2016-05-27 16:44:00

येसु के परमपावन शरीर और रक्त के महोत्सव पर संत पापा का प्रवचन


वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 27 मई 2016 (सेदोक) संत पापा फ्राँसिस ने बुधवार के संत जोन लातरेन के महागिरजा घर की सिढियों पर येसु के परमपावन शरीर और रक्त के महोत्सव का ख्रीस्तयाग अर्पित किया।

उन्होंने मिस्सा पूजा के दौरान कुरिथिंयों के नाम पहले पत्र में येसु ख्रीस्त के कहे गये वचनों पर चिंतन करते हुए प्रवचन में कहा कि संत पौलुस दो बार येसु के द्वारा कहे गये वचन, “तुम मेरी स्मृति में यह किया करो”(1. कुरि.11.24-25) की चर्चा करते हैं जो पवित्र यूखारिस्त संस्कार की स्थापना को दिखलाता है। यह अंतिम व्यारी में येसु के वचनों का सबसे प्राचीनतम साक्ष्य है। 

“यह करो।” इसका मतलब यह रोटी लो, धन्यवाद दो और उसे तोड़ों और बाँटों। उसी प्रकार यह कटोरा लो, धन्यवाद दो और उसे बाँटों। येसु हमें अपने कामों को दोहराने हेतु कहते हैं जहाँ वे अपने पास्का को ठहराते और अपने शरीर और रक्त को हमें देते हैं। यह कार्य हम सभों को सम्मिलित करता है जिसमें येसु सदैव उपस्थित रहते हैं लेकिन यह हमारे दीन हाथों के द्वारा वास्तव में संपन्न होता है जिसे पवित्र आत्मा ने अभिषिक्त किया है। 

“यह करो।” येसु इसके पहले भी अपने चेलों से “करो“ कहा विशेष कर अपने पिता की इच्छा के अनुरूप आज्ञा का प्रतिपालन जो उन्हें स्पष्ट लगा। संत पापा ने कहा कि सुसमाचार में हमने सुना, भूखी भीड़ के सामने येसु अपने चेलों से कहते हैं, कि तुम ही उन्हें खाने को कुछ दो। (लूका. 9.13) वास्तव में यह येसु हैं जो रोटी को आशीष देते और पर्याप्त मात्रा में उसे पूरी भीड़ के लिए देते हैं जिससे उन्हें तृप्त किया जा सके, लेकिन ये शिष्य हैं जो उनके लिए पाँच रोटियाँ और दो मछली की व्यवस्था करते हैं। येसु इस तरह चाहते हैं कि लोगों को भेजने की अपेक्षा, चेले जो कुछ भी उनके पास है उसे येसु के पास लायें। यहाँ दूसरी बात रोटियों के टुकड़ों की है जो येसु के पवित्र और पूज्य हाथों द्वारा तोड़ी गई हैं जिसे वे चेलों के हाथों में देते जिससे वे लोगों में बाँट सकें। येसु के साथ वे लोगों को कुछ देने हेतु समर्थ है, “तुम उन्हें खाने को कुछ दो।” स्पष्ट रूप से यह चमत्कार केवल लोगों की भूख मिटाने तक ही सीमित नहीं था लेकिन यह इस बात को दर्शाता है कि येसु मानव मुक्ति हेतु क्या करना चाहते हैं, वे अपने शरीर और रक्त को देते हैं। (योह.6.48-58) इस तरह ये दोनों कार्यों को हमेशा पूरा करने की आवश्यकता है, कुछ रोटियाँ और मछली जो हमारे पास हैं जिसे येसु तोड़ते और सभों को देते हैं।

“तोड़ना।” यह दूसरा शब्द है जो मेरी स्मृति में यह किया करो वाक्य की व्याख्या करता है। येसु ने अपने को तोड़ा, उन्होंने अपने को हमारे लिए तोड़ा। वे हमें अपने को देने हेतु कहते हैं, अपने को तोड़ने हेतु कहते हैं मानो हम दूसरों के लिए हैं। यह रोटी तोड़ना हमारे लिए एक चिन्ह बनती है जिससे द्वारा दूसरे येसु को हमारे द्वारा पहचानते हैं। हम एमाउस की याद करें चेलों ने येसु को रोटी तोड़ते समय पहचाना। (लूका. 24.25) हम येरुसलेम के प्रथम ख्रीस्तीय समुदाय की याद करें, वे एकता में थे और एकता में एक साथ रोटी तोड़ते थे। (प्रेरित 2.24) शुरू से ही यूखारिस्त कलीसिया के जीवन का केन्द्र बिन्दु रहा है। हम दूसरे संतों की भी याद करें जो प्रसिद्ध और अज्ञात हैं जिन्होंने अपने जीवन को तोड़ा है जिससे भाई-बहनों को खाने हेतु कुछ मिल सके। कितने माता-पिता जो मेज पर परिवार हेतु रोटियों की व्यवस्था करते हैं उन्होंने अपने हृदय को अपने बच्चों के लिए तोड़ा है जिससे वे विकास, समुच्चित विकास कर सकें। कितने ही ख्रीस्तीयों ने उत्तरदायी नागरिकों की भाँति अपने जीवन को दूसरों के सम्मान हेतु विशेष कर ग़रीबों, दुःखियों और पक्षपात का शिकार हुए लोगों के लिए तोड़ा है। उन्हें ऐसा करने की शक्ति कहाँ से मिलती है? यह परमप्रसाद है जहां हमें पुनर्जीवित येसु का प्यार मिलता है जो आज भी अपने के तोड़कर हमें यह कहते हैं, “तुम मेरी स्मृति में यह किया करो।”  

संत  पापा ने कहा आइये हम येसु के वचनों का प्रतिउत्तर बने, एक कार्य जिसके द्वारा हम उनकी याद करते हैं, एक कार्य जिसके द्वारा हम ग़रीबों को भोजन दे सकें, हमारा विश्वास और हमारा जीवन एक निशानी बने जिसके द्वारा हम येसु के प्रेम का प्रमाण इस शहर को और सारी दुनिया को दे सकें।








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