2016-04-25 10:15:00

रोम में जयन्ती मनानेवाले युवाओं को सन्त पापा का विडियो सन्देश


वाटिकन सिटी, सोमवार, 25 अप्रैल सन् 2016 (सेदोक): सन्त पापा फ्राँसिस ने करुणा को समर्पित जयन्ती वर्ष के उपलक्ष्य में विश्व और, विशेष रूप से, यूरोपीय देशों से रोम पहुँचे युवाओं के नाम एक विडियो सन्देश प्रेषित कर उनसे पिता ईश्वर के सदृश दयालु होने का आग्रह किया।  

जयन्ती वर्ष समारोह के लिये रोम पहुँचे लगभग 1,20,000 युवा शनिवार को रोम के ओलिम्पिक स्टेडियम में साक्ष्य समारोह के लिये एकत्र हुए थे।

इस अवसर पर युवाओं को प्रेषित विडियो सन्देश में सन्त पापा फ्राँसिस ने जयन्ती वर्ष के दौरान खुले पवित्र द्वार का महत्व समझाया। उन्होंने स्मरण दिलाया कि पवित्र द्वार "येसु ख्रीस्त के साथ उनके साक्षात्कार का प्रतिनिधित्व करता है जो हमारा परिचय पिता ईश्वर के प्रेम से कराते तथा हमें भी पिता के समान दयावान बनने के लिये आमंत्रित करते हैं।"

सन्त पापा ने कहा, "दयावान होने का अर्थ है क्षमा करने की क्षमता रखना, हालांकि, यह सरल कार्य नहीं है। कभी-कभी ऐसा होता है कि घर में, परिवार में, स्कूल में, पल्ली में या फिर खेल के मैदान में कोई व्यक्ति कुछ ऐसा करता है जिससे हम अपमानित महसूस करते हैं या ऐसा भी हो सकता है कि किसी विशिष्ट परिस्थिति में हम किसी को अपमानित कर देते हैं किन्तु उस स्थिति में सदैव बने रहना कदापि उचित नहीं है। आप एक दूसरे को क्षमा कर दें। प्रतिशोध की भावना को अपने अन्तर में पनपने न दें बल्कि उदारतापूर्वक अन्यों पर दया कर उन्हें क्षमा कर दें।"

सन्त पापा ने कहा, "हमारी क्षमा ही इस बात का प्रमाण होगी कि हमने प्रभु येसु ख्रीस्त की शिक्षा को आत्मसात कर लिया है, इस बात का प्रमाण कि हम उनके तथा उनकी दया के साक्षी हैं।"

सन्त पापा ने येसु के साथ युवाओं के सम्बन्ध की तुलना मोबाईल फोन से करते हुए कहा, "कितनी बार ऐसा होता है कि हम अपने किसी मित्र को फोन करते हैं किन्तु ख़राब सेवा के कारण हमारा फोन उस तक नहीं पहुँचता। सभी के साथ ऐसा कभी न कभी हुआ है कि उनके मोबाईल फोन से सम्पर्क नहीं हो पाया। उन्होंने कहा, "याद रखें कि यदि येसु आपके जीवन में नहीं हैं तो समझ लीजिये कि आपकी फोन सेवा बन्द पड़ी है।" ऐसी स्थिति में, उन स्थलों पर जाने का सन्त पापा ने परामर्श दिया जहाँ प्रेममय सेवा का अस्तित्व है यानि अपने परिवार में, पल्ली में और स्कूल में क्योंकि इन्हीं के पास, विश्व के समक्ष रखने के लिये, कुछ शुभ एवं सुन्दर हो सकता है।








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