2016-06-16 16:53:00

जयन्ती वर्ष हेतु 40 नियमों की सूची


मुम्बई, बृहस्पतिवार, 16 जून 2016 (एशियान्यूज़): भारत के धर्मसंघीय सम्मेलन (सीआरआई) ने करुणा के जयन्ती वर्ष को, मनाने हेतु 40 नियमों की एक सूची बनायी है जिसमें प्रार्थना, सेमिनार, दया के ठोस कार्य एवं लोगों से भेंट मुलाकात प्रमुख हैं। 

नियमों की एक सूची संत पापा फ्राँसिस के उस आह्वान के प्रत्युत्तर पर ली गयी है जिसमें उन्होंने जयन्ती वर्ष के उपलक्ष्य में काथलिकों को दया के ठोस कार्य करने तथा साक्ष्य प्रस्तुत करने की अपील की है।

सूची में कहा गया है कि ″हमें नया हृदय धारण करना तथा दया के ठोस कार्यों को अपनाने की आवश्यकता है।″ भारत के धर्मसंघीय सम्मेलन के सदस्य व्यक्तिगत एवं समुदायिक रूप से दया के कार्यों के प्रति प्रतिबद्धता है।

नियमों की सूची के पाँच क्षेत्र हैं, जिसमें व्यक्तिगत मन-परिवर्तन, आपस में मेल-मिलाप, दया के ठोस एवं आध्यात्मिक कार्य, ग़रीबों की मदद तथा कलीसिया के प्रति विनम्र समर्पण आदि।

पहली योजना व्यक्तिगत मन-परिवर्तन में उन आदतों से छुटकारा पाने का प्रयास किया जाएगा जिसके द्वारा दुःख और विभाजन उत्पन्न होता है उदाहरणार्थ, गपशप, पक्षपात, अलग स्वभाव के व्यक्ति का बहिष्कार आदि। जब लोग दान देते हैं तो व्यक्तिगत खर्च की अपेक्षा, उसे ग़रीबों एवं प्रेरिताई हेतु प्रयोग किया जाना चाहिए।

समाज में असहिष्णुता एवं घृणा जैसी भावनाओं में वृद्धि के कारण धर्मसमाजियों को चाहिए कि वे काथलिकों को दया का साक्ष्य देने एवं सभी परिस्थितियों में विभाजन से ऊपर उठने हेतु प्रोत्साहन दें।

योजना में कहा गया है कि कर्मचारियों के साथ प्रेम एवं सम्मान का बर्ताव किया जाना चाहिए। उनके कार्यों की स्थिति, वेतन तथा स्वास्थ्य की जाँच की जानी चाहिए। पैसे की अपेक्षा सेवा कार्य पर अधिक ध्यान दिया जाना चाहिए। स्कूल एवं अस्पताल मुनाफा कमाने का जरिया न बन जाए।

दया के ठोस कार्यों के रूप में योजना में कहा गया है कि अनावश्यक ख़र्चों को बचा कर ग़रीबों की मदद, रक्त एवं अंग दान, गरीबों से मुलाकात, बीमारों की सेवा, विकलांग एवं अप्रवासियों की मदद आदि कार्यों हेतु समय देना आदि। बच्चों को नशापान की बुरी लत से बचाने हेतु शिक्षा देने की बात कही गयी है।

अंततः यह भी कहा गया है कि धार्मिक संस्थाओं में सादगी, बाल शोषण के विरूद्ध संघर्ष तथा ग़रीबों के नजदीक रहने का प्रयास को प्रोत्साहन दिया जाए।








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