2016-06-09 16:22:00

रोगियों के प्रति धीरज रखें एवं सहानुभूति पूर्वक उनकी सेवा करें


वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 9 जून 2016 (वीआर सेदोक): संत पापा फ्राँसिस ने वाटिकन स्थित क्लेमेंटीन सभागार में बृहस्पतिवार 9 जून को, स्पेन एवं लातीनी अमरीका में स्वास्थ्य सेवा हेतु समर्पित धर्मसमाज के प्रतिनिधियों से मुलाकात की।

संत पापा ने करुणा को समर्पित वर्ष में उनकी सेवा को करुणा प्रदर्शित करने का उपयुक्त माध्यम मानते हुए कहा, ″यह अच्छा अवसर है जब हम स्वास्थ्य सेवा में संलग्न लोगों को अपनी प्रशंसा एवं कृतज्ञता अर्पित कर सकते हैं जो अपनी शिक्षा, पहुँच तथा बीमारों की पहचान करते हुए सच्ची सेवा द्वारा करुणा के प्रतीक बन सकते हैं।″ उन्होंने कहा कि चिकित्सकों की ये पहचान एवं समर्पण न केवल उनके ज्ञान एवं अनुभव का परिणाम है किन्तु विशेष रूप से पीड़ित शरीर और आत्मा के प्रति दयालुता एवं सहानुभूति की भावना है। सहानुभूति, औषधि की आत्मा है यह तरस खाना नहीं किन्तु पीड़ित व्यक्ति के दुःख में सहभागी होना है।

संत पापा ने वर्तमान युग की परिस्थिति की ओर ध्यान आकृष्ट करते हुए कहा कि तकनीकी और व्यक्तिवादी संस्कृति में, कई बार स्वार्थ के कारण सहानुभूति की भावना पर ध्यान नहीं दिया जाता है जबकि सच्ची सहानुभूति किसी को हाशिये पर नहीं रखती और न ही किसी को अपमानित अथवा उपेक्षित करती है। 

संत पापा ने स्वास्थ्य को एक महत्वपूर्ण उपहार मानते हुए कहा कि इसकी कामना सभी लोग करते हैं। बाईबिल की परम्परा अनुसार स्वास्थ्य की तुलना मुक्ति से की जाती है। ख्रीस्त जो भले चरवाहें हैं अपनी भेड़ों के घाँवों पर मरहम्म पट्टी लगाते तथा रोगियों को सहानुभूति प्रदान करते हैं। वे एक भले समारितानी हैं जो दया से द्रवित होकर घायल व्यक्ति की सेवा करते हैं। संत पापा ने कहा कि ख्रीस्तीय मेडिकल विभाग हमेशा भले समारितानी से प्रेरित होती है। यह ईश पुत्र के प्रति प्रेम है जिन्होंने सब की भलाई की तथा रोगियों को चंगाई प्रदान की। वे कहते हैं जो कुछ तुमने इन छोटे भाई बहनों के लिए किया वह तुमने मेरे लिए किया।

संत पापा ने मेडिकल धर्मसमाज के प्रतिनिधियों से कहा कि बीमार व्यक्ति के प्रति सहानुभूति उसकी प्रतिष्ठा के अनुरूप एक उपयुक्त प्रत्युत्तर है जो सम्मान, समझदारी तथा कोमलता से दिया जाता है क्योंकि बीमार व्यक्ति के जीवन का विशुद्ध मूल्य कभी समाप्त नहीं होता है। यह पीड़ा से धूमिल नहीं होता किन्तु उसके दुःख और असहाय स्थिति में अधिक चमकता है।

संत पापा ने प्रतिनिधियों से कहा कि वे अपने कार्यों में अधिक समर्पित हों तथा रोगियों के प्रति धीरज रखें एवं सहानुभूति पूर्वक उनकी सेवा करें।








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