2016-05-20 14:58:00

ईसाइयों के बीच स्कूल छोड़ने वालों के आंकड़े कलीसिया के लिए खतरे की घंटी


नई दिल्ली, शुक्रवार 20 मई 2016 (ऊकान) : भारत के काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के शिक्षा और संस्कृति कार्यालय के सचिव फादर जोसेफ मानिपादम ने कहा कि सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार 2014 में करीब 62,000  ईसाई बच्चों के स्कूल छोड़ने का आंकड़ा चौंकाने वाला और काफी निराशाजनक है।

भारतीय मीडिया द्वारा 17 मई को प्रेषित सूचना के अनुसार सन् 2014 के आंकड़ों में 6 से 13 वर्ष के बीच करीब 6 करोड़ 6 लाख छात्रों ने स्कूल छोड़ा जिनमें आधिकारिक तौर पर मान्यता प्राप्त निम्न जाति समुदायों, आदिवासियों और मुसलमानों की संख्या 4 करोड़ 5 लाख है। ईसाइयों की कुल संख्या 62,698 है जिनमें सबसे अधिक संख्या 13147 दक्षिणी कर्नाटक से तथा ईसाई बहुल आदिवासी राज्य मेघालय से 14,194 और आदिवासी कलीसिया के केंद्र झारखंड से 4,214 है।

फादर मानिपादम ने कहा कि स्कूल छोड़ने वाले अधिकांश बच्चे दलित ईसाई हैं। अक्सर सामाजिक और शैक्षणिक संघर्ष उन्हें स्कूल छोड़ने के लिए मज़बूर करता है।

भारत के 18,000 से अधिक काथलिक स्कूलों और कॉलेजों में कार्यों के समन्वयक फादर मानिपादम ने कहा," आँकड़ा हमें शिक्षा स्वरुप के प्रति हमारे दृष्टिकोण को बदलने के लिए मजबूर कर देगा।" देश में सरकार के बाद दूसरे स्थान पर काथलिक कलीसिया किंडरगार्टन से लेकर विश्वविद्यालयों तक शैक्षिक संस्थानों का संचालन करती है।

उन्होंने कहा, " परिवार की आर्थिक या सामाजिक स्थिति की वजह से छात्रों को स्कूल में दाखिला देने से कोई इनकार नहीं कर सकता है।"

उन्होंने यह भी कहा कि स्कूलों में कमजोर छात्रों को अनुतीर्ण करने की बजाय उनके लिए उपचारात्मक कक्षाओं को शुरू कर देना चाहिए।

भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के दलित और आदिवासी आयोग के सचिव फादर देवसहायराज ने ऊका समाचार से कहा, "स्कूल में दलित और आदिवासी बच्चों के साथ समान रूप से बर्ताव नहीं किया जाता हैं उन्हें हेय की दृष्टि से देखा जाता है।" गरीबी के कारण कई छात्रों को स्कूल छोड़ कर अपने परिवारों की मदद हेतु काम करने के लिए मजबूर होना पड़ता है।








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