2016-06-01 16:40:00

ख्रीस्तीय उदास मन से नहीं अपितु आनन्द के साथ सेवा करें, संत पापा फ्राँसिस


वाटिकन सिटी, बुधवार, 1 जून 2016 (सेदोक) : अगर "हम दूसरों के पास जाने और दूसरों की सेवा करना सीख जाते हैं तो यह दुनिया बदल जाएगी।"

 वाटिकन स्थित प्रेरितिक आवास संत मर्था के प्रार्थनालय में संत पापा ने ख्रीस्तयाग प्रवचन में माता मरिया को समर्पित महिने के समापन 31 मई मंगलवार को सुसमाचार पाठ मरिया और एलिजबेत की भेंट पर चिंतन करते हुए कहा,  मरिया ने जैसे ही अपनी कुटुम्बिनी एलिजबेत के बारे सुना, खुशी मन उनसे भेंट करने और मदद करने के लिए जल्दी से निकल पड़ी। रास्ते में लुटेरों का डर था, वह स्वयं गर्भवती थी पर "सोलह, या सत्रह साल की लड़की साहसी थी। उसने कोई बहाना नहीं बनाया।

संत पापा ने कहा कि जिनके चेहरे में खुशी नहीं है उदास और मायूस चेहरे लिए हुए घूमते वे वास्तव में पक्के ख्रीस्तीय नहीं हैं। ख्रीस्तीयों के चेहरे में पुनर्जीवित प्रभु की खुशी झलकनी चाहिए।

मरिया साहसी महिला थी। मरिया के समान कलीसिया में भी अनेक साहसी महिलाएँ हैं वे अपने परिवार की देखभाल करतीं, अपने बाल-बच्चों की परवरिश करतीं और बिमार होने पर दिन-रात सेवा करती हैं। वे परिवार की खुशी के लिए कठिन परिश्रम करती हैं। इसके साथ-साथ वे अपने पड़ोसियों की मदद करने उनके पास जाती हैं। दूसरों की सेवा करना एक ख्रीस्तीय होने की निशानी है। जो व्यक्ति अन्य लोगों की सेवा नहीं करता है उसका जीवन अर्थहीन हो जाता है।

दूसरों के पास जाना एक ख्रीस्तीय होने की दूसरी निशानी है। दूसरों की सेवा करने और दूसरों के पास जाने, उन्हें आलिंगन करने के लिए हमें खुद से बाहर निकलने की आवश्यकता होती है। संत पापा ने खुशी और उल्लास के साथ दूसरों की सेवा करने के लिए भक्त समुदाय को प्रेरित किया।








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