2016-03-27 15:38:00

पास्का महापर्व पर रोम शहर एवं विश्व के नाम जारी सन्त पापा फ्राँसिस का सन्देश


वाटिकन सिटी, रविवार, 27 मार्च 2016 (सेदोक): पास्का अर्थात् येसु मसीह के मुर्दों में से पुनः जी उठने के स्मरणार्थ मनाये जानेवाले ईस्टर महापर्व के शुभ अवसर पर हम आप सबके प्रति मंगलकामनाएँ अर्पित करते हैं। पुनर्जीवित प्रभु ख्रीस्त आप सबको अपनी कृपा, ज्योति एवं शांति से परिपूर्ण कर दें!

पास्का महापर्व के उपलक्ष्य में, रविवार, 27 मार्च को, काथलिक कलीसिया के परमधर्मगुरु, सन्त पापा फ्राँसिस ने, रोम स्थित सन्त पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में एकत्र भक्त समुदाय सहित सम्पूर्ण विश्व एवं रोम शहर के नाम अपना विशिष्ट पास्का सन्देश इस प्रकार आरम्भ किया, "प्रभु की स्तुति करो! वह भला हैः उसके नाम की स्तुति करो, वह प्रेममय है" (स्तोत्र ग्रन्थ के 135 वें भजन का प्रथम पद)।

अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, पास्का मुबारक हो! येसु ख्रीस्त, ईश्वरीय दया के सागर, हमारे प्रति प्रेम के कारण क्रूस पर मरे, तथा प्रेम के कारण ही मृतकों में से फिर जी उठे। इसीलिये आज हम उदघोषणा करते हैं: "येसु ही प्रभु हैं।" उनका पुनरुत्थान स्तोत्र ग्रन्थ के भजन की भविष्यवाणी को पूरा करता हैः ईश्वर की दया सदा सर्वदा के लिये बनी रहती है; वह कभी भी मरती नहीं। हम उन पर पूरा भरोसा रख सकते हैं जो  हमारे ख़ातिर वे रसातल की गहराई में उतरे।"

सन्त पापा ने कहा, "आध्यात्मिक एवं नैतिक रसातल के समक्ष, उस खालीपन के समक्ष जो हृदयों में उत्पन्न होकर घृणा एवं मृत्यु को प्रश्रय देता है, केवल अनन्त दया ही हमें मुक्ति दिला सकती है। केवल ईश्वर ही उस खालीपन को अपने प्रेम से परिपूर्ण कर हमें उस गहरी खाई में गिरने से बचा सकते तथा स्वतंत्रता एवं जीवन की ओर एक साथ मिलकर अपनी तीर्थयात्रा जारी रखने में सहायता प्रदान कर सकते हैं।"  

उन्होंने कहा, "पास्का की यह आनन्दमय उदघोषणा कि "क्रूसित येसु यहाँ नहीं हैं, वे जी उठे हैं (दे. सन्त मत्ती, 5-6 ) हमें यह सान्तवनादायी निश्चितत्ता प्रदान करती है कि मौत की खाई को पार कर लिया गया है तथा उसके साथ-साथ शोक, विलाप तथा पीड़ा पर विजय पा ली गई है (दे. प्रकाशना ग्रन्थ 21:4)। वे प्रभु जिन्हें अपने शिष्यों द्वारा परित्याग, अन्यायपूर्ण दण्ड तथा निन्दनीय मृत्यु की लज्जा सहनी पड़ी वे अब हमें अपने नवजीवन में सहभागी बनाते हैं। वे हमें भूखों एवं प्यासों,

अजनबियों एवं क़ैदियों, हाशिये पर जीवन यापन करनेवाले एवं बहिष्कृत लोगों तथा दमनचक्र एवं हिंसा के शिकार लोगों को प्रेम एवं करुणा की आँखों से देखने में सक्षम बनाते हैं। हमारा विश्व, शरीर और आत्मा से पीड़ित, लोगों से भरा है जैसा कि हम देखते हैं दैनिक समाचार क्रूर अपराधों की कहानियों से भरे रहते हैं जो, प्रायः, घरों के भीतर एवं बड़े पैमाने पर सशस्त्र संघर्षों में जारी रहा करते तथा लोगों की अनिर्वचनीय पीड़ा का कारण बनते हैं।"

