2016-04-18 10:36:00

यूरोप में न्यायिक आप्रवास नीतियों का सन्त पापा ने किया आह्वान


वाटिकन सिटी, सोमवार, 18 अप्रैल 2016 (सेदोक): सन्त पापा फ्राँसिस ने शनिवार को ग्रीस के लेसबोस द्वीप की यात्रा से लौटते समय यूरोप में न्याय पर आधारित आप्रवास नीतियों का आह्वान किया।

वापसी विमान यात्रा पर पत्रकारों से लगभग 30 मिनटों की बातचीत में उन्होंने आप्रवास विषय पर यूरोप एवं तुर्की के बीच सम्पन्न समझौते तथा यूरोप के कई देशों में बन्दी होती दीवारों के मुद्दों को उठाया।

सन्त पापा ने पत्रकारों से कहा कि लेसबोस में उनकी यात्रा ने उनपर गहन प्रभाव छोड़ा है। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि ग्रीस के लेसबोल द्वीप पर उनकी यात्रा का उद्देश्य पूर्णतः मानवतावादी था।

ग्रीस से तीन शरणार्थी परिवारों को रोम लाने के बारे में सन्त पापा ने बताया कि यह अन्तिम क्षण लिया गया निर्णय था तथा एक सप्ताह पूर्व उन्होंने अपने सहयोगियों द्वारा इसकी योजना तैयार की थी। उन्होंने कहा, "सबकुछ नियमित ढंग से कानून के दायरे में रहकर किया गया है। इन शरणार्थियों के पास आवश्यक दस्तावेज़ हैं जिसकी जाँच ग्रीस और इटली की सरकारों तथा वाटिकन के अधिकारियों द्वारा कर ली गई है। वाटिकन द्वारा इनका स्वागत किया गया है और अब सन्त इजिदियो लोकधर्मी समुदाय की मदद से ये अपना रोज़गार खोज सकेंगे।" यह पूछे जाने पर कि क्यों सभी मुसलमान परिवारों को शरण के लिये चुना गया सन्त पापा ने कहा, "मुसलमान या ख्रीस्तीय के बीच चुनाव का प्रश्न नहीं था, प्रश्न आवश्यक दस्तावेज़ों का था।" 

अमरीका के सेनेटर बर्नी सैन्डर्स की वाटिकन भेंट के बारे में सन्त पापा ने कहा कि इस   मुलाकात का राजनीति से कोई वास्ता नहीं था। "सेनेटर सैन्डर्स, सन्त जॉन पौल द्वितीय के विश्व पत्र चेन्तेसिमुस आन्नुस पर आयोजित सम्मेलन में भाग लेने हेतु वाटिकन पहुँचे थे।"

यूरोप में बन्द होती दीवारों के बारे में प्रश्न पूछे जाने पर सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा कि कुछेक यूरोपीय सरकारों की चिन्ता को वे समझते हैं किन्तु युद्ध और उत्पीड़न से भागे तथा शरण की याचना करनेवाले का स्वागत किया जाना चाहिये। उन्होंने कहा, "मैंने सदैव कहा है कि दीवारों का निर्माण समाधान नहीं है। विगत शताब्दी की दीवारों को हमने देखा है, उनसे कोई हल नहीं निकला। हमें सेतुओं का निर्माण करना होगा। सेतुओं का निर्माण बुद्धिमत्ता, विवेक, वार्ता एवं एकीकरण द्वारा किया जा सकता है।"  

उन्होंने कहा कि इस यात्रा के दौरान उन्होंने बहुत दुःख देखा है। बच्चों ने अपने द्वारा चित्रित कई तस्वीर अर्पित की जिनसे एक ही सन्देश मिलता है कि इन बच्चों ने बहुत कष्ट देखा है और अब ये लोग शांति के लिये तरस रहे हैं।  

विश्व में जारी युद्ध एवं लोगों में व्याप्त क्षुधा के बारे में सन्त पापा ने कहा कि ये दोनों धरती के शोषण का परिणाम हैं। निर्वनीकरण एवं मानव तस्करी की उन्होंने निन्दा की तथा सिरिया में विभिन्न युद्धग्रस्त दलों को अस्त्र बेचनेवालों को फटकार बताई। उन्होंने कहा, "मैं अस्त्रों के निर्माताओं  को मैं चुनौती देता हूँ कि वे एक दिन लेसबोस के शरणार्थी शिविर में बिताकर देखें।"








All the contents on this site are copyrighted ©.