2016-06-06 15:51:00

संत घोषणा समारोह में संत पापा का प्रवचन


वाटिकन सिटी, सोमवार, 6 जून 2016 (वीआर सेदोक): वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 5 जून को संत पापा फ्राँसिस ने समारोही ख्रीस्तयाग अर्पित करते हुए दो नये संतों की घोषणा की तथा ख्रीस्तयाग के उपरांत देवदूत प्रार्थना का पाठ किया।

प्रवचन में उन्होंने रोमियों के नाम संत पौलुस के पत्र पर चिंतन करते हुए कहा, ″ईश वचन, हमारे विश्वास के केंद्रबिन्दु, दुःख एवं मृत्यु पर ईश्वर की विजय पर प्रकाश डालता है।″ यह आशा के सुसमाचार की घोषणा है जो ख्रीस्त के पास्का रहस्य से उत्पन्न होता और जिसका प्रताप पुनर्जीवित ख्रीस्त के चेहरे से प्रकट होता है एवं हमारी पीड़ाओं में संत्वाना देने वाले ईश पिता को प्रस्तुत करता है।    

ईशवचन हमें प्रभु के दुःखभोग में सहभागी होने के लिए निमंत्रण देता है ताकि पुनरुत्थान की शक्ति हमारे द्वारा प्रकट हो सके। प्रभु के दुःखभोग में हम मायूसी तथा पीड़ा एवं मृत्यु के समय ईश्वर के प्रत्युत्तर को पाते हैं। वे हमें बतलाते हैं कि हम क्रूस से न भागें किन्तु माता मरियम के समान उसके चरणों पर बने रहें। येसु के साथ दुःख सहने के द्वारा उन्होंने आशा के विपरीत आशा की कृपा प्राप्त की। (रोम.4:18)

संत पापा ने नये संतों, संत येसु एवं मरियम के स्तानिसलास तथा मरिया इलिजाबेथ हेसेलब्लैड का उदाहरण देते हुए कहा, ″वे येसु के दुःखभोग में गहराई से सहभागी हुए तथा उनके द्वारा पुनरूत्थान की शक्ति प्रकट हुई।″

संत पापा ने पाठ और सुसमाचार पर चिंतन करते हुए कहा, ″इस रविवार का प्रथम पाठ एवं सुसमाचार पाठ मृत्यु एवं पुनरूत्थान का एक आश्चर्यजनक चमत्कार को प्रस्तुत करता है। पहला चमत्कार नबी एलियाह के हाथों सम्पन्न होता है तथा दूसरा येसु द्वारा। दोनों ही घटनाओं में एक युवक और एक विधवा शामिल हैं जिसमें पुत्र को जीवन दान मिलता है।″   

सरेप्ता की विधवा यहूदी नहीं थी किन्तु उसने अपने घर में नबी एलियाह का स्वागत किया। वह नबी तथा ईश्वर के कार्यों से विस्मित थी क्योंकि जब नबी एलियाह उसके घर में मेहमान बनकर आया, बच्चा गम्भीर रूप से बीमार पड़ा और उसकी गोद में मर गया। एलियाह ने उसे कहा, ″आपका पुत्र मुझे दे दो।″

संत पापा ने कहा कि नबी ने जो कहा वह प्रतीकात्मक था। उनके शब्द हमें अपनी मृत्यु पर ईश्वर के प्रत्युत्तर की ओर इशारा करते हैं। वे यह नहीं कहते कि ″उसे अपने ही पास रखें और खुद ही इसका समाधान करें।″ परन्तु वे कहते हैं, ″इसे मुझे दीजिए″। एलियाह ने उसे उसकी गोद से ले लिया और ऊपर अपने रहने के कमरे में जाकर अपने पलंग पर लिटा दिया। तब उसने यह कह कर प्रभु से प्रार्थना की, प्रभु मेरे ईश्वर जो विधवा मुझे अपने यहाँ ठहराती है क्या तू उसके पुत्र को इस संसार से उठा कर उसे विपत्ति में डालना चाहता है? प्रभु ने एलियाह की प्रार्थना सुनी क्योंकि नबी के मुख से स्वयं ईश्वर बोलते और कार्य करते थे। नबी एलियाह के द्वारा ईश्वर ने ही विधवा के पुत्र को मांगा था, ‘मुझे अपना पुत्र दे दो’ तथा अब ईश्वर ने बालक को जीवन अपनी माता को सौंप दिया था।

