2016-06-15 18:24:00

येरीखो के अंधे को दृष्टि


वाटिकन सिटी, बुधवार 15 जून 2016, (सेदोक, वी.आर.) संत पापा फ्राँसिस ने बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर,  धर्मग्रन्थ पर आधारित ईश्वर की करुणा विषय पर अपनी धर्मशिक्षा माला को आगे बढ़ते हुए, संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में जमा हुए हज़ारों विश्वासियों और तीर्थयात्रियों को इतालवी भाषा में कहा,

प्रिय भाइयो एवं बहनो सुप्रभात,

एक दिन येसु येरीखो शहर में प्रवेश करते हुए एक अंधे व्यक्तियों को उनसे निवेदन करने पर आंखों की दृष्टि प्रदान करते हैं। आज हम इस चमत्कार का अर्थ समझने का प्रयास करेंगे क्योंकि यह हमें भी प्रत्यक्ष रुप से प्रभावित करता है। सुसमाचार रचयिता संत लूकस कहते हैं कि वह अंधा व्यक्ति सड़क के किनारे भीड़ से अलग बैठा हुआ था।  दृष्टिहीन व्यक्तियों की स्थिति उन दिनों दयनीय थी जैसे कि उनकी स्थिति आज है। वे लोगों के द्वारा दिये गये दान से अपनी जीविका चलाते थे।

येरीखो, एक अति सुन्दर शहर की पृष्ठभूमि में हम एक गरीब व्यक्ति को उसके दुःख भरी स्थिति में देखते हैं। हम जानते हैं कि येरीखो शहर इसाएलियों के लिए प्रतिज्ञात देश में प्रवेश का द्वार था जहाँ वे मिस्र देश की गुलामी से छुटकारा प्राप्त करने के बाद तुरन्त प्रवेश करते हैं। हम मूसा के वचनों को याद करें, “जब उस देश के तुम्हारे किसी नगर में, जो प्रभु, तुम्हारा ईश्वर तुम्हें देने वाला है तुम्हारा कोई भी भाई कंगाल हो जाये, तो तुम उसके प्रति निर्दय न बनो और उसकी सहायता करने के लिए अपना हाथ बंद मत करो। कंगाल तो बराबर देश में रहेंगे। इसलिए मैं तुम्हें यह आदेश देता हूँ कि अपने देश में रहने वाले अपने कंगाल और गरीब देश भाई के लिए अपना हाथ खुला रखो।” लेकिन सुसमाचार में हमें संहिता के इस आदेश के ठीक विपरीत देखने को मिला है। अंधा व्यक्ति येसु को पुकारता है लेकिन लोग उसे डाँटते और शांत रहने को कहते हैं। वे उस पर कोई दया का भाव प्रदर्शित करने के बजाय उसकी पुकार को सरदर्द के समान देखते हैं। उदासीनता और विरोध में वे अंधे और बहरे बन जाते जिसके कारण वे ईश्वर की उपस्थिति उसमें नहीं देख पाते हैं।

सुसमाचार लेखक हमें बतलाते हैं कि भीड़ में किसी ने उसे बतलाया कि “येसु नासरी गुजर रहे हैं।” यह हमें निर्गमन ग्रंथ में येसु के पार होने की याद दिलाती है जो इसाएलियों को मिस्र देश में बचाते हैं। (नि.12.23) यह “पार होना” दासता से छुटकारा की शुरूआत है। अंधा व्यक्ति इस तरह मानो अपनी स्वतंत्रता हेतु पुकारता है। वह व्यक्ति निडर हो कर येसु को दाऊद के पुत्र के रुप में पहचाना और पुकारता है जो कि मुक्तिदाता ईश्वर हैं जिनकी प्रतीक्षा की जा रही है जो अंधों को दृष्टि दान देने हेतु आते हैं। (इसा.35.5) भीड़ के विपरीत अंधा व्यक्ति अपने विश्वास की आँखों से येसु को देखा है। उसकी पुकार शक्तिशाली है अतः येसु रुकते और उसे अपने पास लाने को कहते हैं। इस तरह येसु उन्हें सड़क के किनारे ले जाते तथा भीड़ और अपने चेलों के बीच खड़ा करते हैं। पहले लोगों ने उस व्यक्ति को सुसमाचार सुनाया लेकिन वे उसके लिए कुछ नहीं करना चाहते हैं। अब येसु सभों को उसकी ओर देखने हेतु विवश करते जिसको उन्होंने दुत्कार दिया था। वह अंधा व्यक्ति नहीं देख सकता हैं लेकिन उसका विश्वास उसके लिए मुक्ति का कारण बनता है। येसु का पार होना करुणा का मिलन है जो हमें उनके साथ संयुक्त करता है जो उनकी सहायता और सांत्वना की चाह रखते हैं।

संत पापा ने कहा कि येसु अंधे व्यक्ति से कहते हैं, “तुम क्या चाहते हो, मैं तुम्हारे लिए क्या करूँ?” येसु के ये शब्द प्रभावकारी हैं, ईश पुत्र अंधे व्यक्ति के सामने एक नम्र सेवक के समान हैं। वह व्यक्ति येसु को दाऊद का पुत्र नहीं लेकिन प्रभु कहते हुए पुकारता और कहता है कि मैं पुनः देख सकूँ और उसकी चाह पूरी की जाती है। “जाओ तुम्हारे विश्वास ने तुम्हारा उद्धार किया है।” उसने येसु को पुकारते हुए अपना विश्वास उन पर प्रकट किया और उन्हें पूर्णरूपेण देखने की चाह रखी जो उसके लिए पूरी की गई। विश्वास से दृष्टि प्राप्त हुई और उससे भी बढ़कर वह येसु के द्वारा प्रेम किया गया। दृष्टान्त का अंत इस तथ्य से होता है कि वह ईश्वर की महिमा करते हुए उनके पीछे हो लिया। जिसे लोगों ने शांत करना चाहा वह येसु से अपने मिलन के साक्ष्य को उद्घोषित करता है और उसे देखकर सभी लोगों ईश्वर की स्तुति करते हैं जो चमत्कार का दूसरा भाग है। येसु उन सबों के ऊपर अपनी आशिष बरसाते हैं जो उनसे मिलते हैं। वे उन्हें जमा कर  चंगाई प्रदान करते और उन्हें ज्योतिमय बनाकर नया करते हैं जिससे वे उनके आश्चर्यजनक करुणामय प्रेम का बखान करते रहे।

इतना कहने के बाद संत पापा ने अपनी धर्मशिक्षा माला समाप्त की और सभी तीर्थ यात्रियों और विश्वासियों का अभिवादन करते हुए कहा,

मैं अँग्रेज़ी बोलने वाले तीर्थयात्रियों का जो इस आमदर्शन समारोह में भाग लेने आये हैं, विशेषकर इंग्लैण्ड, स्कॉटलैण्ड, आयलैण्ड, माल्टा, स्वीडेन, सीरिया, इसराएल, जाम्बिया, चीन, इन्डोनेशिया, जापान, फिलीपीन्स, कनाडा और संयुक्त राज्य अमरीका से आये आप सबों का अभिवादन करता हूँ। मेरी प्रार्थना भरी शुभकामनाएँ आप के साथ हो जिससे करुणा की जयन्ती वर्ष आपके और आप के परिवार हेतु आध्यात्मिक नवीकरण का समय हो। येसु ख्रीस्त की खुशी और शांति आप सभों के साथ बनी रहे। इतना कहने के बाद संत पापा ने सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।








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