2016-04-20 10:21:00

मध्यपूर्व की स्थिति पर परमधर्मपीठ के पर्यवेक्षक महाधर्माध्यक्ष आऊज़ा


न्यू यॉर्क, बुधवार, 20 अप्रैल 2016 (सेदोक): न्यू यॉर्क में, सोमवार को फिलीस्तीन के प्रश्न सहित मध्यपूर्व में व्याप्त स्थिति पर आयोजित वाद-विवाद के दौरान संयुक्त राष्ट्र संघ में परमधर्मपीठ के स्थायी पर्यवेक्षक वाटिकन के वरिष्ठ महाधर्माध्यक्ष बेरनादीतो आऊज़ा ने इसराएल एवं फिलीस्तीन के बीच दो राज्य वाला समाधान सुझाया।

महाधर्माध्यक्ष आऊज़ा ने इस बात पर गहन खेद व्यक्त किया कि इसराएल एवं फिलीस्तीन के बीच शांति वार्ताएँ ठप्प पड़ी हैं तथा उत्तेजक वाद-विवाद के चलते स्थिति ख़तरनाक होती जा रही है। उन्होंने कहा कि दोनों राज्यों के बीच शांति के लिये दो राज्यों वाला समाधान सर्वोचित है।

महाधर्माध्यक्ष आऊज़ा ने कहा कि सन्त पापा फ्राँसिस इसराएली एवं फिलीस्तीनी अधिकारियों से निवेदन करते हैं कि वे अपने लोगों के लिये शांति की अनिवार्यता पर ध्यान दें तथा वार्ता एवं पुनर्मिलन द्वारा शांति का पथ अपनायें।

महाधर्माध्यक्ष आऊज़ा ने कहा, "परमधर्मपीठ का दृढ़ विश्वास है कि दो राज्यों वाला समाधान शांति के लिये सबसे अच्छी संभावना है।" उन्होंने कहा कि सन् 2014 में टेलेवीव हवाईअड्डे पर तथा बेथलेहेम में भी सन्त पापा फ्राँसिस ने "इसराएल एवं फिलीस्तीन दोनों के अस्तित्व के लिये अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त सीमाओं के अन्तर्गत सार्वभौमिक राज्य की आवश्यकता पर बल दिया था ताकि दोनों राज्यों के लोग शांतिपूर्ण ढंग से गरिमा एवं स्वतंत्रतापूर्वक जीवन यापन कर सकें।"

महाधर्माध्यक्ष आऊज़ा ने अन्तरराष्टीय समुदाय का आह्वान किया कि वह उत्तरी अफ्रीका एवं विश्व के अनेक क्षेत्रों में आतंकवाद को प्रश्रय देनेवाले रूढिवाद, चरमपंथ एवं अतिवाद को जड़ से मिटाने हेतु सामूहिक राजनैतिक कार्रवाई करे। उन्होंने कहा, "आतंकवाद के अन्तरराष्ट्रीयकरण का सामना केवल सामूहिक अन्तरराष्ट्रीय प्रत्युत्तर द्वारा किया जा सकता है। आतंकवादी विचारधारा केवल सैन्य शक्तियों द्वारा पराजित नहीं की जा सकती अपितु आतंकवाद को प्रोत्साहित करनेवाले  मूल कारणों का पता लगाना अनिवार्य है। धर्म के नाम पर हिंसा ढाने वाले आतंकवादी दलों के झूठ की सर्वत्र निन्दा की जानी चाहिये।"

धार्मिक नेताओं का महाधर्माध्यक्ष आऊज़ा ने विशेष आह्वान किया कि वे धर्म के नाम पर हिंसा को प्रश्रय देनेवालों के खिलाफ अपनी आवाज़ उठाने के गम्भीर दायित्व का सच्चाई के साथ निर्वाह करें।








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