2016-03-26 16:18:00

संत पापा ने प्रभु के दुःखभोग की धर्मविधि का अनुष्ठान किया


वाटिकन सिटी, शनिवार, 26 मार्च 2016 (वीआर अंग्रेजी): संत पापा फ्राँसिस ने 25 मार्च को संत पेत्रुस महागिरजाघर में, पुण्य शुक्रवार को प्रभु येसु के दुःखभोग एवं क्रूस उपासना की धर्मविधि का अनुष्ठान कर, येसु ख्रीस्त के क्रूस काठ में चढ़ाये जाने, उनके दुःखभोग तथा मृत्यु का स्मरण किया।

प्रभु येसु के दुःखभोग की धर्मविधि के दौरान फा. रानियेरो कांतालामेस्सा ओ. एफ. एम कैप ने उपदेश में ईश्वर की करुणा को पापी मानव के लिए उनकी दिव्य प्रत्युत्तर कहा, जो हमें मुफ्त एवं प्रेम से प्रदान किया गया है।

उन्होंने कहा, ″ईश्वर का प्रेम मानव जाति के लिए उस छोर तक पहुँचता हैं जिस छोर तक वे दूर चले गये थे अर्थात मृत्यु तक। ख्रीस्त की मृत्यु जो पापी मानव के लिए ईश्वर की दया का सबसे बड़ा प्रमाण है उसे सभी लोगों के लिए प्रकट किये जाने की आवश्यकता थी।″  

उपदेशक फादर ने कहा कि ईश्वर की करुणा न्याय के विपरीत नहीं है किन्तु उसका साक्ष्य है। दया का उलटा प्रतिशोध है।

फा. कांतालामेस्सा ने उपदेश का समापन करते हुए कहा कि पिता ईश्वर ने अपने पुत्र के क्रूस पर चढ़ाये जाने के द्वारा, प्रत्येक व्यक्ति के हृदय, परिवार तथा राष्ट्र से प्रतिशोध की हर भावना को दूर कर दिया तथा करुणा के प्रति प्रेम करना सिखाया। संत पापा द्वारा करुणा का वर्ष घोषित किये जाने का उद्देश्य हमारे जीवन में ठोस रूप से पूरा हो तथा सभी लोग अपने हृदय में ईश्वर से मेल-मिलाप किये जाने के आनन्द का अनुभव कर सकें।








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