वाटिकन सिटी, बुधवार, 4 मई 2016 (सेदोक वी.आर): वाटिकन स्थित सन्त मर्था प्रेरितिक आवास के प्रार्थनालय में, मंगलवार को, ख्रीस्तयाग के अवसर पर सन्त पापा फ्राँसिस ने अपने प्रवचन में कहा कि बहुत सारे ईसाई भ्रांत तरीके से ईसाई धर्म का पालन कर रहे हैं। वे भूल जाते हैं कि येसु ही सच्चे मार्ग हैं।
संत पापा ने प्रवचन में सुसमाचार पाठ के उस पद से प्रेरणा ली जहाँ येसु अपने चेलों से कहते हैं कि “मैं मार्ग हूँ”।
उन्होंने ख्रीस्तीयों को बिना रुके, लगातार येसु का अनुसरण करते हुए विश्वास की यात्रा में आगे बढ़ने की आवश्कता पर बल दिया।
संत पापा ने विभिन्न प्रकार के ख्रीस्तीयों के बारे में विचार करते हुए कहा,” कुछ ख्रीस्तीय मृतप्राय हैं, कुछ पर्यटक हैं, कुछ अड़ियल हैं और कुछ ख्रीस्तीय ऐसे हैं जिन्होंने अपनी यात्रा आधे रास्ते में ही बंद कर दी है।”
उन्होंने कहा कि मृतप्राय ख्रीस्तीय जीवन में आगे नहीं बढ़ते हैं। उनके जीवन में कोई प्रतिक्रिया नहीं होती है और अपने जीवन में दया के काम करने से मुकर जाते हैं। वे ख्रीस्तीय नहीं हैं। हालांकि वे दूसरों की बुराई नहीं करते पर अच्छाई भी नहीं करते हैं।"
आगे संत पापा ने जिद्दी ख्रीस्तीयों के बारे में कहा कि इस प्रकार के ख्रीस्तीयों को भली भाँति पता है कि वे गलत रास्ते में जा रहे हैं पर सबसे बुरी बात तो यह है कि वे अपने हठ में अडिग रहते हैं और मान लेते हैं कि वही मार्ग सही है। वे प्रभु की आवाज सुनना नहीं चाहते हैं जो उन्हें वापस लौटने और सही मार्ग अपनाने के लिए प्रेरित करता है।
संत पापा ने पर्यटक ख्रीस्तीयों को लक्षयविहीन बताया है। वे येसु के करीब आने के अवसर को खो देते हैं। बारंबार दिशा बदलते रहने की वजह से वे जीवन के भूल-भुलैया से बाहर नहीं निकल पाते हैं और गलत मोड़ लेते हुए मृत्यु की ओर आगे बढ़ते हैं।
उन्होंने बतलाया कि अन्य ख्रीस्तीय ऐसे भी हैं जो जीवन यात्रा में दुनियाँ की चमक-दमक की ओर आकर्षित होते हैं और आधे रास्ते में ही यात्रा बंद कर देते हैं। जबकि ख्रीस्तीय जीवन एक आकर्षण नहीं है, यह एक सच्चाई है और वो सच्चाई येसु है।
विभिन्न प्रकार के ख्रीस्तीयों के बारे विचार करने के पश्चात संत पापा ने कहा कि हम भी अपने में इन प्रश्नों का उत्तर दें। क्या मैंने आधे रास्ते से यात्रा बंद कर दी है? क्या मैंने रास्ता खो दिया है? क्या मैं दुनियावी वस्तुओं और क्षणभंगुरता के पीछे दौड़ रहा हूँ? मैं उस प्रभु का अनुसरण कर रहा हूँ, जो कहते हैं “ मैं ही मार्ग हूँ।”
संत पापा ने विश्वासियों को पवित्र आत्मा से प्रार्थना करने की सलाह दी ताकि वे हमें सत्य के मार्ग पर ले चलें और यात्रा करते-करते थक जाने पर वे हमें आत्मिक शक्ति प्रदान करने की कृपा करें।
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