2016-05-02 15:31:00

येसु की शांति पाप और स्वार्थ पर विजय से आती है


वाटिकन सिटी, सोमवार, 2 मई 2016 (वीआर सेदोक): वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 1 मई को, संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ स्वर्ग की रानी प्रार्थना का पाठ किया। स्वर्ग की रानी प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कहा, ″अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात,

आज का सुसमाचार पाठ हमें ऊपरी कमरे में ले चलता है। अंतिम बयारी के समय, दुःखभोग एवं क्रूस पर मृत्यु के पूर्व, येसु ने शिष्यों को पवित्र आत्मा के वरदानों की प्रतिज्ञा की थी जो शिष्यों के समुदाय में येसु की शिक्षा को बरकरार रखेगा। येसु स्वयं कहते हैं, ″परन्तु वह सहायक, वह पवित्र आत्मा, जिसे पिता मेरे नाम पर भेजेगा, तुम्हें सब कुछ समझा देगा। मैंने तुम्हें जो कुछ बताया, वह उसका स्मरण दिलायेगा।″ (यो.14:26)

संत ने कहा, ″शिक्षा देना एवं स्मरण दिलाना। हमारे हृदय में पवित्र आत्मा ये ही काम करते हैं।″ यह येसु का, पिता के पास लौटने का समय है, येसु पवित्र आत्मा के आगमन की भविष्यवाणी करते हैं कि वह सुसमाचार को पूरी तरह समझने, उसे अपने जीवन में आत्मसात करने तथा अपने साक्ष्य से जीवित एवं सक्रिय बनाने हेतु शिष्यों को शिक्षा प्रदान करेगा।

प्रेरितों को जिम्मेदारी सौंपते हुए अर्थात् उन्हें दुनिया के कोने-कोने में सुसमाचार का प्रचार करने भेजते हुए येसु प्रतिज्ञा करते हैं कि वे सदा उनके साथ रहेंगे। पवित्र आत्मा सदा उनके साथ रहकर  उनकी सहायता करेगा। निश्चय ही, वे उनके साथ रहेंगे तथा उन्हें सुरक्षा एवं समर्थन प्रदान करेंगे। येसु पिता के पास लौटने वाले हैं किन्तु वे पवित्र आत्मा के वरदानों द्वारा सदा हमारे साथ रहेंगे। 

पवित्र आत्मा के मिशन का दूसरा पहलू है येसु की शिक्षा का स्मरण करने हेतु प्रेरितों को मदद करना। पवित्र आत्मा का काम है स्मरण दिलाना, येसु के शब्दों की याद कराना। प्रभु ने शिष्यों को सब कुछ बता दिया था। शब्द के शरीरधारण द्वारा प्रकाशना का कार्य पूर्ण हो चुका था। पवित्र आत्मा येसु की शिक्षा को जीवन की विभिन्न सच्ची परिस्थितियों में स्मरण दिलायेंगे ताकि इसका अभ्यास किया जा सके। यह वास्तव में, आज कलीसिया में सम्पन्न हो रहा है जो पवित्र आत्मा से संचालित है। वे सभी के लिए ईश्वर के प्रेम एवं दया के रूप में मुक्ति के वरदान प्रदान करते हैं। संत पापा ने सलाह दी कि प्रत्येक दिन जब हम एक भजन अथवा सुसमाचार के पद पढ़ते हैं तो पवित्र आत्मा से प्रार्थना करें कि हम उसे समझ सकें तथा येसु के इन शब्दों को याद कर सकें। संत पापा ने कहा कि जब हम हरेक दिन पवित्र बाईबिल का पाठ करते हैं तो उसके पहले पवित्र आत्मा से प्रार्थना करें जो हमारे हृदयों में निवास करते हैं कि हम जो पढ़ते हैं उसे समझ सकें और स्मरण कर सकें।

उन्होंने कहा, ″हम अकेले नहीं हैं येसु हमारे करीब हैं, हमारे ही अंदर। इतिहास में उनकी नई उपस्थिति पवित्र आत्मा के वरदान के रूप है जिनके द्वारा हम क्रूसित तथा पुनर्जीवित ख्रीस्त के साथ जीवन्त संबंध स्थापित कर सकते हैं।″

बपतिस्मा और दृढ़ीकरण संस्कारों के द्वारा पवित्र आत्मा हममें डाला गया है जो हमारे जीवन में क्रियाशील है। वे हमारा मार्गदर्शन करते तथा अच्छाई एवं बुराई की परख करने की शक्ति प्रदान करते हैं। वे हमें उदार कार्यों में सहभागी होने में मदद देते हैं विशेषकर, जरूरतमंद लोगों की सहायता करने में।

हम अकेले नहीं हैं। शांति पवित्र आत्मा की उपस्थिति का चिन्ह है जिसे येसु अपने शिष्यों को प्रदान करते हैं। ″मैं अपनी शांति तुम्हें प्रदान करता हूँ।″ (पद.27) यह मनुष्यों की आशा तथा उसे पूरा करने के प्रयास से भिन्न है। येसु की शांति पाप और स्वार्थ पर विजय से आती है जिसके द्वारा हम एक-दूसरे को भाई बहन मानते हैं तथा ईश्वर के वरदान एवं उनकी उपस्थिति के चिन्ह को बांटते हैं।

संत पापा ने कहा कि हर शिष्य आज येसु का अनुसरण क्रूस ढोते हुए करने के लिए बुलाया जाता है। इसके द्वारा हम पुनर्जीवित ख्रीस्त की शांति तथा उनके पुनः आगमन की आशा प्राप्त करते हैं। 

धन्य कुँवारी मरियम हमें पवित्र आत्मा के प्रति विनम्र होने, उन्हें अपने दिल के स्वामी मानने एवं हमारे दैनिक जीवन की यात्रा में ख्रीस्त का स्मरण करने हेतु सहायता करें।

इतना कहने के संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ स्वर्ग की रानी प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

स्वर्ग की रानी प्रार्थना के उपरांत संत पापा ने देश-विदेश से एकत्र सभी तीर्थयात्रियों एवं पर्यटकों का अभिवादन किया।

उन्होंने सीरिया में हिंसक आक्रमण के शिकार लोगों के प्रति दुःख व्यक्त करते हुए कहा, ″मैंने गहन दुःख के साथ, सीरिया से आ रहे भयावह समाचार को सुना जो देश में पहले से निराश मानवीय परिस्थिति को बदतर कर रही है। खासकर, अलेप्पो शहर में जहाँ बच्चे, बीमार तथा निर्दोष लोगों को इसका शिकार होना पड़ रहा है।

संत पापा ने संघर्ष में संलग्न दलों से अपील की कि वे युद्ध विराम की संधि का सम्मान करें तथा उस समझौते को बल प्रदान करें जो शांति हेतु एकमात्र रास्ता है।

संत पापा ने ″सतत विकास और रोजगार के सबसे छोटे रूप″ पर रोम में आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन को शुभकामनाएँ अर्पित करते हुए कहा, ″मैं आशा करता हूँ कि यह अवसर अधिकारियों, राजनीतिक एवं आर्थिक संस्थाओं एवं नागरिकों में जागरूकता लायेगी। अतः हम विकास के ऐसे आदर्श को प्रोत्साहन देते हैं जो मानव प्रतिष्ठा का ध्यान रखती तथा श्रम मानकों एवं पर्यावरण का सम्मान करती है।

अंत में संत पापा ने सभी से प्रार्थना का आग्रह करते हुए शुभ रविवार की मंगलकामनाएँ अर्पित की।








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