संत पापा ने सीरिया की दयनीय दशा की याद कर कहा, ″ख्रीस्त प्यारे देश सीरिया को आशा का पथ दिखायें, एक ऐसे देश को, जो लम्बे समय के संघर्ष के कारण टूट चुका है, विनाश, मृत्यु, मानवीय कानून की अवमानना तथा मानव समाज के विघटन के दुःखद सिलसिले के कारण बिखर चुका है। हम इस समय चल रही वार्ता को पुनर्जीवित प्रभु के सामर्थ्य के सिपुर्द करते हैं ताकि शुभेच्छा तथा सभी के सहयोग द्वारा शांति के फल प्राप्त कर भ्रातृत्वपूर्ण समाज के निर्माण का शुभारम्भ कर सकें और सभी नागरिकों की प्रतिष्ठा एवं अधिकार का सम्मान कर सकें। कब्र से लुढ़काये हुए पत्थर के पास दूतों द्वारा उद्घोषित जीवन का संदेश, भूमध्यसागर एवं मध्यपूर्व के देशों, विशेषकर, ईराक, यमन और लीबिया के विभिन्न लोगों एवं संस्कृतियों के आपसी आदान-प्रदान द्वारा हमारे हृदय की कठोरता में बदलाव लाये।″  

मानव की नई छवि जो ख्रीस्त के चेहरे पर प्रतिबिम्बित हो रही है, वह पवित्र भूमि में इस्राएलियों एवं फिलिस्तीनियों दोनों के सहअस्तित्व, उनकी सहनशीलता तथा सीधे एवं उदार समझौतों द्वारा न्यायिक एवं स्थायी शांति की स्थापना के दैनिक प्रयास को प्रोत्साहन प्रदान करे। जीवन के स्वामी प्रभु यूक्रेन में युद्ध के ठोस समाधान तक पहुँचने की चेष्टा में साथ दें तथा मानवीय सहायता की पहल समेत हिरासत में लिए गए व्यक्तियों की रिहाई हेतु प्रेरणा और समर्थन प्रदान करें।

प्रभु येसु हमारी शांति जिन्होंने जी उठने के द्वारा बुराई और पाप पर विजय पायी है पास्का अवकाश के अवसर पर हमें उन लोगों के नजदीक जाने हेतु प्रेरित करें जहाँ लोग विश्व के विभिन्न हिस्सों में, आंतकी हमलों, अंधी तथा क्रूर हिंसा के शिकार हो रहे हैं, जिसके द्वारा निर्दोष लोगों का खून बहाया जा रहा है, विशेषकर, बेल्जियम, तुर्की, नाईजेरिया, चाड, कैमरून और आइवरी कोस्ट में। संत पापा ने अफ्रीका की ओर ध्यान आकृष्ट करते हुए कहा कि अफ्रीका में आशा जगाने तथा शांति की खोज करने की आवश्यकता है, खासकर, बुरुंडी, मोजाम्बिक, कांगो और दक्षिणी सूडान में जो राजनीतिक और सामाजिक तनाव से चिह्नित है।

सन्त पापा ने आगे कहा, "प्रेम के शस्त्रों द्वारा ईश्वर ने स्वार्थ एवं मृत्यु को पराजित कर दिया है। ईशपुत्र येसु दया का द्वार है जो सबके लिये खुला है। मेरी मंगलकामना है कि उनका पास्का सन्देश और अधिक शक्तिशाली ढंग से कठिनाइयों का सामना कर रहे वेनेज्यूएला के प्रिय लोगों तक तथा उन लोगों तक पहुँच सके जो देश के भविष्य के लिये उत्तरदायी हैं ताकि प्रत्येक व्यक्ति वार्ता और सबके बीच सहयोग का प्रयास करते हुए जनकल्याण हेतु काम करे। साक्षात्कार, न्याय एवं परस्पर सम्मान की संस्कृति को प्रोत्साहित करने के लिये सर्वत्र प्रयास किये जायें क्योंकि केवल इसी प्रकार सब लोगों के आध्यात्मिक एवं भौतिक कल्याण की गारंटी प्राप्त की जा सकती है।"

सन्त पापा ने कहा, "सम्पूर्ण मानवजाति के लिये जीवन का सन्देश कि ख्रीस्त जी उठे हैं युगों के अन्तराल में प्रतिध्वनित होकर हमें आमंत्रित करता है कि हम उन स्त्री-पुरुषों को न भूलें जो बेहतर भविष्य की तलाश में हैं, इनमें, युद्ध, क्षुधा और निर्धनता से पीड़ित तथा सामाजिक न्याय से रहित -अनेक बच्चों सहित- असंख्य आप्रवासी एवं शरणार्थी शामिल हैं। प्रायः हमारे इन भाई-बहनों को रास्ते में मौत अथवा उन लोगों के बहिष्कार का सामना करना पड़ता है जो इन्हें आतिथेय एवं सहायता प्रदान कर सकते हैं। मेरी अभिलाषा है कि आगामी विश्व मानवतावादी शीर्ष सम्मेलन मानव व्यक्ति तथा स्त्री-पुरुष की मर्यादा पर केन्द्रित रहने से ना चूके तथा युद्ध एवं अन्य आपातकालीन स्थितियों के शिकार और, विशेष रूप से, सर्वाधिक कमज़ोर एवं जाति व धर्म के आधार पर अत्याचार सहनेवाले लोगों को, सहायता एवं सुरक्षा प्रदान करने हेतु नीतियों के निर्माण में सक्षम बने।" 

