20 16:05:00

ख्रीस्त में ही हम सच्ची शांति एवं हमारी आकांक्षाओं की पूर्णता प्राप्त कर सकते हैं


वाटिकन सिटी, सोमवार, 20 जून 2016 (वीआर सेदोक): वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में संत पापा फ्राँसिस ने रविवार 19 जून को, भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा,

अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात,

इस रविवार का सुसमाचार पाठ (लूक.9:18-24) पुनः एक बार येसु का उनके शिष्यों के साथ आमने-सामने बात करने की घटना पर चिंतन करने हेतु निमंत्रण देता है। ″ईसा किसी दिन एकान्त में प्रार्थना कर रह थे। उन्होंने अपने शिष्यों से पूछा, मैं कौन हूँ इस विषय में लोग क्या कहते हैं? (पद.18) उन्होंने उत्तर दिया ″योहन बपतिस्ता, कुछ लोग कहते हैं एलियस और कुछ लोग कहते हैं प्राचीन नबियों में से कोई पुनर्जीवित हो गया है।″ (19) इस प्रकार लोग येसु के बारे विभिन्न तरह के विचार रखते थे और उन्हें एक महान नबी मानते थे किन्तु वे उनकी सच्ची पहचान को नहीं समझ पाये थे कि वे मसीह, ईश पुत्र थे जो पिता द्वारा सभी की मुक्ति के लिए भेजे गये थे।  

येसु तब सीधे प्रेरितों से पूछते हैं और तुम क्या कहते हो कि मैं कौन हूँ? पेत्रुस शिष्यों की ओर से तत्काल उत्तर देता है, ″ईश्वर के मसीह″(20) कहने का अर्थ है आप मसीह हैं ईश्वर द्वारा अभिषिक्त तथा उनके द्वारा लोगों की सेवा हेतु भेजे गये, जैसा कि उन्होंने व्यवस्थान स्थापित की थीं एवं प्रतिज्ञाएँ की थीं। इस प्रकार, येसु यह अनुभव करते हैं कि प्रेरित विशेषकर, पेत्रुस ने विश्वास के वरदान को प्राप्त कर लिया था। तब येसु उनके साथ खुलकर बातें करने लगे। सुसमाचार खुले रूप से येसु के साथ येरूसालेम में होने वाली घटना का जिक्र करता है, ″मानव पुत्र को बहुत दुःख उठाना होगा, नेताओं, महायाजकों और शास्त्रियों द्वारा ठुकराया जाना, मार डाला जाना और तीसरे दिन जी उठना होगा।″ (22)

संत पापा ने लोगों को सम्बोधित कर कहा कि यही प्रश्न आज हम प्रत्येक के लिए है, ″हमारे समय के लोगों के लिए येसु कौन हैं?″ दूसरा, इससे भी अधिक महत्वपूर्ण है, ″हम प्रत्येक के लिए येसु कौन हैं? हमें पेत्रुस की तरह उत्तर देने हेतु निमंत्रण दिया जा रहा है। हम सहर्ष उत्तर दें कि येसु ईश पुत्र हैं पिता के अनन्त शब्द जिन्होंने मानव जाति की मुक्ति के लिए मानव का रूप धारण किया तथा हमारे ऊपर असीम करूणा बरसायी है। दुनिया को हर वस्तु से बढ़कर ख्रीस्त की आवश्यकता है उनकी मुक्ति तथा उनके करुणावान प्रेम की। कई लोग अपने आस-पास एवं अपने अंदर खालीपन महसूस करते हैं, शायद कई बार हम भी। कुछ लोग संघर्ष एवं असुरक्षा के कारण बेचैनी और डर का अनुभव करते हैं। हम सभी को अपने गहरे एवं ठोस सवालों का सही उत्तर चाहिए। संत पापा ने कहा कि मात्र ख्रीस्त में ही हम सच्ची शांति एवं हमारी आकांक्षाओं की पूर्णता प्राप्त कर सकते हैं। येसु मानव हृदय को जानते हैं जिसके कारण वे उन्हें चंगाई प्रदान करना, उन्हें जीवन और सहानुभूति प्रदान करना चाहते हैं।

