2016-06-10 16:13:00

पुनर्गठित कलीसियाओं के वैश्विक समन्वय को संत पापा का संबोधन


वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 10 जून 2016 (सेदोक) संत पापा फ्राँसिस ने वाटिकन में विश्व के पुनर्गठित कलीसियाओं के वैश्विक समन्वय को संबोधित किया।

उन्होंने कहा कि हमारी यह मुलाकात पुण्य और आशा भरी ख्रीस्तीय एकतावर्धक वार्ता की यात्रा में एक कदम है जहाँ हम येसु की प्रार्थना, “जिससे सब एक हो जाएँ” से अपने को संयुक्त करते हैं। (यो.17.21)

पुनर्गठित कलीसियाओं के वैश्विक समन्वय के प्रतिनिधियों का मेरे पूर्वाधिकारी संत पिता बेनेदिक्त 16वें से भेंट के दस वर्ष बीत चुके हैं। तब से सन् 2010 में पुननिर्मित ख्रीस्तीय एकता परिषद और विश्व पुनर्गठित कलीसिया के बीच ऐतिहासिक एकीकरण हो चुका है। यह मिलन हमें ख्रीस्तीय समुदाय के उद्देश्य की प्राप्ति और ख्रीस्तीय एकतावार्ता हेतु प्रोत्साहन प्रदान किया है।

आज हम ईश्वर का धन्यवाद करते हैं क्योंकि हमारी भ्रातृत्व का पुनर्मिलन जिससे बारे में संत पापा जॉन पौल द्वितीय ने लिखा है कि  जो न केवल एक विशाल हृदयी भलाई का कार्य है वरन् एक ही बपतिस्मा की पहचान है जिसके द्वारा हम एक ईश्वर की महिमामय कार्य के अंग बनते हैं। इस आध्यात्मिक मिलन में हम ख्रीस्तीय और पुनःजागृत कलीसियाई समुदाय ईश्वर की सेवा हेतु एक साथ आगे बढ़ते हैं।

ईश शस्त्रीय वार्ता का चौथा दौर जो विश्व पुनर्निमित कलीसिया और ख्रीस्तीय एकता हेतु गठित परमधर्मपीठीय के बीच संपन्न हुआ जिसका मुख्य बिन्दु औचित्य और संस्काररिता ख्रीस्तीय समुदाय न्याय का स्वरूप था इसके लिए हम विशेष रुप से ईश्वर का धन्यवाद करते हैं। मुझे इस बात की खुशी है कि अंतिम रिपोर्ट औचित्य और न्याय के बीच आवश्यक संबंध पर बल देता है। येसु में हमारा विश्वास हमें सेवा का जीवन जीने हेतु प्रेरित करता हैं जिससे सारी दुनिया प्रभावित होती हैं। औचित्य के सिद्धांत अनुसार बहुत सारे क्षेत्र हैं जिन पर कार्य करते हुए ईश्वर की करुणा का साक्ष्य दे सकते हैं। 

आज हम “ आध्यात्मिक बंजरता” का अनुभव करते हैं, विशेषकर, उन स्थानों में जहां लोग इस तरह निवास करते हैं मानों ईश्वर का कोई अस्तित्व न हो। हमारे समुदायों को वैसे स्थानों पर जीवन स्रोत बनने की जरूरत है जो लोगों में आशा, प्रोत्साहन, सहिष्णुता और प्रेम की अनुभूति दिला सकें। हमें ईश्वर की कृपा को सजीव करने का जरूरत हैं जिससे वे केवल अपने बारे में सोचने की भावना से बाहर निकल सकें और प्रेरिताई हेतु अपने को दे सकें। विश्वास को जीवन से अलग नहीं वरन् इसे जीवन में अपने व्यवहार में जीने की आवश्यकता हैं। लोगों को कलीसिया में आध्यात्मिकता को खोजने की जरूरत हैं जिससे उन्हें चंगाई और मुक्ति के साथ जीवन में शांति प्राप्त हो सके।

हमारे बीच ख्रीस्तीय एकतावर्धक वार्ता की अति आवश्यकता है जो ईश शास्त्रीय वार्ता का अंग है इसके द्वारा हम ख्रीस्तीय अपनी पारंपरिक सिद्धान्तों के बीच समन्वय स्थापित करते और सुसमाचार की प्रेरिताई और सेवा के कार्यों को सम्पादित करते हैं।








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