2016-04-13 15:12:00

ईश्वर बीता जीवन नहीं किन्तु हमारा भविष्य देखते


वाटिकन सिटी, बुधवार, 6 अप्रैल 2016 (वीआ सेदोक): बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर, संत पापा फ्राँसिस ने वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में विश्व के कोने-कोने से एकत्रित हजारों तीर्थयात्रियों को सम्बोधित किया।

उन्होंने इतालवी भाषा में कहा, ख्रीस्त में मेरे अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात,  करुणा के इस पवित्र वर्ष में हम धर्मशिक्षा माला में, सुसमाचार में वर्णित, मती के बुलावे की घटना पर चिंतन करें।

मती एक लेवी था। वह रोमी सम्राट के लिए चुंगी जमा करता था जिसके कारण वह एक पापी समझा जाता था किन्तु येसु ने उसे शिष्य बनकर अपना अनुसरण करने हेतु बुलाया। 

संत पापा ने कहा कि येसु न केवल एक चुंगी जमा करने वाले तथा पापी समझे जाने वाले व्यक्ति को अपना शिष्य होने के लिए बुलाया किन्तु उसके साथ बैठकर भोजन किया जो फरीसियों के लिए ठोकर का कारण बन गया। तब प्रभु ने कहा कि वे धार्मियों को नहीं पापियों को बुलाने आये हैं।

मती का बुलावा हमें स्मरण दिलाता है कि जब ख्रीस्त अपने शिष्यों को बुलाते हैं तो वे उनके बीते जीवन को नहीं किन्तु भविष्य को देखते हैं। हमें उनके बुलावे का विनम्र एवं उदार हृदय से प्रत्युत्तर देना चाहिए। येसु हमें यूखरिस्त की वेदी पर अपने साथ सहभागी होने के लिए बुलाते हैं जहाँ वे अपने वचनों के सामर्थ्य से हमारा शुद्धिकरण करते तथा पावन संस्कार द्वारा हमें अपने साथ संयुक्त कर लेते हैं।

संत पापा ने नबी होशिया के ग्रंथ का हवाला देते हुए कहा कि ईश्वर बलिदान नहीं दया चाहते हैं वे हृदय का सच्चा परिवर्तन चाहते हैं न कि धार्मिक कार्यों का औपचारिक अभ्यास मात्र। उन्होंने विश्वासियों को सलाह दी कि हम सभी अपने पापों को स्वीकार करें। प्रभु भोज में भाग लेने हेतु निमंत्रण का प्रत्युत्तर अधिक उदारता के साथ दे एवं असीम करूणा और मुक्तिदायी प्रेम के प्रति कृतज्ञता से भर कर आपस में मिलकर रहें। इतना कहकर उन्होंने अपनी धर्मशिक्षा माला समाप्त की।

धर्मशिक्षा माला समाप्त करने के उपरांत संत पापा ने इंगलैंड, स्कोटलैंड, एयरलैंड, डेनमार्क, निदरलैंड, नार्वे, केनिया, जिम्बाबे, ऑस्ट्रेलिया, चीन, मलेशिया, फिलीपींस,  इंडोनेशिया, थाईलैंड,  अमेरिका और देश-विदेश के तीर्थयात्रियों, उपस्थित लोगों तथा उनके परिवार के सदस्यों को विश्वास में बढ़ने तथा पुनर्जीवित प्रभु के प्रेम और दया का साक्ष्य देने की कामना करते हुए अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।








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