2016-05-07 15:02:00

वैशाख त्यौहार हेतु वाटिकन का संदेश


वाटिकन सिटी, शनिवार, 7 मई 2016 (एशियान्यूज़): ″दुनिया में बाह्य रेगिस्तान का विस्तार हो रहा है क्योंकि आंतरिक रेगिस्तान अत्यन्त विशाल बन चुका है।″ (लाऔदातो सी- 217) लाऔदातो सी से लिया गया यह वाक्यांश, अंतरधार्मिक वार्ता हेतु बनी परमधर्मपीठीय समिति द्वारा बौद्ध धर्मानुयायियों को वैशाख त्यौहार के उपलक्ष्य में प्रेषित संदेश की प्रेरणा है।

विदित हो कि वैशाख बौद्ध धर्मावलांबियों का सबसे महत्वपूर्ण त्यौहार है जो भगवान बुद्ध के जीवन की सबसे बड़ी घटना का स्मरण दिलाता है।

अंतरधार्मिक वार्ता के लिए बनी परमधर्मपीठीय समिति के अध्यक्ष कार्डिनल जॉ लुइस तौरान द्वारा प्रेषित पत्र में इस बात पर बल दिया गया है कि ″पर्यावरण संकट गहरे आंतरिक मन-परिवर्तन की मांग करता है।″ यह विचार बौद्ध धर्मावलांबियों के बीच भी पर्यावरण परिवर्तन एवं हमारी जिम्मेदारी नामक दास्तावेज में निहित है जिसमें  कहा गया है कि पर्यावरण संकट का मुख्य कारण मानवीय लालच, चिंता, अहंकार और अज्ञानता है। अंतर्दृष्टि एवं सहानुभूति से वशीभूत होकर हम प्रेम एवं निडरता से हमारे ग्रह की रक्षा कर सकते हैं। 

संदेश में इस बात को चिह्नित किया गया है कि उपर्युक्त वाक्यांश एवं संत पापा फ्राँसिस के प्रेरितिक पत्र ‘लाऔदातो सी’ में गहरा सामंजस्य है जिनमें शिक्षा द्वारा मानव प्राणी, जीवन, समाज तथा प्रकृति के साथ हमारे संबंध के बारे, नये तरीके से सोचने हेतु बढ़ावा दिये जाने की मांग की गयी है।

अतः सहयोग हेतु निमंत्रण दी गयी है कि ″सभी धर्मों के लोग अपनी सीमा से पार जाते हुए एक-दूसरे के साथ मिलकर, पर्यावरण के प्रति जिम्मेदार समाज का निर्माण करें जो साझा मूल्यों पर आधारित हो। उन देशों में जहाँ बौद्ध और ख्रीस्तीय धर्मानुयायी एक साथ निवास करते और काम करते हैं वहाँ हम पृथ्वी को स्वास्थ्य बनाये रखने तथा पर्यावरण के प्रति जागरूकता के संयुक्त पहल को बढ़ावा देने वाली, सह-शिक्षा कार्यक्रमों द्वारा उसे स्थिरता प्रदान करें।″

इस सहयोग का उद्देश्य है मानव को उस दुःख से मुक्ति दिलाना जो पर्यावरण परिवर्तन से आ रहा है तथा उसे हमारे सार्वजनिक घर, पृथ्वी की देखभाल में योगदान देना। 








All the contents on this site are copyrighted ©.