2016-04-16 11:17:00

आप्रवासियों के प्रति एकात्मता प्रदर्शन हेतु सन्त पापा फ्राँसिस लेसबोस में


वाटिकन सिटी, शनिवार, 16 अप्रैल 2016 (सेदोक): सन्त पापा फ्राँसिस, शनिवार, 16 अप्रैल को  ग्रीस के लेसबोस द्वीप की यात्रा के लिये रवाना हुए जो इन दिनों यूरोपीय आप्रवास संकट का प्रमुख केन्द्र बना हुआ है। लेसबोस की इस यात्रा में सन्त पापा के साथ विश्वव्यापी ऑरथोडोक्स कलीसिया के प्राधिधर्माध्यक्ष बारथोलोम प्रथम तथा आथेन्स एवं सम्पूर्ण ग्रीस के महाधर्माध्यक्ष येरोनीमुस भी उपस्थित हैं ताकि आप्रवासियों एवं शरणार्थियों के मुद्दे के प्रति अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर जागरुकता बढ़ाई जा सके।

सिरिया, ईराक एवं अफ़गानिस्तान में युद्ध, उत्पीड़न एवं निर्धनता से पलायन करनेवाले लगभग दस लाख लोगों ने तुर्की से आनेवाली जर्जर नावों पर यात्रा कर अपनी जान का जोख़िम उठाया है तथा लेसबोस द्वीप तक पहुँचे हैं ताकि ग्रीस के रास्ते होकर पश्चिमी यूरोप का रुख कर सकें। इस ख़तरनाक और दुर्दम्य यात्रा में कईयों ने अपनी जान गँवा दी है और लेसबोस द्वीप पर कई जगह अनाम कब्रें छोड़ दी हैं।

अन्तरराष्ट्रीय आप्रवास संगठन का अनुमान है कि इस वर्ष के आरम्भ से अब तक 170,000 आप्रवासियों एवं शरणार्थियों ने ग्रीस एवं इटली की ओर ख़तरनाक समुद्री यात्राएँ की हैं।  

विश्व के लगभग एक अरब बीस करोड़ कथलिक धर्मानुयायियों के धर्मगुरु सन्त पापा फ्राँसिस ने प्रायः आप्रवासियों एवं शरणार्थियों का बचाव किया है तथा यूरोप की काथलिक पल्लियों से उन्हें शरण प्रदान करने का आग्रह किया है। अपनी परमाध्यक्षीय नियुक्ति के तुरन्त बाद सन् 2013 में ही उन्होंने इटली के सिसली द्वीप स्थित लामपेदूसा द्वीप का दौरा किया जो इटली में हज़ारों आप्रवासियों एवं शरणार्थियों का प्रथम शरणस्थल सिद्ध हुआ है।

शनिवार को ग्रीस की यात्रा आरम्भ करते हुए सन्त पापा फ्राँसिस ने इटली के राष्ट्रपति जोर्जो मात्तारेल्ला को प्रेषित एक तार सन्देश में लिखा कि उनकी मंगलयाचना है कि इटली के लोग दूरदृष्टि एवं एकात्मता की भावना के साथ हमारे इस युग की चुनौतियों का सामना करेंगे। 

इसी बीच, लेसबोस की यात्रा से पूर्व सन्त पापा ने शरणार्थियों की मान मर्यादा का ख़्याल रखने का अनुरोध किया। शनिवार, 16 अप्रैल के ट्वीट पर उन्होंने लिखाः "शरणार्थी संख्या या अंक नहीं हैं, वे लोग हैं जिनके चेहरे हैं, नाम हैं, कहानियाँ हैं और इसी के अनुरूप उनके साथ व्यवहार किया जाना चाहिये।"  

शनिवार को सन्त पापा फ्राँसिस प्राधिधर्माध्यक्ष बारथोलोम प्रथम तथा आथेन्स एवं सम्पूर्ण ग्रीस के महाधर्माध्यक्ष येरोनीमुस के साथ लेसबोस द्वीप पर मोरिया शरणार्थी शिविर की भेंट कर रहे हैं। यह कँटीले तारों से घिरा एक विशाल शिविर है जहाँ लगभग 3000 शरणार्थी यूरोपीय संघ एवं तुर्की के बीच हुए समझौते के तहत अपनी नियति की प्रतीक्षा कर रहे हैं। शरण के लिये किया आवेदन रद्द हो जाने के बाद मोरिया शिविर के अनेक शरणार्थियों को तुर्की भेज दिया जायेगा। इनमें से सन्त पापा फ्राँसिस लगभग 250 शरणार्थियों से मुलाकात करेंगे, आठ के साथ मध्यान्ह भोजन करेंगे तथा जो इस जोख़िम भरे सफर में सफल न होकर समुद में सदा के सो गये हैं उनके प्रति श्रद्धार्पण कर समुद्र में फूलों की मालाएँ अर्पित करेंगे।

वाटिकन ने इस बात पर बल दिया है कि सन्त पापा फ्राँसिस की लेसबोस यात्रा की प्रकृति पूर्णतः लोकोपकारी एवं धार्मिक है, यह न तो राजनीति से सम्बन्धित है और न ही इसके द्वारा शरणार्थियों को वापस तुर्की भेजने से सम्बन्धित यूरोपीय योजना की "प्रत्यक्ष"  आलोचना करना है। वाटिकन के प्रवक्ता फादर फेदरीको लोमबारदी ने पत्रकारों से कहा कि यूरोपीय संघ एवं तुर्की के बीच हुए समझौते के परिणाम अवश्य ही शरणार्थियों पर पड़ेंगे। उन्होंने कहा कि सन्त पापा ने कई बार यूरोप को शरणार्थियों को पनाह देने के उसके नैतिक दायित्व का स्मरण दिलाया है। इसी बीच, वाटिकन में शरणार्थियों की प्रेरिताई हेतु गठित समिति के अध्यक्ष कार्डिनल अन्तोनियो वेलियो ने कहा कि यूरोपीय संघ एवं तुर्की के बीच हुआ समझौता आप्रवासियों की प्रतिष्ठा की परवाह किये बिना उन्हें व्यापार की वस्तु मानता है।    

ग़ौरतलब है कि मोरिया में व्याप्त शरणार्थियों की दयनीय स्थिति का विरोध करते हुए संयुक्त राष्ट्र संघीय शरणार्थी एजेन्सी (यूएनएचसीआर) एवं अन्य ग़ैरसरकारी लोकोपकारी संगठनों के सदस्यों ने मोरिया का परित्याग कर दिया है। स्वयंसेवकों का आरोप है कि धार्मिक नेताओं की यात्रा के बारे में पता लगने के बाद से सफाई अभियान शुरु किया गया है तथा सैकड़ों शरणार्थियों को निकटवर्ती शिविरों में भेज दिया गया है जिसकी भेंट सन्त पापा नहीं करेंगे। दीवारों की पेंटिंग कर दी गई है, शिविर में मेज़ों एवं कुर्सियों की व्यवस्था कर दी गई है तथा पत्रकारों का प्रवेश निषिद्ध कर दिया गया है।

संयुक्त राष्ट्र संघीय शरणार्थी एजेन्सी (यूएनएचसीआर) की सहयोगी "डर्टी गल्स" नामक संस्था के एलीसन टेर्री एवान्स ने कहा, "कुछ नहीं तो कम से कम सन्त पापा फ्राँसिस के आने से आधे क़ैदियों को तो कुछ दिनों के लिये अच्छे जीवन यापन का मौका मिलेगा।"








All the contents on this site are copyrighted ©.