2016-04-22 15:17:00

सुसमाचार की घोषणा करने से ख्रीस्तीय अपने को नहीं रोक सकता


वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 22 अप्रैल 2016 (वीआर सेदोक): वाटिकन स्थित प्रेरितिक आवास संत मर्था के प्रार्थनालय में, शुक्रवार 22 अप्रैल को ख्रीस्तयाग अर्पित करते हुए संत पापा फ्राँसिस ने ख्रीस्तीय जीवन के तीन आयामों, घोषणा, मध्यस्थता एवं आशा पर चिंतन किया।

उन्होंने कहा कि ख्रीस्तीयों का हृदय, हमारे खातिर येसु की मृत्यु तथा उनके पुनरुत्थान की भावना से पूर्ण होना चाहिए।  

संत पापा ने कहा कि ‘येसु जीवित हैं’ यही उस समय के यहूदियों एवं ग़ैरयहूदियों के लिए प्रेरितों की घोषणा थी। इस घोषणा का साक्ष्य उन्होंने शहीद होकर दिया।

लगड़े की चंगाई तथा याजकों द्वारा पुनर्जीवित येसु के नाम की घोषणा करने से मना किये जाने के बाद, जब योहन एवं पेत्रुस को महासभा के सामने लाया गया, तब उन्होंने पूरे साहस और सरलता से कहा, ″हमने जो देखा और सुना है उसके बारे हम चुप नहीं रह सकते।″  

संत पापा ने कहा कि यही घोषणा है। विश्वास द्वारा हम ख्रीस्तीयों पर पवित्र आत्मा का निवास है वह हमें येसु के बारे सच्चाई को देखने और सुनने की शक्ति प्रदान करता है जो हमारे पापों के लिए मर गये तथा फिर जी उठे हैं। ख्रीस्तीय जीवन की घोषणा यही है कि ख्रीस्त जीवित हैं, वे जी उठे हैं वे हमारे समुदाय में उपस्थित हैं तथा हमारी यात्रा में हमारा साथ देते हैं। 

संत पापा ने ख्रीस्तीय जीवन के दूसरे आयाम मध्यस्थता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि पुण्य बृहस्पतिवार को अंतिम ब्यारी के समय येसु ने अपने चेलों से कहा था, ″तुम्हारा जी घबराये नहीं, विश्वास रखो। मेरे पिता के घर बहुत से स्थान हैं मैं उन्हें तैयार करने जा रहा हूँ।″

संत पापा ने प्रश्न किया कि इसका क्या अर्थ है? येसु किस तरह स्थान तैयार करेंगे? उन्होंने कहा कि येसु हम प्रत्येक के लिए अपनी मध्यस्थ प्रार्थना द्वारा स्थान तैयार करेंगे। अपने दुखभोग के पूर्व उन्होंने पिता से प्रेरितों लिए प्रार्थना की थी। हम विश्वास करते हैं कि येसु हमारे लिए प्रार्थना करते हैं।

तीसरे आयाम पर संत पापा ने कहा कि येसु हमारी आशा हैं। उन्होंने कहा कि एक ख्रीस्तीय महिला अथवा पुरुष आशा का व्यक्ति है। उसकी आशा है कि प्रभु पुनः आयेंगे। समस्त कलीसिया उनके पुनरागमन की प्रतीक्षा कर रही है। संत पापा ने विश्वासियों को आत्मजाँच करने की सलाह दी कि हम क्या घोषित करते हैं? येसु के साथ मेरा संबंध कैसा है? क्या मैं येसु की मध्यस्थता पर पूर्ण आशा रखता हूँ?








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