2016-05-07 15:23:00

संत पापा ने अफ्रीकी लोगों के स्वास्थ्य की रक्षा हेतु समर्पित लोगों से मुलाकात की


वाटिकन सिटी, शनिवार, 7 मई 2016 (वीआर सेदोक): संत पापा फ्राँसिस ने शनिवार 7 मई को वाटिकन स्थित पौल षष्ठम सभागार में, अफ्रीकी लोगों के स्वास्थ्य की रक्षा हेतु समर्पित 9,000 चिकित्सकों से मुलाकात की जो अफ्रीका में मिशनरी के रूप में अपनी सेवा प्रदान कर रहे हैं।  

उन्हें सम्बोधित कर उन्होंने कहा, ″स्वास्थ्य, जो जीवन की मूल आवश्यकता है विश्व के विभिन्न हिस्सों में उसकी उपेक्षा की जाती है, विशेषकर, अफ्रीका के विभिन्न हिस्सों में। यह प्रत्येक व्यक्ति का अधिकार है किन्तु अभी तक यह कुछ ही लोगों का विशेषाधिकार बना हुआ है जो इसे पाने में समर्थ हैं।″ उन्होंने कहा कि गरीब चूँकि मूल्य चुकाने में असमर्थ होते हैं वे अस्पताल की सेवा प्राप्त करने से बहिष्कृत हो जाते हैं।

संत पापा ने मिशनरियों से कहा कि उनके उदार कार्य का महत्व सेवा के कार्य में लोगों की आवश्यकताओं का प्रत्युत्तर देने में है। उन्होंने कहा कि वे प्रभु द्वारा अफ्रीका जैसे गरीब देश में भले समारीतानी के समान भेजे गये हैं। द्वार पर आशा लिए बैठे लाजरूस के समान जरूरत में पड़े लोगों की मदद करने हेतु प्रेषित किये गये हैं। वही उनका पवित्र द्वार है। वे कुपोषण के शिकार लोगों तथा माता एवं बच्चों की देखभाल करें। संत पापा ने उन्हें प्रोत्साहन दिया कि वे उस घायल मानवता के बीच अपनी उदार सेवा जारी रखें क्योंकि रोगियों को चंगा करना दया का कार्य है। अपने इस कार्य द्वारा वे माता कलीसिया का साक्ष्य दे जो कमजोर एवं दुर्बल लोगों की सेवा हेतु झुकती है।

संत पापा ने सभी चिकित्सकों को अफ्रीका के लोगों के विकास हेतु उनके जीवन में सहभागी होने का परामर्श दिया। उन्होंने कहा, ″चिकित्सक अफ्रीका के साथ हैं न कि अफ्रीका के लिए।″ वे अफ्रीका के लोगों के साथ उनके विकास प्रक्रिया, उनके साथ चलने तथा उनके दुःख और आनन्द एवं उत्साह में सहभागी होने के लिए बुलाये गये हैं क्योंकि व्यक्ति ही विकास का मुख्य घटक है।″ उन्होंने कहा कि यद्यपि उनका कार्य आसान नहीं है तथापि वे स्थानीय लोगों से अपना संबंध बनायें, विकास में उनकी सहायता करें तथा ऐसी स्थिति में उन्हें आगे बढ़ने दें जब वे खुद अपने पैरों पर खड़े हो सकते हैं।

संत पापा ने मिशनरी चिकित्सकों को अपने संस्थापक डॉ. फ्रेचेस्को कानोवा का अनुसरण करने की सलाह दी जिन्होंने मिशनरी बनकर लोगों की सेवा करने के कार्य को चुना। संत पापा ने उन्हें उस कलीसिया का साक्ष्य प्रस्तुत करने का निर्देश दिया जो न केवल विशिष्ट लोगों को सेवा देती है किन्तु एक विशाल हृदय के साथ सभी घायलों, अपमानित एवं गरीब लोगों के करीब रहती है।








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