ढाका, शनिवार, 21 मई 2016 (एशियान्यूज़): बंगलादेश की सरकार ने अनियंत्रित इस्लामी चरमपंथ की समस्या के समाधान हेतु एक महत्वपूर्ण
उपाय निकाला है जिसके तहत उन्हें देश में शामिल करने हेतु ख्रीस्तीय पुरोहितों एवं पास्टरों
के लिए एक प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया। ढाका के अधिकारियों ने प्रशिक्षण शिविर के
प्रबंधन हेतु अनुदान राशि भी प्रदान की।
निर्मल रोजारियो ने एशियान्यूज़ से कहा, ″यह एक ऐसा प्रयास है जिसके द्वारा धार्मिक चरमपंथ को उखाड़ फेंका जायेगा तथा इस्लामी आतंकवादियों पर शिकंजा कसा जाएगा।″ उन्होंने कहा कि ख्रीस्तीय एवं मुसलमान
धार्मिक नेताओं को धर्मों के बीच एकता एवं सौहार्द स्थापित करना चाहिए।
ख्रीस्तीय धर्मगुरूओं के लिए सेमिनार
18 मई को समपन्न किया गया जहाँ 44 काथलिक तथा प्रोटेस्टंट कलीसिया के सदस्यों ने भाग
लिया। सेमिनार की विषय वस्तु थी, ″विश्वास की देखभाल में पुरोहितों एवं पास्टरों की भूमिका।″ सेमिनार का आयोजन एक सरकारी
एजेंसी, ख्रीस्तीय धार्मिक कल्याण ट्रस्ट के तत्वधान में किया गया था।
ख्रीस्तीय धार्मिक कल्याण ट्रस्ट के महासचिव
रोजारियो ने कहा, ″देश की वर्तमान स्थिति धार्मिक नेताओं
को यह देखने के लिए मजबूर करता है कि अंतरधार्मिक वार्ता की आवश्यकता है।″ उन्होंने कहा कि सरकार ने बांग्लादेश में इस्लामी न्यास द्वारा इस्लामिक नेताओं
के लिए उसी कार्यक्रम का आयोजन किया है।
विदित हो कि विगत महीनों में एशियाई देशों
में ख्रीस्तीयों एवं धर्मनिरपेक्ष विचारकों पर कई हिंसक आक्रमण हुए हैं। अभिव्यक्ति की
आजादी की रक्षा करने एवं इस्लाम की बुराईयों की आलोचना करने पर कई लोगों को जान से हाथ
धोना पड़ा है। विशेषज्ञों का मानना है कि बँगला देश की जनता गरीबी जो एक ऐसिहासिक समस्या
थी, अब उससे इतनी परेशान नहीं है जितनी धार्मिक अतिवाद से।
अडवेनटिस्ट पास्टर बेनेडिक्ट बारोई ने
एशियान्यूज़ से कहा कि सेमिनार प्रतिभागियों द्वारा बहुत पसंद किया गया।उन्होंने कहा,
″अब हम जान गये हैं कि लोगों की देखभाल कैसे की जानी चाहिए,
हम हमारा कर्तव्य क्या है। सेमिनार द्वारा हमें मालूम हो गया है कि हमारी सेवा की कितनी
आवश्यकता है। हमें विभिन्न धर्मों के लोगों के साथ अधिक मित्रता का भाव रखना चाहिए क्योंकि
हम सभी येसु ख्रीस्त के शिष्य हैं। पास्टर की आशा है कि सरकार सभी समुदायों के लिए ऐसे
आयोजनों पर अधिक ध्यान दे।
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