2016-04-14 15:11:00

समान दलित अधिकारों हेतु बिहार के मुख्यमंत्री की माँग


नई दिल्ली, बृहस्तपतिवार 14 अप्रैल 2016 (ऊकान): "दलित मुसलमानों और ईसाइयों को आरक्षण देने का समय आ गया है जिन्हें धर्म को लेकर लंबे समय से इस अधिकार से वंचित कर दिया गया है । दलित मुसलमानों और ईसाइयों के लिए नौकरियों में आरक्षण हिंदू दलितों के समान होना चाहिए।” ये बातें बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार ने 11 अप्रैल को अंतर राष्ट्रीय पेरियार द्वारा सामाजिक न्याय के लिए दिए गए “के. वीरामानी पुरस्कार” प्राप्त करने के बाद कहीं।

उन्होंने यह भी कहा कि तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयाललिता ने हाल ही में दलित धार्मिक अल्पसंख्यकों की अधिक से अधिक समानता और उनके लिए आरक्षण की माँग की हैं।

भारत के करीब 25 लाख ईसाई दलित समाज से आते हैं। अक्सर दलितों को दमन, उत्पीड़न और अधिकारों से बेदखली का सामना करना पड़ता है।

सन् 1950 के राष्ट्रपति आदेश के तहत सरकारी लाभ जैसे सरकारी नौकरियों और शिक्षा संस्थानों में आरक्षण दलितों की उन्नति के लिए बने। इस आधार पर आरक्षण में ईसाई धर्म और इस्लाम धर्म जाति व्यवस्था की पहचान नहीं है अतः ये दोनों समुदाय लंबे समय से समान आरक्षण अधिकारों की माँग कर रहे हैं।

भारतीय कलीसियाओं की राष्ट्रीय परिषद के सचिव सामुएल जयकुमार ने ऊका समाचार से कहा, “कोई भी समझदार व्यक्ति जो न्याय के बारे में सोचता है वह इसी तरह से बात करेगा। विभिन्न राजनीतिक नेताओं द्वारा समर्थन अल्पसंख्यकों और दलितों की माँगों को मजबूत करेगा।”

दलित ईसाई मुक्ति आंदोलन के अध्यक्ष मेरी जॉन ने ऊका समाचार से कहा कि इन नेताओं को संसद में इस मुद्दे को लेने और नेतृत्व करने की जरूरत है।

अखिल भारतीय जामिल-उल हावारी के प्रधान हफीज अहमद हावारी ने ऊका समाचार से कहा कि उनकी मांगों को सुनना अब केंद्रीय सरकार पर निर्भर करता है.








All the contents on this site are copyrighted ©.