2016-05-04 11:02:00

आप्रवास संकट के बीच यूरोपीय कलीसियाओं में भविष्य पर विचार-विमर्श


वाटिकन सिटी, बुधवार, 4 मई 2016 (सेदोक): यूरोपीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलनों के संघ ने इस सप्ताह सन्त पापा फ्राँसिस के साथ मुलाकात कर आप्रवास संकट के बीच यूरोप में कलीसियाओं के भविष्य पर गहन विचार-विमर्श किया।

सन्त पापा से मुलाकात के उपराऩ्त यूरोपीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलनों के संघ के अध्यक्ष हंगरी के कार्डिनल पीटर एर्दो, इटली के कार्डिनल आन्जेलो बान्यास्को तथा अल्बानिया के महाधर्माध्यक्ष आन्जेलो मासाफ्रा ने एक संवाददाता सम्मेलन को सम्बोधित किया।

कार्डिनल एर्दो ने पत्रकारों से कहा कि सन्त पापा फ्राँसिस ने यूरोपीय धर्माध्यक्षों से आग्रह किया है कि यूरोपीय समाज की ख्रीस्तीय जड़ों तक पहुँचें ताकि वर्तमान चुनौतियों का सामना करने के लिये मार्गदर्शन पाया जा सके।

कार्डिनल बान्यास्को ने बताया कि सन्त पापा ने "अन्तःकरणों के निर्माण"  पर बल दिया है ताकि "सम्बन्धों की संस्कृति" का निर्माण किया जा सके तथा उन आर्थिक बलों का विरोध किया जा सके जो लोगों का शोषण कर उपभोक्तावादी संस्कृति एवं व्यक्तिवादी पहचान को प्रोत्साहन देते हैं।

कार्डिनल बान्यास्को ने ब्रिटेन के जनमत संग्रह पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि यूरोपीय संघ में बने रहने अथवा यूरोपीय संघ से अलग होने पर ब्रिटेन में होने जा रहे जनमत संग्रह ने कई लोगों को असरल कर दिया है इसलिये यूरोपीय संस्थाओं को विभिन्न सदस्य देशों के सम्मान पर और अधिक चिन्तन करना चाहिये।

सभी यूरोपीय काथलिक नेताओं ने आप्रवास संकट पर चर्चा की तथा स्वागत एवं एकात्मता का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि आप्रवासियों के मूल देशों, मार्ग में पड़नेवाले देशों तथा नियत देशों की स्थिति को भलीप्रकार समझना अनिवार्य है। इसी के आधार पर ज़रूरतमन्दों का स्वागत किया जाना चाहिये तथा उनके एकीकरण का प्रयास किया जाना चाहिये।   

आप्रवास संकट का सामना करने में कलीसियाओं के योगदान को परिभाषित करते हुए धर्माध्यक्षीय सम्मेलनों के संघ के सचिव महाधर्माध्यक्ष दुआर्ते दाकूना ने कहा कि कलीसियाएँ राजनीतिज्ञों के साथ वार्ताएँ कर एकात्मता को प्रोत्साहन दे सकती हैं।








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