2016-04-20 16:36:00

येसु पाप और पापी के बीच अंतर करना जानते हैं, संत पापा


वाटिकन सिटी, बुधवार, 20 अप्रैल 2016 (वीआर सेदोक): बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर, संत पापा फ्राँसिस ने वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में विश्व के कोने-कोने से एकत्रित हजारों तीर्थयात्रियों को सम्बोधित किया।

उन्होंने इतालवी भाषा में कहा, ख्रीस्त में मेरे अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात,  आज हम करुणा के पवित्र वर्ष पर जारी धर्मशिक्षा माला में करुणा के उस पक्ष पर चिंतन करें जिसको हमने संत लूकस रचित सुसमाचार से सुना। येसु सिमोन नामक फरीसी के यहाँ भोजन पर गये थे। जब वे भोजन कर रहे थे तभी वहाँ एक महिला आई जिसे पूरे शहर के लोग एक पापी के रूप में जानते थे। वह चुपचाप येसु के चरणों पर झुककर रोने लगी। उसके आँसु येसु के चरण भिंगोने लगे तथा वह उसे अपने केशों से पूछने लगी। तब उसने येसु के पैरों का चुम्बन कर उसपर सुगन्धित इत्र लगाया।

उस फरीसी ने येसु को इसलिए निमंत्रण दिया था क्योंकि वह येसु के बारे एक महान नबी के रूप में कई अच्छी बातें सुनी थी।

संत पापा ने कहा कि फरीसी बाह्य रूप देखकर न्याय करते थे अतः येसु का एक पापी के साथ मुलाकात करना देख विचलित हो गये किन्तु येसु पाप और पापी के बीच अंतर करना जानते हैं। उन्होंने सिमोन को शिक्षा दी कि महिला ने ईश्वर की करुणा पर अपने विश्वास तथा भरोसे को प्रकट किया जिसके कारण उसके सभी पाप क्षमा हो गये हैं। 

संत पापा ने कहा कि पापी स्त्री की कहानी हमें स्मरण दिलाता है कि ईश्वर अत्यन्त दयालु हैं तथा वे अपनी दया द्वारा सभी लोगों तक पहुँच सकते हैं। वे हर प्रकार के पूर्वाग्रह से ऊपर उठकर सभी सीमाओं के पार जाते हैं।

ख्रीस्त द्वारा हम सबों ने भी अपने पापों की क्षमा तथा कृपामय नया जीवन पाया है। इस मुक्तिदायी प्रेम के रहस्य पर चिंतन करते हुए हम महान वरदानों के प्रति कृतज्ञता में बढ़ें तथा हमारे परिवारों, समुदायों एवं विश्व में उनके प्रेम के माध्यम और साक्ष्य बन सकें।

इतना कहकर उन्होंने अपनी धर्मशिक्षा माला समाप्त की।

धर्मशिक्षा माला समाप्त करने के उपरांत संत पापा ने इंगलैंड, क्रोवेशिया स्कोटलैंड, एयरलैंड, डेनमार्क, निदरलैंड, नार्वे, केनिया, जिम्बाबे, ऑस्ट्रेलिया, चीन, मलेशिया, फिलीपींस,  इंडोनेशिया, थाईलैंड,  अमेरिका और देश-विदेश के तीर्थयात्रियों, उपस्थित लोगों तथा उनके परिवार के सदस्यों को विश्वास में बढ़ने तथा पुनर्जीवित प्रभु के प्रेम और दया का साक्ष्य देने की कामना करते हुए अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।








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