2016-04-05 14:10:00

ईस्टर हमले से पीड़ित लोगों हेतु अंतरधार्मिक प्रार्थना


लाहौर, मंगलवार 5 अप्रैल 2016 (एशिया न्यूज): मुस्लिम और कैथोलिक धार्मिक नेताओं ने मिलकर 2 अप्रैल की शाम को दोमिनिकन शांति केन्द्र में ईस्टर में हुए हमले से पीड़ित 76 लोगों की स्मृति में एक अंतरधार्मिक प्रार्थना सभा का नेतृत्व किया। कार्यक्रम की शुरुवात बाइबिल और कुरान के सस्वर पाठ से किया गया और अंत में बम पीड़ितों की याद में मोमबत्तियाँ जलाई गईं।

विश्व धर्म परिषद के हाफिज मोहम्मद नोमान ने प्रार्थना सभा के अंत में ईसाई कार्यकर्त्ताओं और धर्म बहनों से कहा, "हम हमेशा देश के आतंकी हमलों का दोष एकदूसरे पर लगाते हैं। हर मुसलमान जब आतंकवादयों के समूह से जुड़ जाता है तो वह हमारे धर्म का नहीं है। आतंकवादी हमारे साझे दुश्मन हैं। उनका धर्म आतंकवाद है, इस्लाम नहीं। जब वे हमला करते हैं तो ईसाई और मुस्लिम पीड़ितों के बीच एक रेखा नहीं खींचते।"

कई मौलवियों ने लाहौर में दोमिनिकन शांति केंद्र में अंतरधार्मिक प्रार्थना सभा को संबोधित करते हुए 27 मार्च के आत्मघाती बम विस्फोट से पीड़ित लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित की।

एक मुस्लिम प्रोफेसर ने युवकों को कट्टरपंथी बनने के लिए अज्ञानता और निरक्षरता को दोषी ठहराया। उसने कहा, "हमारे पास कहने के लिए कुछ भी नहीं है, मात्र टूटे शब्द के। इस दुनिया को यदि तुम स्वर्ग नहीं बना सकते, तो दूसरा कोई नहीं है। धर्म अच्छे कामों के लिए है लोगों की हत्या के लिए नहीं। येसु शांति के राजकुमार हैं और इस्लाम भी भाईचारा सिखाता है।"

कलीसिया के सूत्रों के मुताबिक, 17 ईसाइयों को मौत हो गई और 76 लोग अस्पतालों में गंभीर स्थिति में हैं। शांति केंद्र के निर्देशक फादर जेम्स चानान ने सभी पीड़ितों का नाम पढ़ा और प्रभावित परिवारों के लिए मुआवजे की मांग की। उसने कहा, "ईस्टर में हुए हमले देश में सांप्रदायिक लड़ाई की एक साजिश है लेकिन धार्मिक नेतागण आतंकवाद के खिलाफ एकजुट हैं अब बाहर कदम रखने का समय आ गया है सड़कों पर अंतरधार्मिक रैलियाँ आतंकवादियों को हतोत्साहित कर सकती हैं हम उनसे नहीं डरते हैं।"

मौलवियों ने सभी मस्जिदों में इस शुक्रवार को प्रार्थना का दिन ठहराया है। मुस्लिम वक्ताओं ने भी शुक्रवार  8 अप्रैल को सहिष्णुता दिवस घोषित किया।








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