वाटिकन सिटी, मंगलवार, 5 अप्रैल 2016 (सेदोक): सन्त पापा फ्राँसिस ने विश्व के समस्त ख्रीस्तीय धर्मानुयायियों का आह्वान किया है कि वे मरियम के सदृश ही ईश्वर की आज्ञा के प्रति समर्पित रहकर अपने जीवन को साकार करें।
वाटिकन स्थित सन्त मर्था प्रेरितिक आवास में, सोमवार को, मरियम को मिले देवदूत सन्देश महापर्व के उपलक्ष्य में ख्रीस्तयाग अर्पण के अवसर पर प्रवचन करते हुए सन्त पापा ने कहा, "मरियम के सदृश हम अपने हृदय के द्वारों को खोलें तथा मुक्ति सन्देश के प्रति अपनी हामी भरें।"
सन्त पापा ने सुसमाचार के उस पाठ पर चिन्तन किया जिसमें गाब्रिएल महादूत का सन्देश पाने पर मरियम "हाँ" में उत्तर देती तथा इस प्रकार येसु की "हाँ" के प्रति द्वारों को खोल देती हैं। सन्त पापा ने कहा, "ख्रीस्तानुयायियों को अपने आप से यह प्रश्न करना चाहिये कि वे प्रभु की बुलाहट का प्रत्युत्तर देते हैं अथवा उस पर उनका ध्यान तनिक भी नहीं जाता।"
सन्त पापा ने कहा कि पवित्र धर्मग्रन्थ बाईबिल में कई स्थलों पर प्रभु ईश्वर के प्रति "हाँ" की घटनाओं को हम पाते हैं। अब्राहम का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि अब्राहम के समान ही प्राचीन व्यवस्थान में हमारे कई पूर्वज थे जिन्होंने प्रभु ईश्वर द्वारा मिली आशा पर विश्वास कर अपनी धरती का परित्याग कर दिया तथा अज्ञात गन्तव्य की ओर बढ़ गये थे।
इसायाह एवं येरेमियाह का भी सन्त पापा ने स्मरण दिलाया जिन्होंने पहले-पहल विश्वास करने से इनकार कर दिया था किन्तु बाद में ईश्वर की आज्ञा के प्रति समर्पित हो गये थे।
सन्त पापा ने स्पष्ट किया, "मरियम की "हाँ" द्वारा ईश्वर मनुष्य पर केवल दृष्टि ही नहीं रखते बल्कि उसके संग-संग चलते भी हैं, वे उसके ही समान बन जाते और उसकी ही देहधारण करते हैं।"
उन्होंने कहा कि दूत सन्देश पाने के बाद जब मरियम ने "हाँ" कहा तब उन्होंने केवल किसी एक स्थिति के लिये "हाँ" नहीं कहा अपितु येसु के देहधारण के प्रति "हाँ" करते हुए उन्होंने सम्पूर्ण जीवन, यहाँ तक कि क्रूस तक, उनके साथ रहने की हामी भरी।
सन्त पापा ने कहा, "मरियम के सदृश हम भी ईश्वर द्वारा दर्शाये मार्ग पर चलें तथा अपने जीवन को साकार करें। ईश्वर के प्रति आज्ञाकारिता ही हमें पवित्र करती तथा येसु ख्रीस्त में नवजीवन प्रदान करती है।"
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