2016-04-28 15:57:00

पवित्र आत्मा के चमत्कार को हमेशा बाधित किया गया है


वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 28 अप्रैल 2016 (वीआर सेदोक): वाटिकन स्थित प्रेरितिक आवास संत मर्था के प्रार्थनालय में संत पापा फ्राँसिस ने ख्रीस्तयाग अर्पित करते हुए प्रवचन में कलीसिया में पवित्र आत्मा की भूमिका पर चिंतन किया।

उन्होंने कहा, ″कल के समान ही आज भी कलीसिया में चुनौतियों के सामने पवित्र आत्मा के अनोखे कार्यों का विरोध किया जाता है किन्तु वे हमें बाधाओं से ऊपर उठकर येसु के रास्ते पर आगे बढ़ने में मदद करते हैं।″  

संत पापा ने प्रेरित चरित से लिए गये पाठ पर चिंतन किया जहाँ आरम्भिक कलीसिया द्वारा येरूसालेम की महासभा में पवित्र आत्मा को कलीसिया का नायक कहा गया है।

उन्होंने कहा, ″कलीसिया में काफी विवाद है किन्तु पवित्र आत्मा ही कलीसिया के नायक हैं जिन्होंने आरम्भ से प्रेरितों को सुसमाचार की घोषणा करने का बल प्रदान किया है। यही वह आत्मा है जो सब कुछ सम्पन्न करता तथा कठिनाईयों के बावजूद कलीसिया को आगे ले चलता है। वह अत्याचारों के बीच भी विश्वासियों को विश्वास में दृढ़ रहने का बल प्रदान करता है।″

संत पापा ने पवित्र आत्मा के प्रति विरोध किये जाने पर गौर करते हुए कहा कि पवित्र आत्मा के कार्यों का दो तरह से विरोध किया जा रहा है एक उन लोगों के द्वार जो विश्वास करते हैं कि येसु केवल चुने हुए लोगों के लिए आये तथा दूसरे वे जो मूसा की संहिता को थोपना चाहते हैं।

आत्मा हृदयों में नया रास्ता खोल देता है जो उनके चमत्कार हैं। पवित्र आत्मा के कारण ही चेलों ने अपने को ऐसी नयी परिस्थिति में पाया जिसकी उन्होंने कभी कल्पना नहीं की थी।

पवित्र आत्मा की अनुपस्थिति का दुष्परिणाम बतलाते हुए संत पापा ने कहा कि उनकी अनुपस्थिति में व्यक्ति सुनने से भय खाता है। उन दिनों कुछ लोग यह स्वीकार नहीं पा रहे थे कि गैर यहूदियों को भी पवित्र आत्मा का वरदान प्राप्त हुआ था, तब येरूसालेम महासभा बुलायी गयी जिसमें पौल एवं बर्नाबस ने बताया कि किस तरह गैरयहूदियों को पवित्र आत्मा का वरदान प्राप्त हुआ था। अंततः ईश्वर द्वारा राष्ट्रों के बीच महान चमत्कार को सभा ने स्वीकार किया।

संत पापा ने कहा कि कलीसिया का रास्ता है एक साथ मिलकर विचार करने, सुनने, तर्क-वितर्क, प्रार्थना और निर्णय करने का। यही कलीसिया की एकता को प्रदर्शित करता है।

संत पापा ने पवित्र आत्मा के विस्मय को समझने तथा उसके प्रति आज्ञाकारी बनने की सलाह दी ताकि हम येसु के रास्ते पर आगे बढ़ सकें। 








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