2016-06-17 17:22:00

लोकधर्मियों हेतु परमधर्मपीठ के प्रतिभागियों को संत पापा का संदेश


वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 17 जून 2016, (सेदोक) संत पापा फ्राँसिस ने लोक धर्मियों की प्रेरिताई हेतु गठित परमधर्मपीठीय समिति द्वारा आयोजित सभा के प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि यह बैठक अपने में खास हैं क्योंकि जैसे कि मैंने इसे पहले ही घोषित किया था आपकी समिति को एक नये रुप में पेश किया जायेगा। यह परमधर्माध्यक्षीय रोमी कार्यालय में एक नये विभाग की शुरूआत है जिसने द्वितीय वाटिकन महासभा से लेकर आजतक काथलिक लोक धर्मियों के जीवन में सहभागिता, परिपक्वता और परिवर्तन लाया है। 
लोकधर्मियों  की प्रेरिताई हेतु गठित परमधर्मापीठीय समिति की स्थापना द्वितीय वाटिकन महासभा की इच्छा पर लोकधर्मियों की प्रेरिताई संबंधी निर्णय को लेकर हुई थी जिसके द्वारा प्रेरिताई से संलग्न अधिकारियों को प्रेरितिक कार्य हेतु दिशा निर्देश और सहायता दी जा सके। इस तरह धन्य संत पापा पौल छाटवें ने इस विभाग की स्थापना की थी जो निःसंदेह द्वितीय वाटिकन महासभा के उत्तम फलों में से एक है।

संत पापा ने कहा कि हम इसके बहुप्रतिफल हेतु ईश्वर का धन्यवाद करते हैं। हम विगत दिनों की नये गतिविधियों की याद करते हैं जिसमें आपने सभी को अपना महत्वपूर्ण सहयोग दिया है। नये लोकधर्मी प्रेरितिक कार्य जिसके तहत कई कार्य सम्पादित किये गये विशेषकर, कलीसिया में महिलाओं की सहभागिता, उनकी उपस्थिति और कार्य तथा विश्व युवा दिवस की स्थापना जिसके तहत युवाओं में सुसमाचार का प्रचार होता रहा है।
इस तरह हम कह सकते हैं हमें कलीसिया के प्रेरितिक कामों को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। बपतिस्मा के द्वारा हर ख्रीस्तीय भाई-बहन येसु ख्रीस्त के शिष्य, पृथ्वी के नमक और दुनिया की ज्योति बनते हैं।
उन्होंने कहा कि आज हमें अपने जीवन का पुनरावलोकन करते हुए भविष्य की ओर नये आशा के साथ देखने की जरूरत है क्योंकि हमारे सामने कई नयी चुनौतियाँ हैं और इसी संदर्भ में विभाग का एकीकरण किया गया है।
जयन्ती वर्ष के इस ऐतिहासिक क्षण में कलीसिया को और अधिक करुणा के कार्य को करने का आहृवान किया जाता है। अतः आप उन परिवारों के साथ अपने को संलग्न करें जो कठिनाई में पड़े हैं जिन्हें करुणा की जरूरत है और वे प्रेरितिक कार्य जिनसे हम अछूते हैं। हमें इन लोगों को तैयार करने की जरूरत हैं जो अपनी सेवा कलीसिया को उदारता पूर्व देने को तत्पर हैं।

संत पापा ने सभी प्रतिभागियों के प्रोत्साहित करते हुए कहा कि आप आज्ञापालन और नम्रता में ईश्वर हेतु अपने को खोले जो कभी हताश नहीं वरन् सदैव अचंभित करता है।








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