प्रेरितों से वार्तालाप समाप्त करने के बाद सभी लोगों को सम्बोधित कर येसु कहते हैं, ″जो कोई मेरा अनुसरण करना चाहता है वह आत्मत्याग करे और प्रतिदिन अपना क्रूस उठाकर मेरे पीछे हो ले।″ (23) संत पापा ने कहा कि यह कोई धातु का क्रूस नहीं है और न ही वैचारिक क्रूस किन्तु यह जीवन का क्रूस है, हमारे कर्तव्यों का क्रूस, दूसरों के प्रेम खातिर त्याग का क्रूस। माता-पिता, बच्चों, परिवार वालों, मित्रों एवं शत्रुओं के प्रेम के खातिर त्याग। क्रूस का अर्थ है ग़रीबों के प्रति सहानुभूति की भावना रखना, न्याय एवं शांति की खोज आदि। इन मनोभावों को अपनाने पर हमें निश्चय ही कुछ चीजों का परित्याग करना पड़ता है। हमें यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि जो कुछ हम इस जीवन में खो देते हैं हम उसे सुरक्षित रखते हैं। हम खोते हैं ताकि जीत सकें। हम उन सभी भाई बहनों की याद करते हैं जो येसु के इन शब्दों को जीते हैं। वे अपना समय, अपने काम, अपने प्रयास अर्पित करते और यहाँ तक कि अपना जीवन भी येसु पर विश्वास के कारण त्याग देते हैं।

अतः हम पूर्ण आत्मविश्वास के साथ येसु को भाई, मित्र तथा मुक्तिदाता मानते हैं। हम विश्वास करते हैं कि उनके द्वारा विश्वास की यात्रा में आगे बढ़ने एवं साक्ष्य देने हेतु पवित्र आत्मा हमें बल प्रदान करते हैं। जब हम अपनी कथनी अनुसार काम करते हैं तो हम सदा उनके करीब रहते हैं। संत पापा ने माता मरियम से प्रार्थना करने का आह्वान करते हुए कहा, ″अंधकार एवं कठिनाई से होकर गुजरते हुए हम उनसे हाथ जोड़कर प्रार्थना करें।″

इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

देवदूत प्रार्थना के उपरांत संत पापा ने देश-विदेश से एकत्र सभी तीर्थयात्रियों एवं पयर्टकों का अभिवादन किया।

उन्होंने सूचना देते हुए कहा, ″कल फोजिया में परम पवित्र मुक्तिदाता को समर्पित धर्मसमाज की संस्थापिका मरिया चेलेस्ते क्रोसतारोसा की धन्य घोषणा की गयी। अपने आदर्श उदाहरण एवं मध्यस्थता द्वारा वे हमारे सम्पूर्ण जीवन को मुक्तिदाता येसु के पास लाने में मदद दें।

ऑर्थोडोक्स कलीसिया की धर्मविधिक पंचांग अनुसार जुलियन कैलेंडर के आधार पर पेंतेकोस्त महापर्व की याद कर संत पापा ने उनके लिए प्रार्थना अर्पित की।

उन्होंने कहा, ″आइये, हम प्रार्थना द्वारा ऑर्थोडोक्स भाइयों के साथ एक होकर पवित्र आत्मा का आह्वान करें ताकि वे प्रधिधर्माध्यक्षों, महाधर्माध्यक्षों तथा धर्माध्यक्षों की समिति को अपना वरदान  प्रदान करें। फिर, उन्होंने सभी के साथ मिलकर ऑर्थोडोक्स भाइयों के लिए प्रणाम मरियम प्रार्थना का पाठ किया।

संत पापा ने विश्व शरणार्थी दिवस का स्मरण दिलाते हुए कहा कि कल विश्व शरणार्थी दिवस है जिसे संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित किया गया है। इस वर्ष की विषयवस्तु है ″शरणार्थियों के साथ, हम उन सभी के साथ हैं जो भागने के लिए मजबूर हैं।″ संत पापा ने कहा कि शरणार्थी भी अन्य लोगों की तरह ही हैं किन्तु युद्ध ने उनका घर, उनकी जीविका तथा उनके मित्रों को छीन लिया है। उनकी कहानियाँ एवं उनके चेहरे हमें, न्याय एवं शांति स्थापित करने के प्रति हमारे समर्पण को नवीकृत करने की माँग करता है। ईश्वर की इच्छा अनुसार हम एक शांति निर्माता के रूप में उनका साथ दें, उनसे मुलाकात करें, उनका स्वागत करें और उनकी सुनें। 

संत पापा ने उपस्थित सभी का अभिवादन करते हुए कहा, मैं रोम वासियों एवं तीर्थयात्रा में आये आप सभी का अभिवादन करता हूँ विशेषकर, लंदन के विद्यार्थियों, स्टॉकहोम तथा इटली में अफ्रीकी फ्रैंकोफ़ोन समुदाय के लोकधर्मियों का।″ संत पापा ने ″अकरा″ नामक साइकिल सवारी दल का भी अभिवादन किया जो एकात्मता का संदेश फैलाते हैं। 

अंत में उन्होंने सभी को शुभ रविवार की मंगलकामनाएँ अर्पित की।








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