2016-05-11 11:07:00

मिशनरी हैं आज के सुसमाचारी नायक, सन्त पापा फ्राँसिस


वाटिकन सिटी, बुधवार, 11 मई 2016 (सेदोक): सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा है कि वे मिशनरी सुसमाचार प्रचार के नायक हैं जो विनम्र रहकर पवित्रआत्मा की आवाज़ सुनते तथा विश्वास के ख़तिर बलिदान के लिये तत्पर रहते हैं।

मंगलवार को, सन्त मर्था प्रेरितिक आवास के प्रार्थनालय में ख्रीस्तयाग के अवसर पर प्रवचन कर सन्त पापा ने सन्त पौल के उस वृतान्त पर चिन्तन किया जिसमें प्रेरितवर पवित्रआत्मा की भूमिका को आलोकित करते हुए कहते हैं कि कठिनाईयों एवं अनेकानेक बाधाओं के बावजूद पवित्रआत्मा के सामर्थ्य से ही वे सुसमाचार का प्रचार कर पाये हैं।   

सन्त पापा ने कहा कि पवित्र बाईबिल का यह पाठ युगयुगान्तर तक मिशनरी जीवन की विशिष्टताओं की प्रकाशना करता है। उन्होंने कहा, "पवित्रआत्मा से प्रेरित होकर वे आगे बढ़ते चले गये क्योंकि ऐसा करना उनकी बुलाहट के अनुकूल था। यदि उनकी समाधियों पर हम ग़ौर करें तो पाते हैं कि उनमें से कईयों की 40 वर्ष की आयु से पूर्व ही मृत्यु हो चुकी थी। कारण यह कि उस युग में व्याप्त बीमारियों से बचने का उनके पास कोई उपचार नहीं था। उन्होंने अपने युवा जीवन अन्यों की सेवा में अर्पित कर दिये।" सन्त पापा ने कहा, "धरती पर उनके जीवन पर तनिक ग़ौर करें तो वह उनकी जन्मभूमि, उनके परिवार और उनके प्रियजनों से बहुत दूर था। अस्तु जो कुछ उन्होंने किया वह योग्य एवं उचित था।"    

उन्होंने कहा कि मिशनरियों को भविष्य की चिन्ता किये बिना निरन्तर आगे बढ़ते रहना चाहिये जैसा कि सन्त पौल तथा सन्त फ्राँसिस ज़ेवियर ने किया। मिलेतुस से विदा लेते समय कहे शब्दों में सन्त पौल कहते हैं: "एक शहर से दूसरे शहर तक पवित्रआत्मा मुझे चेतावनी देते रहे कि गिरफ्तारी, क़ैद एवं कठिनाइयाँ मेरी प्रतीक्षा कर रही थीं।" सन्त पापा ने कहा कि मिशनरी यह भलीप्रकार जानता है कि उसका जीवन सरल नहीं होगा किन्तु इसके बावजूद वह आगे बढ़ता चला जाता है।

सन्त पापा ने कहा, "यही बात आज के मिशनरियों पर भी लागू होती है। वे अपने घर परिवार का परित्याग कर प्रभु येसु मसीह के सुसमाचार को जन-जन में फैलाने की प्रतिज्ञा करते हुए सतत् प्रार्थना में आगे बढ़ते तथा पवित्रआत्मा के सामर्थ्य से येसु ख्रीस्त के सुसमाचार के साक्षी बनते हैं।"  युवाओं से सन्त पापा ने कहा कि वे समर्पित मिशनरियों की ओर दृष्टि लगायें तथा उपभोक्तावाद एवं आत्ममोह की संस्कृति से दूर रहें।








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