वाटिकन सिटी, शुक्रवार 29 अप्रैल 2016 (सेदोक वी. आर): संत पापा फ्रांसिस ने शुक्रवार 29 अप्रैल को वाटिकन स्थित संत पौलुस छटवें सभागार में पुनर्योजी चिकित्सा और उसकी सांस्कृतिक प्रभाव की प्रगति पर एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के प्रतिभागियों को संबोधित किया।
अपने संबोधन में संत पापा फ्रांसिस ने संस्कृति, विज्ञान एवं विश्वास संबंधी परमधर्मपीठीय समिति और इसके साथ काम करने वाली संस्थानों की प्रतिबद्धता के तीन पहलुओं पर जोर दिया।
संत पापा ने कहा "यह बहुत महत्वपूर्ण है कि हम समाज में अधिक से अधिक सहानुभूति को बढ़ावा दें और अपने पड़ोसियों की मदद करने में कभी पीछे न हटें, विशेषकर दुर्लभ बीमारयों से पीड़ितों की मदद करें।"
उन्होंने कहा, शिक्षा न केवल छात्रों की बौद्धिक क्षमताओं को विकसित करने के लिए आवश्यक है लेकिन यह मानव गठन और उच्चतम श्रेणी की व्यावसायिकता सुनिश्चित करने के लिए भी है।
संत पापा ने शिक्षा और वास्तविक वैज्ञानिक अध्ययन के संदर्भ में अनुसंधान के महत्व पर भी बल दिया।
अनुसंधान नैतिक मुद्दों के लिए आवश्यक है, यह एक उपकरण है जिससे मानव जीवन और व्यक्ति की गरिमा की रक्षा हो सकती है।"
संत पापा फ्रांसिस ने तीसरी पहलू "देखभाल की सुनिश्चिता" पर प्रकाश डालते हुए कहा कि लाभ कमाने की प्रबल इच्छा किसी भी हालत में मानव जीवन के मूल्य से उपर नहीं होनी चाहिए। यही कारण है कि उदासीनता की सार्वभौमिकता का प्रत्युत्तर सहानुभूति की सार्वभौमिकता से देना चाहिए।"
संत पापा फ्रांसिस ने सम्मेलन में भाग लेने वाले लोगों को प्रोत्साहन देते हुए अपना संबोधन संपन्न किया। "इस जयंती वर्ष के दौरान, आप पिता ईश्वर की दया के सक्षम और उदार सह-संचालक बनें।"
2016 के पुनर्योजी चिकित्सा सम्मेलन में बाल कैंसर और दुर्लभ रोगों और उम्र बढ़ने के साथ होने वाले रोगों पर ध्यान केंद्रित किया है।
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