संत पापा ने कहा कि ईश्वर की कोमलता येसु में पूर्णरूपेण प्रकट होता है। हमने सुसमाचार में येसु की महान सहानुभूति को सुना जिसको उन्होंने गलीलिया के नाईम की विधवा के लिए दर्शाया। नाईम की विधवा अपने मृत किशोर पुत्र को दफनाने जा रही थी। येसु ने उस विधवा से कहा, ″मत रोओ और पास आकर उन्होंने अरथी का स्पर्श किया।″ (लू.7:13) मानो कह रहा हो कि अपना पुत्र मुझे दे दो। येसु हमारी मृत्यु को अपने ऊपर ले लेते तथा हमें उससे मुक्त करते हैं। वे हमारे जीवन की रक्षा करते हैं।

तब युवक जाग उठा तथा बोलने लगा मानो कि वह गहरी नींद से जागा हो। ईसा ने उसको उसकी माँ को सौंप दिया।(15) संत पापा ने कहा कि येसु कोई जादूगर नहीं थे किन्तु वे ईश्वर की कोमलता थे जिन्होंने शरीरधारण किया तथा पिता के अगाध प्रेम को प्रकट किया।

प्रेरित संत पौलुस का अनुभव भी पुनरूत्थान के समान था। वह ख्रीस्तीयों का एक भयंकर दुश्मन एवं अत्याचारी था किन्तु बाद में सुसमाचार का साक्षी एवं संदेशवाहक बन गया। (गला.1:13-17) यह महत्वपूर्ण परिवर्तन स्वतः नहीं हुआ था किन्तु ईश्वरीय दया की कृपा द्वारा सम्भव हुआ था। ईश्वर ने अपनी कृपा से उसे चुना तथा बुलाया। उनके द्वारा उन्होंने अपने पुत्र को प्रकट करना चाहा कि पौलुस गैरयहूदियों के बीच ख्रीस्त का प्रचार करे। संत पौलुस कहते हैं कि पिता ईश्वर उन्हें अपने पुत्र को न केवल प्रकट करना चाहते थे किन्तु उनपर ख्रीस्त की आत्मा, मृत्यु एवं पुनरुत्थान की मुहर लगाना चाहते थे। इस तरह, प्रेरित न केवल एक संदेश वाहक किन्तु सबसे बढ़कर एक साक्षी थे और यही सभी पापी के लिए भी है। येसु की जीवनदायी कृपा हमेशा चमकती रहती है।

वह माता कलीसिया से कहते हैं, ″मुझे अपना पुत्र दे दो।″ जिसका अर्थ है वे हम सभी की मांग करते हैं। वे हमारे पापों को अपने ऊपर ले लेते हैं तथा हमें माता कलीसिया को सौंप देते हैं। संत पापा ने कहा कि यह खास रूप से करुणा के जयन्ती वर्ष में सम्पन्न हो रहा है।

कलीसिया आज अपने दो संतानों को अर्पित कर रही है जो उनके पुनरुत्थान के रहस्य के आदर्श साक्षी हैं। दोनो ही संत स्तोत्रकारों के शब्दों में गा रहे हैं, ″तूने मेरा शोक आनन्द में बदल दिया, तूने मेरे टाट के वस्त्र उतारकर आनन्द के वस्त्र पहनाये (स्तोत्र.30:12) आइये, हम सब मिलकर कहें, प्रभु मैं तेरी स्तुति करूँगा क्योंकि तूने मुझे ऊँचा उठाया है।

ख्रीस्तयाग के उपरांत संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया। उन्हें देवदूत प्रार्थना के पूर्व विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, ″प्रिय भाइयो एवं बहनो, इस समारोह में भाग लेने वाले मैं आप सभी का अभिवादन करता हूँ। विशेषकर, मैं उन सभी को धन्यवाद देना चाहता हूँ जो पोलैंड एवं स्वीडेन से संत घोषणा हेतु प्रतिनिधि के रूप में आये हुए हैं। ईश्वर अपने नये संतों की मध्यस्थता द्वारा आपके देशों को आशीष प्रदान करे।

ख्रीस्तयाग के उपरांत संत पापा ने देश-विदेश से आये सभी तीर्थयात्रियों का अभिवादन किया तथा माता मरियम की मध्यस्थता द्वारा प्रार्थना करने का आग्रह किया कि वे हमें शांति और न्याय की स्थापना करते हुए सिद्धि के मार्ग पर आगे ले चलें।

इतना कहने के बाद संत पापा ने देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।








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