2016-05-26 15:35:00

लीपज़िग में काथलिक धर्म के 100 वर्ष, संत पापा ने संदेश भेजा


वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 26 मई 2016 (वीआर सेदोक): संत पापा फ्राँसिस ने जर्मनी के लीपज़िग में काथलिक धर्म के आगमन की शतवर्षीय जयन्ती पर वीडियो संदेश प्रेषित कर उन्हें शुभकामनाएँ अर्पित की।

लीपज़िग में शतवर्षीय जयन्ती 25 से 29 मई को मनाया जा रहा है जिसकी विषय वस्तु है ″यहाँ है मानव।″ संत पापा ने संदेश में लीपज़िग में काथलिकों की शतवर्षीय जयन्ती समारोह में भाग ले रहे लोगों का अभिवादन करते हुए कहा, ″आप लीपज़िग और पूरे जर्मनी में ऐसे लोगों का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं जो सुसमाचार के आनन्द को जीते हैं। सभी ख्रीस्तीयों के साथ आप का संबंध अच्छा है और गरीब एवं कमजोर लोगों के प्रति समर्पण द्वारा आप ख्रीस्त का सच्चा साक्ष्य प्रस्तुत कर रहे हैं।″

संत पापा ने शतवर्षीय जयन्ती की विषयवस्तु पर प्रकाश डालते हुए कहा कि प्रत्येक व्यक्ति एकता एवं शांति चाहता है किन्तु इसका विकास तब हो सकता है जब हमारे हृदयों में आंतरिक शांति स्थापित की जाए। लोग हमेशा जल्दबाजी में रहते। इस प्रकार वे अपने ही में व्यस्त हो जाते हैं। इसका प्रभाव भी वातावरण पर पड़ता है क्योंकि शांत रहकर ही हम विश्व, सृष्टि और सृष्टिकर्ता के साथ सामंजस्य बनाये रख सकते हैं।

संत पापा ने अपने संदेश में कहा कि ध्यान प्रार्थना के माध्यम से हम ईश्वर के अधिक निकट पहुँचते तथा हमारे प्रति पिता ईश्वर की इच्छा को पहचानते हैं जो हमें आनन्द और शांति के पूर्ण देखना चाहते। उन्होंने कहा कि ईश्वर के साथ यही संबंध हमें दया के कार्य में आगे बढ़ने हेतु प्रेरित करता है।

ईश्वर की करुणा का अनुभव करने हेतु संत पापा ने पाप स्वीकार संस्कार में भाग लेने का प्रोत्साहन देते हुए कहा, ″ पाप स्वीकार संस्कार में भाग लेने के द्वारा हम ईश्वर की दया से स्पर्श किये जायें ताकि हम पिता के समान अधिक दयालु बन सकें।

संत पापा ने व्यक्ति के मूल्य पर ध्यान आकृष्ट करते हुए कहा कि समाज में कितने लोग शोषित हो रहे हैं। जीवन के मूल्य को नहीं समझने के कारण बूढ़े एवं बीमार लोगों के जल्द मरण की कामना की जाती है। कितने लोग बेरोजगार अथवा शरणार्थी होने के कारण मानव प्रतिष्ठा से वंचित हैं। उनमें हम येसु को दुःख झेलते देखें।

संत पापा ने जर्मनी में शतवर्षीय समारोह में भाग ले रहे लोगों से आशा व्यक्त की कि वे गरीब एवं उपेक्षित लोगों के लिए अपने जीवन में अधिक से अधिक समय दें तथा लोगों के बीच ख्रीस्त के सुसमाचार को बांटने हेतु वे एक-दूसरे का सहयोग करें।








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