2016-04-20 10:25:00

दया रहित ख्रीस्तानुयायी है अनाथ, सन्त पापा फ्राँसिस


वाटिकन सिटी, बुधवार, 20 अप्रैल 2016 (सेदोक): सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा है कि जो ख्रीस्तानुयायी अन्यों पर दया नहीं दिखाते वे अनाथ हैं।   

वाटिकन स्थित सन्त मर्था प्रेरितिक आवास के प्रार्थनालय में मंगलवार को ख्रीस्तयाग के अवसर पर येसु मसीह के हर कार्य पर प्रश्न उठानेवाले यहूदियों के सन्दर्भ में प्रवचन करते हुए सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा, "जो ख्रीस्तीय पिता के द्वारा येसु के प्रति आकर्षित नहीं होता वह अनाथ ही रहता है।" उन्होंने कहा कि यहूदी फरीसियों के प्रश्नों से स्पष्ट है कि उनके मन के द्वार बन्द थे।

सन्त पापा ने कहा, "फरीसियों एवं यहूदियों द्वारा भिन्न-भिन्न प्रकार से दुहराये जाने वाले प्रश्न ऐसे हृदय से प्रस्फुटित होते हैं जो संकीर्ण है, बन्द है तथा विश्वास के प्रति अन्धा है।" उन्होंने कहा, सुसमाचार में प्रभु येसु ख्रीस्त कहते हैं: "तुम विश्वास इसलिये नहीं करते क्योंकि तुम मेरी रेवड़ की भेड़ नहीं हो। मेरी भेड़ें मेरी आवाज़ सुनती हैं, मैं उन्हें पहचानता हूँ और वे मेरा अनुसरण करती हैं।"    

सन्त पापा ने कहा, "फरीसियों एवं शास्त्रियों के मन की कठोरता कलवारी तक जारी रही। वे येसु को चमत्कार करते देखते थे किन्तु उन्हें मसीहा स्वीकार करने से इनकार करते थे। येसु के पुनःरुत्थान के बाद भी यही सिलसिला जारी रहता है। सैनिकों से कहा जाता है कि वे कह दें कि  जब वे सो गये थे तब शिष्य येसु के शव को उठा ले गये थे। जिन्होंने येसु के पुनःरुत्थान को आँखों देखा था उन लोगों की गवाही भी उनका कठोर हृदय नहीं पिघला सकी।" सन्त पापा ने कहा ऐसे ही लोग जो पिता ईश्वर द्वारा भेजे गये येसु की ओर आकर्षित नहीं होते तथा उनमें अपना विश्वास प्रकट नहीं करते वे वास्तव में अनाथ हैं।   

सन्त पापा ने कहा कि इसके विपरीत जब येसु के पुनःरुत्थान की ख़बर जैरूसालेम पहुँची तब बहुतों ने उनमें विश्वास किया तथा ईशकृपा के पात्र बनें। सन्त पापा ने परामर्श दिया कि विनीत प्रार्थना द्वारा हम प्रभु येसु के प्रति आकर्षित होवें तथा उनके सुसमाचार में दिये आदेशों के अनुकूल लोगों में दया और प्रेम का प्रसार करें।








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