संत पापा ने जलवायु परिवर्तन के शिकार लोगों के प्रति सहानुभूति प्रकट करते हुए कहा, ″इस महिमामय दिवस पर ″धरती महान वैभव से भर कर आनन्द मनाये″ (पास्का उद्घोषणा)। उन्होंने कहा कि लाभ के लालच के कारण शोषण के शिकार लोगों को दुर्व्यवहार और अपमान का सामना करना पड़ता है, जो प्रकृति के संतुलन को अव्यवस्थित कर देता है। ″मैं उन क्षेत्रों की याद करता हूँ जो जलवायु परिवर्तन से प्रभावित हैं जिसके कारण बहुधा सूखा अथवा विनाशकारी बाढ़ का सामना करना पड़ता है परिणामतः विश्व के विभिन्न हिस्सों में खाद्यान्न संकट उत्पन्न हो जाता है।″

संत पापा ने ख्रीस्त में विश्वास के कारण अत्याचार के शिकार लोगों की याद कर कहा, ″हमारे उन भाई-बहनों के साथ जो विश्वास तथा ख्रीस्त के नाम पर निष्ठा के कारण अत्याचार के शिकार हो रहे हैं और ऐसा प्रतीत होता है कि बहुत सारे लोगों के जीवन पर बुराई हावी हो गई है, हम प्रभु के सांत्वना पूर्ण शब्दों को सुनें, ″डरो मत, मैंने संसार पर विजय पायी है।″ (यो.16:33) आज प्रतिभाशाली विजय का दिन है क्योंकि ख्रीस्त ने मृत्यु पर जीत पायी है तथा उनका पुनरूत्थान अमर जीवन को आलोकित किया है। (2 तिम.1:10) उन्होंने हमें दासता से मुक्ति, उदासी से आनन्द, विलाप से उत्सव, अंधकार से प्रकाश तथा गुलामी से स्वतंत्रता प्रदान की है अतः हम अल्लेलूया की घोषणा करें।

संत पापा ने समाज की विभिन्न परिस्थितियों में पड़े लोगों की याद की तथा कहा, ″हमारे समाज के ऐसे लोग जिन्होंने अपनी आशा और जीने के आनन्द को खो दिया है, वयोवृद्ध जो एकाकीपन महसूस करते हैं, युवा जिन्हें लगता है कि उन्होंने भविष्य की आशा गवाँ दी है सभी के लिए मैं पुनर्जीवित ख्रीस्त के शब्दों को दोहराता हूँ, ″मैं सब कुछ नया बना देता हूँ...मैं प्यासे को संजीवन जल के स्रोत से मुफ्त में पिलाऊँगा। (प्रका. 21:5-6) जी उठे येसु का संदेश हम में से प्रत्येक को नवीकृत साहस द्वारा, ईश्वर एवं अपने भाई- बहनों के साथ मेल-मिलाप करने में मदद दे।

इन शब्दों से रोम शहर एवं विश्व के नाम अपना पास्का संदेश समाप्त कर संत पापा फ्राँसिस ने सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।

रोम शहर एवं विश्व के नाम अपना संदेश जारी करने के उपरांत संत पापा ने इताली भाषा में विश्व के प्रत्येक व्यक्ति के प्रति पास्का की हार्दिक शुभकामना व्यक्त करते हुए कहा, ″आप के प्रति प्रिय भाइयो एवं बहनो तथा विश्व के विभिन्न भागों से इस प्राँगण में आये और टेलीविज़न, रेडियो तथा विभिन्न संचार माध्यमों द्वारा जुड़े विश्व के समस्त लोगों के प्रति मैं हार्दिक शुभकामनाएँ व्यक्त करता हूँ।

पुनरूत्थान का संदेश आपके हृदयों, परिवारों तथा समुदायों को उल्लास से भर दे, पुनर्जीवित येसु का प्रकाश एवं उनकी उपस्थिति, आपको विश्रान्ति, क्षमा तथा आनन्द से परिपूर्ण कर दे। ख्रीस्त ने बुराई की हर गहराई पर विजय प्राप्त की है। वे मुक्ति के द्वार हैं, करुणा प्राप्त करने हेतु सभी के लिए चौड़े द्वार।

संत पापा ने संदेश के अंत में लोगों को उनकी उपस्थिति एवं आनन्द के लिए धन्यवाद दिया, विशेषकर, निदरलैंड को उनके सुन्दर फूलों के उपहार के लिए अपनी कृतज्ञता व्यक्त की।

पुनर्जीवित ख्रीस्त के आनन्द को सभी में बांटने की सलाह देते हुए संत पापा ने प्रार्थना का आग्रह किया तथा सभी को मंगलमय पास्का की शुभकामनाएँ अर्पित कीं।

(अनुवादक- जूलयट जेनेविब क्रिस्टफर, उषा मनोरमा तिरकी)








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