2016-05-05 10:30:00

प्रेरक मोतीः सन्त हिलेरी (400-449)


वाटिकन सिटी, 05 मई सन् 2016

हिलेरी का जन्म फ्राँस के लोरेन में एक कुलीन परिवार में हुआ था। वे आर्ल्स के धर्माध्यक्ष तथा  सन्त होनेरातुस के रिश्तेदार भी थे। हिलेरी के बारे में बताया जाता है कि उन्हें बाल्यकाल से ही उच्च शिक्षा मिली थी तथा वे ग्रीक सहित अनेक मध्यपूर्वी एवं यूरोपियाई भाषाओं के ज्ञाता थे।

पहले तो वे एक ग़ैरविश्वासी थे किन्तु बाद में बाईबिल धर्मग्रन्थ का अध्ययन कर लेने के बाद उन्होंने नव-प्लेटोनिज़म अर्थात नव-अफ़लातूनवाद का परित्याग कर ख्रीस्तीय धर्म का आलिंगन कर लिया था। सुसमाचार की उदघोषणा का मन बनाकर वे लेरिन्स में अपने सगे सम्बन्धी होनोरातुस से जा मिले। धर्माध्यक्ष होनोरातुस के अधीन उन्होंने ख्रीस्तीय ईशशास्त्र व धर्मतत्त्व विज्ञान का अध्ययन किया तथा पुरोहित अभिषिक्त किये गये।

सन् 429 ई. में जब होनोरातुस का निधन हुआ तब हिलेरी उनके उत्तराधिकारी तथा आयरस के धर्माध्यक्ष नियुक्त किये गये। त्याग-तपस्या, निर्धनों एवं परित्यक्तों की सहायता के लिये हिलेरी विख्यात हो गये थे। दो अवसरों पर हिलेरी तत्कालीन सन्त पापा लियो प्रथम महान के साथ भी विवाद में पड़ गये, किन्तु सदगुणों के धनी हिलेरी तुरन्त पुनर्मिलन के लिये तैयार हो गये थे।    

काथलिक कलीसिया के साथ साथ पूर्वी ऑरथोडोक्स ख्रीस्तीय कलीसियाओं में भी सन्त हिलेरी को सन्त माना गया है। उनका पर्व 05 मई को मनाया जाता है।

चिन्तनः "पृथ्वी के शासको! न्याय से प्रेम रखो। प्रभु के विषय में ऊँचे विचार रखो और निष्कपट हृदय से उसे खोजते रहो; क्योंकि जो उसकी परीक्षा नहीं ले,, वे उसे प्राप्त करते हैं। प्रभु अपने को उन लोगों पर प्रकट करता है, जो उस पर अविश्वास नहीं करते।"








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